योएल 2:1-32

  • यहोवा का दिन; उसकी विशाल सेना (1-11)

  • यहोवा के पास लौटने का बुलावा (12-17)

    • ‘अपने दिलों को फाड़ो’ (13)

  • अपने लोगों को यहोवा का जवाब (18-32)

    • ‘मैं अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा’ (28)

    • आकाश और धरती पर अजूबे (30)

    • यहोवा का नाम पुकारनेवालों को उद्धार (32)

2  “सिय्योन में नरसिंगा फूँको!+ मेरे पवित्र पहाड़ पर ऐलान करो कि युद्ध होनेवाला है। देश* के सभी निवासी थर-थर काँपें,क्योंकि यहोवा का दिन आ रहा है!+ वह करीब है!   वह घोर अंधकार का दिन है,+काले घने बादलों का दिन है,+जैसे सुबह की रौशनी हो जो पहाड़ों पर फैलती है। एक ऐसा ताकतवर देश है जिसके लोग बेशुमार हैं।+ ऐसा देश पहले कभी नहीं हुआ और न फिर कभी होगा,पीढ़ी-पीढ़ी तक नहीं होगा।   उसके आगे आग भस्म करती जाती है,पीछे ज्वाला जलाती जाती है।+ उसके आगे अदन के बाग जैसा देश है,+मगर पीछे उजड़ा हुआ वीराना है,उससे कुछ नहीं बच सकता।   वे घोड़ों जैसे दिखते हैं,युद्ध के घोड़ों जैसे दौड़ते हैं।+   जब वे पहाड़ों की चोटियों पर दौड़ते हैं तो उनका शोर रथों की खड़खड़ाहट+और भूसी के जलने की चटचटाहट जैसा होता है। वे ऐसे हैं मानो सूरमाओं का दल मोरचा बाँधे हुए है।+   उनकी वजह से देश-देश के लोग डर और चिंता में पड़ जाएँगे, उन सबके चेहरे लाल हो जाएँगे।   वे योद्धाओं की तरह बढ़े चले आते हैं,सैनिकों की तरह दीवार लाँघ जाते हैं,हर कोई अपनी राह पर चलता है,वह उससे नहीं हटता।   वे एक-दूसरे को धक्का नहीं देते,हर कोई अपनी राह पर सीधे आगे बढ़ता है। चाहे उनमें से कुछ हथियारों की मार से गिर जाएँ,तो भी दूसरे अपनी पंक्‍ति नहीं तोड़ते।   वे शहर में तेज़ी से घुसते हैं, शहरपनाह पर दौड़ते हैं। घरों पर चढ़ते हैं और चोर की तरह खिड़कियों से घुस जाते हैं। 10  उनके सामने ज़मीन थरथराती है, आसमान डोलने लगता है। सूरज और चाँद पर अँधेरा छा जाता है+ और तारे बुझ जाते हैं। 11  यहोवा अपनी सेना के सामने बुलंद आवाज़ में हुक्म देगा+ क्योंकि उसकी सेना विशाल है।+ उसका वचन पूरा करनेवाला शक्‍तिशाली है,यहोवा का दिन बड़ा ही भयानक है।+ उस दिन कौन टिक पाएगा?”+ 12  यहोवा ऐलान करता है, “मगर अब भी वक्‍त है, तुम लोग पूरे दिल से मेरे पास लौट आओ,+उपवास करते+ और रोते-बिलखते मेरे पास आओ। 13  अपने कपड़ों को नहीं,+ दिलों को फाड़ो+और अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओ,क्योंकि वह करुणा से भरा और दयालु है, क्रोध करने में धीमा+ और अटल प्यार से भरपूर है,+वह विपत्ति लाने की बात पर फिर से गौर करेगा।* 14  क्या पता, वह अपने फैसले पर फिर से सोचे,*उसे बदल दे+ और तुम्हें आशीष देताकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए अनाज का चढ़ावा और अर्घ चढ़ा सको! 15  सिय्योन में नरसिंगा फूँको! उपवास का ऐलान करो, एक पवित्र सभा बुलाओ।+ 16  लोगों को इकट्ठा करो, मंडली को पवित्र करो।+ बुज़ुर्गों* को इकट्ठा करो, बच्चों और दूध-पीते बच्चों को इकट्ठा करो।+ दूल्हा-दुल्हन अपने अंदर के कमरे से बाहर आएँ। 