रोमियों के नाम चिट्ठी 16:1-27

  • पौलुस फीबे नाम की बहन के बारे में बताता है (1, 2)

  • रोम के मसीहियों को नमस्कार (3-16)

  • फूट डालनेवालों के बारे में चेतावनी (17-20)

  • पौलुस के सहकर्मियों का नमस्कार (21-24)

  • पवित्र रहस्य अब ज़ाहिर हुआ (25-27)

16  मैं किंख्रिया+ की मंडली में सेवा करनेवाली हमारी बहन फीबे के बारे में तुम्हें बताना चाहता हूँ  ताकि तुम प्रभु में उसका वैसा ही स्वागत करो जैसा पवित्र जनों का किया जाना चाहिए। और अगर किसी भी काम में उसे तुम्हारी ज़रूरत पड़े तो उसकी मदद करना+ क्योंकि वह खुद बहुतों की और मेरी भी मददगार* साबित हुई है।  प्रिसका और अक्विला+ को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, मेरा नमस्कार।  उन्होंने मेरी जान बचाने के लिए खुद अपनी जान* जोखिम में डाल दी।+ और सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि गैर-यहूदी राष्ट्रों की सभी मंडलियाँ भी उनका धन्यवाद करती हैं।  उनके घर में इकट्ठा होनेवाली मंडली को भी नमस्कार।+ मेरे प्यारे इपैनितुस को भी नमस्कार जो मसीह के लिए एशिया का पहला फल है।  मरियम को नमस्कार जिसने तुम्हारे लिए बहुत मेहनत की है।  मेरे रिश्‍तेदार अन्द्रुनीकुस और यूनियास को नमस्कार,+ जो मेरे साथ कैद में थे और जिनका प्रेषितों के बीच बड़ा नाम है और जो मुझसे भी पहले से मसीह के चेले हैं।*  प्रभु में मेरे प्यारे अम्पलि-यातुस को मेरा नमस्कार।  मसीह में हमारे सहकर्मी उरबानुस और मेरे प्यारे इस्तखुस को नमस्कार। 10  अपिल्लेस को मेरा नमस्कार, जिस पर मसीह की मंज़ूरी है। अरिस्तु-बुलुस के घराने को मेरा नमस्कार। 11  मेरे रिश्‍तेदार हेरोदियोन को मेरा नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उनको मेरा नमस्कार। 12  प्रभु में कड़ी मेहनत करनेवाली त्रूफैना और त्रूफोसा को मेरा नमस्कार। हमारी प्यारी पिरसिस को मेरा नमस्कार, जिसने प्रभु में कड़ी मेहनत की है। 13  प्रभु में चुने हुए रूफुस को और उसकी माँ को मेरा नमस्कार, जो मेरी भी माँ जैसी है। 14  असुक्रितुस, फिलगोन, हिरमेस, पत्रुबास, हिरमास और उनके साथ के भाइयों को मेरा नमस्कार। 15  फिलु-लुगुस और यूलिया, नेरयुस और उसकी बहन और उलुम्पास और उनके साथ के सभी पवित्र जनों को मेरा नमस्कार। 16  पवित्र चुंबन से एक-दूसरे को नमस्कार करो। मसीह की सारी मंडलियाँ तुम्हें नमस्कार भेजती हैं। 17  भाइयो, अब मैं तुमसे गुज़ारिश करता हूँ कि जो लोग उस शिक्षा के खिलाफ जो तुमने पायी है, मंडली में फूट डालते हैं और किसी के लिए विश्‍वास की राह छोड़ देने की वजह* बनते हैं, उन पर नज़र रखो और उनसे दूर रहो।+ 18  क्योंकि इस तरह के आदमी हमारे प्रभु मसीह के दास नहीं हैं, बल्कि अपनी भूख मिटाने* में लगे रहते हैं और वे अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों और तारीफों से सीधे-सादे लोगों के दिलों को बहका देते हैं। 19  सब लोग जान गए हैं कि तुम कितने आज्ञाकारी हो, इसलिए मैं तुम्हारी वजह से खुशी मनाता हूँ। लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम अच्छी बातों के मामले में बुद्धिमान बनो, मगर बुरी बातों के मामले में अनजान रहो।+ 20  शांति देनेवाला परमेश्‍वर बहुत जल्द शैतान को तुम्हारे पैरों तले कुचल देगा।+ हमारे प्रभु यीशु की महा-कृपा तुम पर बनी रहे। 21  मेरा सहकर्मी तीमुथियुस और मेरे रिश्‍तेदार लूकियुस, यासोन और सोसिपत्रुस का तुम्हें नमस्कार।+ 22  मैं तिरतियुस भी, जिसने यह चिट्ठी लिखी है, प्रभु में तुम्हें नमस्कार कहता हूँ। 23  गयुस+ जो मेरा और सारी मंडली का मेज़बान है, तुम्हें नमस्कार कहता है। इरास्तुस जो शहर का खजांची* है और उसके भाई क्वारतुस का तुम्हें नमस्कार। 24 * 25  मैं जो खुशखबरी सुनाता हूँ और यीशु मसीह के बारे में प्रचार करता हूँ उसके ज़रिए परमेश्‍वर तुम्हें मज़बूत कर सकता है। यह खुशखबरी उस पवित्र रहस्य+ के मुताबिक है जिसका खुलासा किया गया है। इस पवित्र रहस्य को पुराने ज़माने से राज़ रखा गया था, 26  मगर अब इसे ज़ाहिर किया जा रहा है। सदा कायम रहनेवाले परमेश्‍वर के आदेश के मुताबिक यह रहस्य, शास्त्र में लिखी भविष्यवाणियों के ज़रिए सब राष्ट्रों को बताया जा रहा है ताकि वे भी विश्‍वास करें और आज्ञा मानें। 27  यीशु मसीह के ज़रिए उस एकमात्र बुद्धिमान परमेश्‍वर+ की सदा महिमा होती रहे। आमीन।

कई फुटनोट

या “पैरवी करनेवाली।”
शा., “अपनी गरदन।”
शा., “के साथ एकता में हैं।”
शा., “ठोकर की वजह।”
या “पेट भरने।”
या “प्रबंधक।”
अति. क3 देखें।