यहोशू 8:1-35

  • यहोशू, ऐ के खिलाफ घात बिठाता है (1-13)

  • ऐ पर कब्ज़ा (14-29)

  • एबाल पहाड़ पर कानून पढ़ा गया (30-35)

8  इसके बाद यहोवा ने यहोशू से कहा, “तू डरना मत और न ही खौफ खाना।+ अपने सभी सैनिकों को साथ लेकर ऐ पर चढ़ाई कर। देख, मैंने ऐ के राजा, उसके लोगों, उसके शहर और उसके सारे इलाके को तेरे हाथ में कर दिया है।+  तू ऐ और उसके राजा का नाश कर देना, ठीक जैसे तूने यरीहो और उसके राजा का किया था।+ मगर वहाँ से मिलनेवाला लूट का माल और मवेशी अपने लिए रख लेना। ऐ पर हमला करने के लिए अपने सैनिकों को शहर के पीछे की तरफ घात में बिठाना।”  इस पर यहोशू और उसके सभी सैनिकों ने ऐ पर हमला करने की तैयारी की। यहोशू ने 30,000 वीर योद्धाओं को चुना और उन्हें रात को रवाना कर दिया।  उसने उन्हें आज्ञा दी, “तुम्हें शहर के पीछे की तरफ घात लगाकर बैठना है। शहर से ज़्यादा दूर मत जाना और हमला करने के लिए सब-के-सब तैयार रहना।  मैं अपने सब साथियों को लेकर सामने से शहर की तरफ बढ़ूँगा। जब शहर के लोग पिछली बार की तरह हमसे मुकाबला करने आएँगे,+ तो हम उन्हें पीठ दिखाकर भागने लगेंगे।  वे यह सोचकर हमारा पीछा करेंगे कि हम पिछली बार की तरह उनसे डरकर भाग रहे हैं।+ हम तब तक भागते रहेंगे जब तक कि हम उन्हें शहर से बहुत दूर न ले जाएँ।  तब तुम लोग जो घात लगाए बैठे होगे, उठकर शहर पर कब्ज़ा कर लेना। तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उसे तुम्हारे हाथ में कर देगा।  शहर पर कब्ज़ा करते ही तुम उसमें आग लगा देना।+ यहोवा ने जैसा कहा है तुम वैसा ही करना। यह तुम्हारे लिए मेरा आदेश है।”  फिर यहोशू ने उन्हें उस जगह भेजा जहाँ उन्हें घात लगाए बैठना था। वे ऐ शहर के पश्‍चिम में यानी ऐ और बेतेल के बीच घात लगाकर बैठ गए। जबकि यहोशू सारी रात सैनिकों के साथ रहा। 10  यहोशू सुबह-सुबह उठा और उसने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया। फिर यहोशू और इसराएल के मुखिया उनकी अगुवाई करते हुए उन्हें ऐ तक ले गए। 11  यहोशू के साथ जितने भी सैनिक थे,+ उनका पूरा दल शहर की तरफ गया और उन्होंने शहर के उत्तर में पड़ाव डाला। उनके और ऐ शहर के बीच सिर्फ एक घाटी थी। 12  इस बीच यहोशू ने 5,000 आदमियों को घात लगाने के लिए भेज दिया था।+ वे ऐ शहर के पश्‍चिम में यानी ऐ और बेतेल+ के बीच घात लगाकर बैठे थे। 13  इस तरह सैनिकों का बड़ा दल शहर के उत्तर में तैनात था+ जबकि घात में बैठे सैनिक शहर के पीछे की तरफ पश्‍चिम में थे।+ और यहोशू उस रात घाटी के बीच गया। 14  जब ऐ के राजा ने इसराएली सेना को देखा, तो वह सुबह-सुबह अपने आदमियों को लेकर उनसे लड़ने निकल पड़ा। वे उस जगह आए जहाँ सामने की तरफ वीराना था। मगर ऐ का राजा नहीं जानता था कि इसराएली सैनिक शहर के पीछे की तरफ भी घात लगाए बैठे हैं। 15  जब ऐ के आदमियों ने हमला बोला तो यहोशू और उसके सैनिक ऐसे भागने लगे मानो उनसे हारकर भाग रहे हों। वे वीराने की तरफ जानेवाले रास्ते पर भागने लगे।+ 16  उनका पीछा करने के लिए ऐ के सभी आदमियों को बुलाया गया। वे यहोशू और उसकी सेना का पीछा करते-करते शहर से दूर निकल गए। 17  ऐ और बेतेल में एक भी आदमी नहीं बचा, सब-के-सब इसराएलियों का पीछा करने चले गए। वे शहर को खुला छोड़ गए, उसकी रक्षा करने के लिए कोई नहीं रहा। 18  फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, “तेरे पास जो बरछी है उसे ऐ की तरफ दिखा।+ मैं ऐ को तेरे हाथ में कर दूँगा।”+ तब यहोशू ने हाथ उठाकर वह बरछी शहर की तरफ दिखायी। 