व्यवस्थाविवरण 14:1-29

  • मातम मनाने के गलत तरीके (1, 2)

  • शुद्ध और अशुद्ध खाना (3-21)

  • यहोवा के लिए दसवाँ हिस्सा (22-29)

14  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के बेटे हो। तुम किसी की मौत का मातम मनाने के लिए अपने शरीर पर घाव न करना,+ न ही अपने सिर के सामने के बाल मुँड़वाना,*+  क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र राष्ट्र हो+ और यहोवा ने धरती के सब देशों में से तुम्हें चुना है ताकि वह तुम्हें अपने लोग और अपनी खास जागीर* बनाए।+  तुम कोई भी घिनौनी चीज़ मत खाना।+  तुम ये जानवर खा सकते हो:+ बैल, भेड़, बकरी,  हिरन, चिकारा, छोटा हिरन, जंगली बकरी, नीलगाय, जंगली भेड़ और पहाड़ी भेड़।  तुम ऐसे किसी भी जानवर को खा सकते हो जिसके खुर दो भागों में बँटे होते हैं और जो जुगाली भी करता है।  मगर तुम वे जानवर मत खाना जो या तो जुगाली करते हैं या जिनके खुर दो भागों में बँटे होते हैं: ऊँट, खरगोश और चट्टानी बिज्जू। ये जानवर जुगाली तो करते हैं मगर इनके खुर दो भागों में नहीं बँटे होते। ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।+  तुम सूअर को भी मत खाना क्योंकि उसके खुर तो दो भागों में बँटे होते हैं मगर वह जुगाली नहीं करता। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। तुम ऐसे जानवरों का गोश्‍त न खाना, न ही उनकी लाश छूना।  पानी में रहनेवाले जीव-जंतुओं में से तुम ऐसे हर जीव को खा सकते हो जिसके पंख और छिलके होते हैं।+ 10  लेकिन तुम ऐसे जीवों को मत खाना जिनके पंख और छिलके नहीं होते। वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं। 11  तुम ऐसे किसी भी पक्षी को खा सकते हो जो शुद्ध है। 12  मगर तुम इनमें से किसी को मत खाना: उकाब, समुद्री बाज़, काला गिद्ध,+ 13  लाल चील, काली चील, हर किस्म की चील, 14  हर किस्म का कौवा, 15  शुतुरमुर्ग, उल्लू, धोमरा, हर किस्म का बाज़, 16  छोटा उल्लू, लंबे कानोंवाला उल्लू, हंस, 17  हवासिल, गिद्ध, पन-कौवा, 18  लगलग, हर किस्म का बगुला, हुदहुद और चमगादड़। 19  पंखोंवाला ऐसा हर कीट-पतंगा भी तुम्हारे लिए अशुद्ध है जो झुंड में उड़ता है। इन्हें खाना मना है। 20  तुम उड़नेवाले ऐसे किसी भी जीव को खा सकते हो जो शुद्ध है। 21  तुम ऐसे किसी भी जानवर का गोश्‍त मत खाना जो मरा हुआ पाया जाता है।+ तुम उसे अपने शहरों में* रहनेवाले किसी परदेसी को दे सकते हो। वह उसका गोश्‍त खा सकता है। या मरा हुआ जानवर किसी परदेसी को बेचा जा सकता है। मगर तुम लोग उसे मत खाना क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र राष्ट्र हो। तुम बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में मत उबालना।+ 22  तुम साल-दर-साल अपने खेत की हर फसल का दसवाँ हिस्सा ज़रूर दिया करना।+ 23  तुम्हारा परमेश्‍वर अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनेगा वहाँ तुम अपने अनाज का, अपनी नयी दाख-मदिरा का और तेल का दसवाँ हिस्सा और अपने गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे जानवरों का गोश्‍त अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खाया करना।+ ऐसा करने से तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का हमेशा डर मानना सीखोगे।+ 24  लेकिन अगर तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है+ वह तुम्हारे घर से बहुत दूर है और तुम्हारे पास यहोवा की आशीष से जो संपत्ति है उसका दसवाँ हिस्सा उतनी दूर ले जाना तुम्हारे लिए मुश्‍किल है, 25  तो तुम अपना दसवाँ हिस्सा बेच सकते हो। फिर वह पैसा हाथ में लेकर तुम उस जगह के लिए सफर करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा। 26  वहाँ पहुँचने के बाद तुम उस पैसे से जो चाहे खरीद सकते हो, गाय-बैल, भेड़-बकरी, दाख-मदिरा, कोई दूसरी शराब या कोई भी मन-पसंद चीज़। और तुम अपने घराने के साथ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने भोजन करना और खुशियाँ मनाना।+ 27  तुम अपने शहरों में रहनेवाले लेवियों को नज़रअंदाज़ न करना+ क्योंकि उन्हें तुम्हारे साथ ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है।+ 28  हर तीन साल के आखिर में तुम तीसरे साल की उपज का पूरा-का-पूरा दसवाँ हिस्सा अपने शहरों में ही जमा करना।+ 29  तब तुम्हारे शहरों में रहनेवाले लेवी, जिन्हें तुम्हारे साथ ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है, साथ ही तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसी, अनाथ* और विधवाएँ आकर उस भंडार में से लेंगे और जी-भरकर खाएँगे+ और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हर काम पर आशीष देगा।+

कई फुटनोट

शा., “अपनी आँखों के बीच गंजापन न करना।”
या “अनमोल जायदाद।”
शा., “फाटकों के अंदर।”
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”