योएल 1:1-20

  • कीड़ों का भयानक कहर (1-14)

  • “यहोवा का दिन करीब है” (15-20)

    • भविष्यवक्‍ता ने यहोवा को पुकारा (19, 20)

1  यहोवा का यह संदेश पतूएल के बेटे योएल* के पास पहुँचा:   “प्रधानो, सुनो, देश* के सभी निवासियो, ध्यान से सुनो। क्या ऐसी कोई बात तुम्हारे दिनों में हुई हैया तुम्हारे पुरखों के ज़माने में हुई?+   इस बारे में अपने बेटों को बताओ,तुम्हारे बेटे अपने बेटों को बताएँऔर उनके बेटे अगली पीढ़ी को बताएँ।   जो कुछ कुतरनेवाली टिड्डी से बचा उसे दलवाली टिड्डी ने खा लिया,+जो कुछ दलवाली टिड्डी से बचा उसे बिन पंखोंवाली टिड्डी ने खा लियाऔर जो कुछ बिन पंखोंवाली टिड्डी से बचा उसे भूखी टिड्डी ने खा लिया।+   पियक्कड़ो,+ जागो और रोओ! दाख-मदिरा पीनेवालो, तुम सब ज़ोर-ज़ोर से रोओ,क्योंकि तुम्हारे मुँह से मीठी दाख-मदिरा छिन गयी है।+   मेरे देश पर एक ताकतवर राष्ट्र ने हमला कर दिया है जिसके लोग बेशुमार हैं।+ उसके दाँत और जबड़े शेर के जैसे हैं।+   उसने मेरी अंगूर की बेल तहस-नहस कर दी हैऔर मेरे अंजीर के पेड़ का सिर्फ ठूँठ छोड़ा है,उनकी पूरी छाल छीलकर यहाँ-वहाँ फेंक दी है,उनकी टहनियाँ सफेद हो गयी हैं।   तुम ज़ोर-ज़ोर से रोओ,जैसे एक कुँवारी* अपने दूल्हे* की मौत पर टाट पहने रोती है,   यहोवा के भवन में अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ+ का आना बंद हो गया है,यहोवा की सेवा करनेवाले याजक दुख मना रहे हैं। 10  खेत उजाड़ दिया गया है, ज़मीन मातम मना रही है,+अनाज नाश कर दिया गया है, नयी दाख-मदिरा सूख गयी है, तेल खत्म हो गया है।+ 11  किसान मायूस हैं, अंगूरों के बागों के माली ज़ोर से रो रहे हैं,क्योंकि गेहूँ और जौ नष्ट हो गए हैं,खेत की फसल बरबाद हो गयी है। 12  अंगूर की बेल सूख गयी है,अंजीर का पेड़ मुरझा गया है। अनार, खजूर, सेब, मैदान के सारे पेड़ सूख गए हैं।+ लोगों की खुशी अपमान में बदल गयी है। 13  याजको, टाट ओढ़कर मातम मनाओ,*वेदी के पास सेवा करनेवालो,+ ज़ोर-ज़ोर से रोओ। मेरे परमेश्‍वर के सेवको, आओ और टाट ओढ़कर रात बिताओ,क्योंकि तुम्हारे परमेश्‍वर के भवन में अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ+ का आना रोक दिया गया है। 14  उपवास का ऐलान करो, एक पवित्र सभा बुलाओ।+ अपने परमेश्‍वर यहोवा के भवन में मुखियाओं और देश के सभी निवासियों को इकट्ठा करो+ और मदद के लिए यहोवा को पुकारो। 15  हाय! वह दिन आ रहा है, यहोवा का दिन करीब है,+वह दिन सर्वशक्‍तिमान की ओर से नाश लाएगा! 16  हमसे खाना छीन लिया गया है,हमारे परमेश्‍वर के भवन से खुशियाँ और जश्‍न छीन लिए गए हैं। 17  बेलचे के नीचे पड़े बीज* सूख गए हैं। गोदाम सूने पड़े हैं। भंडार ढा दिए गए हैं क्योंकि फसल मारी गयी है। 18  मवेशी भी कराह रहे हैं! गाय-बैल मारे-मारे फिर रहे हैं क्योंकि कोई चरागाह नहीं है! भेड़ों के झुंड सज़ा भुगत रहे हैं। 19  हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूँगा,+क्योंकि आग ने वीराने के चरागाह भस्म कर दिए हैं,लपटों ने मैदान के सारे पेड़ जला दिए हैं। 20  जंगली जानवर भी तुझ पर आस लगाए हुए हैं,क्योंकि नदियाँ सूख गयी हैंऔर आग ने वीराने के चरागाह भस्म कर दिए हैं।”

कई फुटनोट

मतलब “यहोवा परमेश्‍वर है।”
या “धरती।”
या “जवान औरत।”
या “पति।”
या “छाती पीटो।”
या शायद, “सूखे अंजीर।”