व्यवस्थाविवरण 16:1-22

  • फसह; बिन-खमीर की रोटी का त्योहार (1-8)

  • कटाई का त्योहार (9-12)

  • छप्परों का त्योहार (13-17)

  • न्यायी ठहराना (18-20)

  • उपासना में किन चीज़ों का इस्तेमाल करना मना है (21, 22)

16  तुम आबीब* महीने को हमेशा याद रखना और उस महीने अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए फसह मनाया करना+ क्योंकि आबीब महीने में तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें रात के वक्‍त मिस्र से बाहर ले आया था।+  तुम अपने भेड़-बकरियों और गाय-बैलों के झुंड से+ अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए फसह का बलिदान चढ़ाना+ और यह बलिदान तुम उस जगह चढ़ाना जो यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा।+  तुम बलि के गोश्‍त के साथ कोई भी खमीरी चीज़ मत खाना।+ तुम सात दिन तक दुख की रोटी यानी बिन-खमीर की रोटी खाना, ठीक जैसे तुमने उस दिन खायी थी जब तुमने हड़बड़ी में मिस्र देश छोड़ा था।+ तुम ऐसा इसलिए करना ताकि तुम्हें सारी ज़िंदगी वह दिन याद रहे जब तुम मिस्र से बाहर आए थे।+  सात दिन तक तुम्हारे इलाके में कहीं भी खमीरा आटा न पाया जाए।+ और पहले दिन की शाम को तुम जो जानवर बलि करोगे उसका कुछ भी गोश्‍त रात-भर, अगली सुबह तक मत बचाकर रखना।+  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है, वहाँ तुम्हें अपनी मरज़ी से किसी भी शहर में फसह की बलि चढ़ाने की इजाज़त नहीं है।  इसके बजाय, तुम यह बलि उसी जगह पर चढ़ाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा। तुम फसह का जानवर शाम को सूरज ढलते ही बलि करना,+ जैसे तुमने मिस्र छोड़ते वक्‍त तय समय पर बलि किया था।  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जो जगह चुनेगा+ वहीं पर तुम इसका गोश्‍त पकाना और खाना।+ फिर सुबह तुम अपने-अपने तंबू में लौट सकते हो।  तुम छ: दिन बिन-खमीर की रोटियाँ खाना और सातवें दिन तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए एक पवित्र सभा होगी। उस दिन तुम कोई काम मत करना।+  जिस दिन तुम अपने खेत में खड़ी फसल पर पहली बार हँसिया चलाओगे, उस दिन से तुम सात हफ्ते गिनना।+ 10  सात हफ्ते बीतने पर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए कटाई का त्योहार मनाना।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जितनी आशीष दी होगी उसके हिसाब से तुम स्वेच्छा-बलि लाकर अर्पित करना।+ 11  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों, अपने शहरों के* लेवियों, तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसियों, अनाथों* और विधवाओं के साथ उस जगह खुशियाँ मनाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा।+ 12  मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे+ और तुम इन सभी कायदे-कानूनों को मानना और इनके मुताबिक चलना। 13  जब तुम अपने खलिहान से अनाज इकट्ठा करोगे और अपने हौद से तेल और दाख-मदिरा जमा करोगे तब तुम सात दिन के लिए छप्परों का त्योहार मनाना।+ 14  इस त्योहार के दौरान तुम खुशियाँ मनाना।+ तुम अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों और उन लेवियों, परदेसियों, अनाथों और विधवाओं के साथ खुशियाँ मनाना जो तुम्हारे शहरों में रहते हैं। 15  तुम सात दिन तक अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए उस जगह त्योहार मनाना+ जो यहोवा चुनता है क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारी फसलों पर और तुम्हारे सभी कामों पर आशीष देगा+ जिससे तुम ज़रूर खुशियाँ मनाओगे।+ 16  साल में तीन बार सभी आदमी अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हुआ करें। बिन-खमीर की रोटी के त्योहार,+ कटाई के त्योहार+ और छप्परों के त्योहार+ के लिए उन्हें उस जगह हाज़िर होना है जो परमेश्‍वर चुनेगा। कोई भी आदमी यहोवा के सामने खाली हाथ न आए। 17  तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुममें से हरेक को जितनी आशीष दी होगी उस हिसाब से वह परमेश्‍वर के लिए भेंट लेकर आए।+ 18  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है वहाँ के सभी शहरों में* तुम हर गोत्र के लिए न्यायी+ और अधिकारी ठहराना। उन्हें लोगों के मामलों का न्याय सच्चाई से करना चाहिए। 19  तुम गलत फैसला सुनाकर अन्याय न करना,+ न किसी का पक्ष लेना+ और न ही किसी से रिश्‍वत लेना, क्योंकि रिश्‍वत एक बुद्धिमान इंसान को भी अंधा कर सकती है+ और एक नेक इंसान से भी झूठ बुलवा सकती है। 20  तुम सिर्फ और सिर्फ न्याय करना+ ताकि तुम जीते रहो और उस देश को अपने अधिकार में कर लो जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है। 21  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए जो वेदी बनाओगे उसके पास कोई पेड़ लगाकर उसे पूजा-लाठ* की तरह मत पूजना।+ 22  तुम अपने लिए कोई पूजा-स्तंभ भी न खड़ा करना+ क्योंकि ऐसी चीज़ से तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा नफरत करता है।

कई फुटनोट

अति. ख15 देखें।
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
शा., “फाटकों के अंदर।”
शा., “फाटकों के अंदर।”
शब्दावली देखें।