17  मंदिर में बरामदे और वेदी के बीच+ यहोवा की सेवा करनेवाले याजक रो-रोकर कहें,‘हे यहोवा, अपने लोगों पर तरस खा,राष्ट्रों को उन पर राज न करने देताकि तेरी विरासत मज़ाक न बन जाए। दूसरे देशों को यह कहने का मौका क्यों मिले, “कहाँ गया उनका परमेश्‍वर?”’+ 18  तब यहोवा अपने देश के लिए जोश दिखाएगाऔर अपने लोगों पर करुणा करेगा।+ 19  यहोवा अपने लोगों को यह जवाब देगा: ‘मैं तुम्हें अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल देने जा रहा हूँ,तुम पूरी तरह संतुष्ट हो जाओगे,+मैं फिर कभी तुम्हें राष्ट्रों के बीच बदनाम नहीं होने दूँगा।+ 20  मैं उत्तर से आनेवाले को तुमसे दूर भगा दूँगा,उसे एक सूखे और उजाड़ देश में खदेड़ दूँगा,उसके सामने की सेना पूरब के सागर* की तरफ होगीऔर पीछे की सेना पश्‍चिम के सागर* की तरफ। उससे बदबू ऊपर उठेगीउससे गंध ऊपर उठती रहेगी,+क्योंकि परमेश्‍वर महान काम करेगा।’ 21  हे देश, मत डर। खुशियाँ और जश्‍न मना क्योंकि यहोवा महान काम करेगा। 22  मैदान के जानवरो, मत डरोक्योंकि वीराने के चरागाह हरे-भरे हो जाएँगे+और पेड़ फलने लगेंगे,+अंजीर का पेड़ और अंगूर की बेल, दोनों पूरा-पूरा फल देंगे।+ 23  सिय्योन के बेटो, अपने परमेश्‍वर यहोवा के कारण खुशियाँ और जश्‍न मनाओ,+वह तुम्हें सही मात्रा में पतझड़ की बारिश देगा,तुम पर खूब पानी बरसाएगा,पहले की तरह तुम्हें पतझड़ और वसंत की बारिश देगा।+ 24  खलिहानों में अनाज का ढेर लग जाएगा,हौद नयी दाख-मदिरा और तेल से उमड़ते रहेंगे।+ 25  जितने साल मेरी भेजी हुई विशाल सेना ने,दलवाली टिड्डी, बिन पंखोंवाली टिड्डी, भूखी टिड्डी और कुतरनेवाली टिड्डी ने नुकसान किया,+उसकी मैं भरपाई कर दूँगा। 26  तुम बेशक जी-भरकर खाओगे+और अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम की तारीफ करोगे,+जिसने तुम्हारी खातिर अजूबे किए हैं,मेरे लोगों को फिर कभी शर्मिंदा नहीं किया जाएगा।+ 27  और तुम्हें जानना होगा कि मैं इसराएल के बीच हूँ,+मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्‍वर हूँ,+ मेरे सिवा कोई नहीं है! मेरे लोगों को फिर कभी शर्मिंदा नहीं किया जाएगा। 28  इसके बाद मैं हर तरह के इंसान पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा+और तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे,तुम्हारे बुज़ुर्ग खास सपने देखेंगे,तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।+ 29  उन दिनों मैं अपने दास-दासियों पर भीअपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा। 30  मैं आकाश में और धरती पर अजूबे दिखाऊँगा,*खून, आग और धुएँ का बादल।+ 31  यहोवा के बड़े भयानक दिन के आने से पहले,सूरज पर अँधेरा छा जाएगा और चाँद खून जैसा लाल हो जाएगा।+ 32  और जो कोई यहोवा का नाम पुकारता है वह उद्धार पाएगा,+क्योंकि जैसे यहोवा ने कहा है, सिय्योन पहाड़ पर और यरूशलेम में वे लोग होंगे जो बच जाएँगे,+वे लोग जिन्हें यहोवा बुलाता है।”

कई फुटनोट

या “धरती।”
या “पछतावा महसूस करेगा।”
या “पछतावा महसूस करे।”
या “मुखियाओं।”
यानी मृत सागर।
यानी भूमध्य सागर।
या “चिन्ह दूँगा।”