व्यवस्थाविवरण 15:1-23

  • हर सातवें साल कर्ज़ माफ (1-6)

  • गरीबों की मदद करना (7-11)

  • हर सातवें साल दासों को आज़ाद करना (12-18)

    • एक सुए से दास का कान छेदना (16, 17)

  • पहलौठे जानवर अलग ठहराना (19-23)

15  हर सातवें साल के आखिर में तुम रिहाई का ऐलान करना।+  इस रिहाई में यह शामिल है: अगर एक आदमी से उसके किसी पड़ोसी ने कर्ज़ लिया है तो लेनदार को चाहिए कि वह इस साल अपने पड़ोसी को, अपने भाई को रिहाई दे और कर्ज़ चुकाने की माँग न करे क्योंकि इस साल यहोवा के सम्मान में रिहाई का ऐलान किया जाएगा।+  तुम परदेसी से कर्ज़ चुकाने की माँग कर सकते हो,+ मगर अपने भाई से कर्ज़ चुकाने की माँग न करना।  तुम्हारे बीच कोई गरीब नहीं होना चाहिए क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश विरासत में देनेवाला है वहाँ यहोवा तुम्हें ज़रूर आशीष देगा,+  बशर्ते तुम सख्ती से अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानो और इन सभी आज्ञाओं का पालन करो जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।+  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें आशीष देगा, जैसे उसने तुमसे वादा किया है और तुम्हारे पास इतना होगा कि तुम बहुत-सी जातियों को उधार* दे सकोगे। तुम्हें कभी उनसे उधार नहीं लेना पड़ेगा।+ तुम बहुत-सी जातियों पर हुक्म चलाओगे, मगर वे तुम पर हुक्म नहीं चलाएँगी।+  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देगा, वहाँ अगर तुम्हारे शहर में कोई इसराएली भाई कंगाल हो जाता है तो तुम उसकी मदद करने से अपना हाथ मत खींच लेना और दिल कठोर न कर लेना।+  इसके बजाय तू खुले हाथ उसे उधार* देना।+ वह अपनी ज़रूरत के हिसाब से तुझसे जितना भी उधार माँगे उसे ज़रूर देना।  सावधान रहना कि तू अपने दिल में यह बुरा खयाल न पनपने दे: ‘अब तो सातवाँ साल, रिहाई का साल नज़दीक है’+ और इस वजह से अपने गरीब भाई की मदद करने से पीछे हट जाए और उसे कुछ न दे। तब अगर वह तेरे खिलाफ यहोवा की दुहाई दे तो तू पापी ठहरेगा।+ 10  जब वह तुझसे माँगे तो उसे दिल खोलकर देना+ और मन में कुड़कुड़ाना मत। तभी तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी मेहनत पर आशीष देगा और तू जो भी काम हाथ में लेगा उसमें तुझे कामयाबी देगा।+ 11  तुम्हारे देश में गरीब हमेशा रहेंगे+ इसीलिए मैं तुम्हें यह आज्ञा देता हूँ, ‘तुम अपने देश में मुसीबत के मारों को और अपने गरीब भाइयों को उदारता से और खुले हाथ से देना।’+ 12  अगर तेरे इब्री भाइयों में से कोई, चाहे वह आदमी हो या औरत, तेरे हाथ बेच दिया जाए और वह तेरे यहाँ दास बनकर छ: साल काम करे तो सातवें साल तू उसे आज़ाद कर देना।+ 13  और जब तू उसे आज़ाद करे तो उसे खाली हाथ मत भेजना। 14  तू अपने भेड़-बकरियों के झुंड में से जानवर, अपने खलिहान से अनाज और अपने हौद से तेल और दाख-मदिरा उसे देना। तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे जितनी आशीष दी होगी, उसके मुताबिक तू उसे देना। 15  मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वहाँ से छुड़ा लाया है। इसीलिए मैं आज तुम्हें ऐसा करने की आज्ञा दे रहा हूँ। 16  लेकिन अगर तेरा दास तुझसे और तेरे घराने से बहुत प्यार करता है और वह तेरे यहाँ रहते वक्‍त बहुत खुश था इसलिए वह तुझसे कहता है कि मैं तुझे छोड़कर नहीं जाऊँगा!+ 17  तो तू उस दास को दरवाज़े के पास ले जाना और एक सुए से उसका कान छेद देना। फिर वह ज़िंदगी-भर के लिए तेरा दास हो जाएगा। अगर तेरी दासी तुझे छोड़कर नहीं जाना चाहती तो उसके साथ भी तू ऐसा ही करना। 18  अगर तू अपने दास को आज़ाद करता है और वह तुझे छोड़कर चला जाता है तो तू यह मत सोचना कि इससे तुझे तकलीफ होगी, क्योंकि उसने छ: साल तेरे यहाँ इतना काम किया है जितना दिहाड़ी पर काम करनेवाला दो गुना मज़दूरी करता है और तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तेरे हर काम पर आशीष दी है। 19  तुम अपने गाय-बैलों और भेड़-बकरियों में से हर पहलौठे को अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए अलग ठहराना।+ तुम अपने पहलौठे बैल से कोई काम न करवाना, न ही भेड़-बकरियों के पहलौठे का ऊन कतरना। 20  तुम साल-दर-साल अपने घराने के साथ, इन पहलौठे जानवरों का गोश्‍त अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने उस जगह खाना जो यहोवा चुनेगा।+ 21  लेकिन अगर तुम्हारा पहलौठा जानवर लँगड़ा या अंधा है या उसमें किसी और तरह का बड़ा दोष है, तो तुम उसे अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए बलि मत करना।+ 22  तुम उसे अपने ही शहरों में* खाना। सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो।+ 23  मगर तुम उसका खून मत खाना+ बल्कि उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+

कई फुटनोट

या “गिरवी की चीज़ लेकर उधार।”
या “गिरवी की चीज़ लेकर उधार।”
शा., “फाटकों के अंदर।”