19  जैसे ही उसने अपना हाथ उठाया, घात में बैठे सैनिक उठ खड़े हुए और भागकर शहर में गए और उस पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने फौरन शहर में आग लगा दी।+ 20  जब ऐ के आदमियों ने पीछे मुड़कर देखा तो उन्हें शहर से धुआँ उठता दिखायी दिया, जो आसमान तक पहुँच रहा था। तब वे किसी भी तरफ भाग न सके। जो इसराएली सैनिक वीराने की तरफ भाग रहे थे, वे पलटकर उन पर टूट पड़े। 21  इस तरह जब यहोशू और उसके साथवाले सैनिकों ने देखा कि घात लगानेवाले सैनिकों ने शहर पर कब्ज़ा कर लिया है और शहर से धुआँ उठ रहा है, तो उन्होंने पलटकर ऐ के आदमियों पर हमला बोल दिया। 22  उन्हें मारने के लिए दूसरे सैनिक भी शहर से बाहर आ गए। अब ऐ के आदमी बुरी तरह फँस गए, कुछ इसराएली सैनिक इस तरफ थे तो कुछ उस तरफ। उन्होंने ऐ के सभी आदमियों को मार डाला, एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा और न ही भागने दिया।+ 23  लेकिन वे ऐ के राजा को ज़िंदा पकड़कर यहोशू के पास ले आए।+ 24  जब इसराएलियों ने ऐ के सभी लोगों को, जो वीराने में उनका पीछा कर रहे थे, तलवार से मार डाला और उनमें से एक को भी न छोड़ा, तब वे सब ऐ शहर की तरफ मुड़े। वे शहर में गए और वहाँ जितने लोग थे, उन्हें तलवार से मार डाला। 25  उस दिन ऐ के जितने आदमी-औरत मारे गए उनकी गिनती 12,000 थी। 26  यहोशू अपनी बरछी तब तक उठाए रहा+ जब तक कि ऐ के सभी लोगों का नाश नहीं कर दिया गया।+ 27  इसराएलियों ने लूट का सारा माल और सारे मवेशी अपने लिए ले लिए, ठीक जैसे यहोवा ने यहोशू को हिदायत दी थी।+ 28  फिर यहोशू ने ऐ को जलाकर राख कर दिया और वह शहर हमेशा के लिए मलबे का ढेर बन गया+ और आज तक वह ऐसा ही है। 29  उसने ऐ के राजा को मारकर काठ* पर लटका दिया और उसे शाम तक वहीं रहने दिया। जब सूरज डूबनेवाला था तो यहोशू ने आज्ञा दी कि उसकी लाश काठ से उतार दी जाए।+ उन्होंने लाश शहर के फाटक के सामने फेंक दी और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक वहाँ है। 30  इसके बाद यहोशू ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के लिए एबाल पहाड़ पर एक वेदी बनायी,+ 31  ठीक जैसे यहोवा के सेवक मूसा ने इसराएलियों को आज्ञा दी थी और मूसा के कानून की किताब+ में भी लिखा था, “तुम ऐसे पत्थरों से एक वेदी बनाना, जिन पर लोहे का औज़ार न चलाया गया हो।”+ उस वेदी पर इसराएलियों ने यहोवा के लिए होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं।+ 32  फिर यहोशू ने वहाँ पत्थरों पर उस कानून को लिख दिया+ जो मूसा ने इसराएलियों के सामने लिखा था।+ 33  सभी इसराएली, उनके मुखिया, उनके अधिकारी और न्यायी दो समूहों में बँटकर लेवी याजकों की तरफ मुँह करके खड़े हुए जो यहोवा के करार का संदूक लिए हुए थे। उस भीड़ में पैदाइशी इसराएलियों के साथ परदेसी भी थे।+ एक समूह गरिज्जीम पहाड़ के सामने खड़ा था और दूसरा एबाल पहाड़ के सामने,+ (ठीक जैसे यहोवा के सेवक मूसा ने आज्ञा दी थी)+ ताकि इसराएल के लोगों को आशीर्वाद दिया जाए। 34  इसके बाद यहोशू ने कानून की किताब में बतायी सारी आशीष+ और शाप+ पढ़कर सुनाए।+ 35  यहोशू ने वे सारी बातें इसराएल की पूरी मंडली के सामने पढ़कर सुनायीं, ठीक जैसे मूसा ने उसे आज्ञा दी थी।+ एक भी ऐसी बात नहीं थी जो उसने न सुनायी हो। इसराएलियों की उस मंडली में औरतें, बच्चे और उनके बीच रहनेवाले परदेसी भी थे।+

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या “पेड़।”