व्यवस्थाविवरण 21:1-23

  • कत्ल का अनसुलझा मामला (1-9)

  • बंदी बनायी गयी औरतों से शादी (10-14)

  • पहलौठे का हक (15-17)

  • एक ढीठ बेटा (18-21)

  • काठ पर लटकाया इंसान शापित (22, 23)

21  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जो देश तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, वहाँ अगर कहीं मैदान में किसी आदमी की लाश मिलती है और कोई नहीं जानता कि उसका खून किसने किया है,  तो तुम्हारे मुखिया और न्यायी+ उस जगह जाएँ और वहाँ से आस-पास के शहरों की दूरी नापें।  फिर जो शहर सबसे नज़दीक पड़ता है वहाँ के मुखियाओं को एक ऐसी गाय लेनी चाहिए जिससे अब तक काम नहीं लिया गया है और जो जुए में नहीं जोती गयी है।  मुखिया उस गाय को एक ऐसी घाटी में ले जाएँ जहाँ पानी की धारा बहती हो और जहाँ कभी जुताई-बोआई न की गयी हो। और वे वहीं घाटी में उस गाय का गला काटकर उसे मार डालें।+  तब लेवी याजक वहाँ आएँगे क्योंकि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने उन्हें इसलिए चुना है कि वे उसकी सेवा करें+ और यहोवा के नाम से लोगों को आशीर्वाद देंगे।+ वे बताएँगे कि खून-खराबे का हर मामला कैसे निपटाया जाए।+  फिर उस नज़दीकी शहर के सभी मुखिया उस गाय के ऊपर अपने हाथ धोएँ,+ जिसे घाटी में गला काटकर मार डाला गया है  और कहें, ‘न हमारे हाथों ने यह खून बहाया है और न ही हमारी आँखों ने यह खून होते देखा है।  इसलिए हे यहोवा, तू अपने लोगों को, इसराएलियों को इसके लिए ज़िम्मेदार मत ठहरा जिन्हें तू छुड़ाकर लाया है+ और उस बेगुनाह के खून का दोष अपने इसराएली लोगों से मिटा दे।’+ तब उस इंसान के खून का दोष तुम पर नहीं आएगा।  इस तरह तुम उस बेगुनाह के खून का दोष अपने बीच से मिटा दोगे क्योंकि तुमने वही किया होगा जो यहोवा की नज़र में सही है। 10  जब तू कभी अपने दुश्‍मनों से युद्ध करने जाए और तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी तरफ से लड़कर उन्हें हरा दे और तू उन्हें बंदी बना ले+ 11  तब अगर तू उन बंदियों में से किसी खूबसूरत औरत को देखता है और वह तुझे बहुत पसंद आती है और तू उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता है, 12  तो तू उसे अपने घर ला सकता है। उस औरत को अपना सिर मुँड़ाना चाहिए, अपने नाखून काटने चाहिए 13  और अपनी वह पोशाक बदल लेनी चाहिए जिसे पहने वह बँधुआई में आयी थी। वह तेरे घर में रहेगी और पूरे एक महीने तक अपने माँ-बाप के लिए मातम मनाएगी।+ इसके बाद तू उसे अपनी पत्नी बना सकता है और उसके साथ संबंध रख सकता है। 14  लेकिन बाद में अगर तू उससे खुश न हो तो तुझे चाहिए कि तू उस औरत को भेज दे,+ वह जहाँ जाना चाहे वहाँ उसे जाने दे। मगर तुझे उस औरत को पैसे के लिए नहीं बेचना चाहिए और न ही उसके साथ बदसलूकी करनी चाहिए, क्योंकि तूने उसे ज़बरदस्ती पत्नी बनाया था। 15  मान लो किसी आदमी की दो पत्नियाँ हैं और वह एक को दूसरे से ज़्यादा प्यार करता है।* दोनों पत्नियों से उसके बेटे होते हैं, मगर पहलौठा उस पत्नी का है जिससे वह कम प्यार करता है।+ 16  जब अपने बेटों में जायदाद बाँटने का दिन आएगा तो उसे यह इजाज़त नहीं कि वह अपने पहलौठे का यानी जिस पत्नी से वह कम प्यार करता है उसके बेटे का हक छीन ले और अपनी चहेती पत्नी के बेटे को पहलौठे का दर्जा दे दे। 17  उस आदमी को उसी पत्नी के बेटे को अपना पहलौठा मानना होगा जिससे वह कम प्यार करता है और उसी बेटे को अपनी हर चीज़ का दुगना हिस्सा देना होगा, क्योंकि वही बेटा उसकी शक्‍ति* की पहली निशानी है। पहलौठे के नाते उस बेटे का जो हक है वह उसी का रहेगा।+ 18  अगर किसी आदमी का बेटा ढीठ और बागी है और अपने माँ-बाप का कहना नहीं मानता+ और उसके माँ-बाप उसे सुधारने की बहुत कोशिश करते हैं, पर वह उनकी एक नहीं सुनता+ 19  तो उसके माँ-बाप को उसे पकड़कर अपने शहर के फाटक पर मुखियाओं के पास लाना चाहिए 20  और मुखियाओं को यह बताना चाहिए, ‘हमारा यह बेटा ढीठ और बागी है, यह हमारा कहना बिलकुल नहीं मानता। यह पेटू+ और पियक्कड़ है।’+ 21  तब शहर के सारे आदमी उसे पत्थरों से मार डालें। इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना। जब इसराएल के सभी लोग इस बारे में सुनेंगे तो वे डरेंगे।+ 22  अगर किसी आदमी ने ऐसा पाप किया है जिसकी सज़ा मौत है और तुम उसे मार डालने के बाद+ काठ पर लटका देते हो,+ 23  तो उसकी लाश पूरी रात काठ पर न लटकी रहे।+ इसके बजाय, जिस दिन तुम उस आदमी को मौत की सज़ा देते हो उसी दिन उसकी लाश दफना देना, क्योंकि हर वह इंसान जो काठ पर लटकाया जाता है वह परमेश्‍वर की तरफ से शापित ठहरता है।+ तुम अपने देश को दूषित मत करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है।+

कई फुटनोट

शा., “दो पत्नियाँ हैं, एक से वह प्यार करता है और दूसरी से नफरत।”
या “संतान पैदा करने की शक्‍ति।”