व्यवस्थाविवरण 23:1-25

  • कौन परमेश्‍वर की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता (1-8)

  • छावनी की शुद्धता (9-14)

  • अगर दास भाग जाए (15, 16)

  • वेश्‍या के काम की मनाही (17, 18)

  • ब्याज और मन्‍नतें (19-23)

  • बाग या खेत से गुज़रनेवाले क्या खा सकते हैं (24, 25)

23  ऐसा कोई भी आदमी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता जिसने अपने अंड कुचलवाए हों या अपना लिंग कटवा दिया हो।+  ऐसा कोई भी आदमी जो नाजायज़ औलाद है, यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।+ दसवीं पीढ़ी तक उसके वंशजों में से कोई भी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।  कोई भी अम्मोनी या मोआबी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।+ दसवीं पीढ़ी तक उनके वंशजों में से कोई भी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता  क्योंकि जब तुम मिस्र से निकलने के बाद सफर कर रहे थे तो उन्होंने तुम्हें खाना-पानी देकर तुम्हारी मदद नहीं की+ और तुम्हें शाप देने के लिए मेसोपोटामिया के पतोर से बओर के बेटे बिलाम को पैसा देकर बुलाया था।+  मगर तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने बिलाम की बात नहीं मानी+ और यहोवा ने उसके शाप को तुम्हारे लिए आशीष में बदल दिया,+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुमसे प्यार करता है।+  तुम जीते-जी कभी-भी उनकी शांति और खुशहाली के लिए कुछ मत करना।+  तुम किसी एदोमी से नफरत मत करना क्योंकि एदोमी लोग तुम्हारे भाई हैं।+ तुम किसी मिस्री से नफरत मत करना क्योंकि तुम उनके देश में परदेसी हुआ करते थे।+  उनकी तीसरी पीढ़ी के लोग यहोवा की मंडली का हिस्सा बन सकते हैं।  अगर तुम दुश्‍मनों से युद्ध करने के लिए कहीं छावनी डालते हो, तो उस दौरान तुम ध्यान रखना कि तुम किसी भी तरह से दूषित न हो जाओ।+ 10  अगर एक आदमी रात को वीर्य निकलने की वजह से अशुद्ध हो जाता है,+ तो उसे छावनी से बाहर चले जाना चाहिए और वहीं रहना चाहिए। 11  शाम को सूरज ढलने के बाद उसे नहाना चाहिए और उसके बाद वह छावनी में आ सकता है।+ 12  तुम छावनी के बाहर शौच के लिए एक अलग जगह तय करना और जब भी ज़रूरत हो वहीं जाना। 13  तुम अपने साथ जो औज़ार रखते हो उनमें खुरपी भी होनी चाहिए। जब तुम छावनी के बाहर शौच के लिए जाते हो तो तुम खुरपी से एक गड्‌ढा खोदना और उसमें मल-त्याग करने के बाद मिट्टी से ढाँप देना। 14  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें दुश्‍मनों से छुड़ाने और उन्हें तुम्हारे हाथ में करने के लिए छावनी में तुम्हारे बीच चला-फिरा करता है।+ इसलिए तुम्हारी छावनी हमेशा शुद्ध रहे+ ताकि ऐसा न हो कि परमेश्‍वर तुम्हारे बीच कुछ घिनौना देखे और तुम्हारा साथ छोड़कर चला जाए। 15  अगर कोई दास अपने मालिक के यहाँ से भाग जाता है और तुम्हारे पास आता है, तो तुम उसे वापस ले जाकर उसके मालिक के हाथ मत सौंप देना। 16  वह तुम्हारे ही किसी शहर में तुम्हारे बीच जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। तुम उसके साथ बदसलूकी मत करना।+ 17  इसराएलियों की कोई भी लड़की मंदिर की वेश्‍या न बने,+ न ही कोई इसराएली लड़का मंदिर में आदमियों के साथ संभोग करनेवाला बने।+ 18  ऐसा आदमी* या औरत मन्‍नत पूरी करने के लिए अपनी बदचलनी की कमाई तेरे परमेश्‍वर यहोवा के भवन में नहीं ला सकता, क्योंकि वे दोनों तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौने हैं। 19  जब तुम अपने एक इसराएली भाई को कुछ उधार देते हो तो उससे ब्याज मत लेना,+ फिर चाहे वह पैसा हो या खाने की चीज़ें या ऐसी कोई और चीज़ हो जिस पर ब्याज लगाया जा सकता है। 20  तुम एक परदेसी से ब्याज ले सकते हो,+ मगर अपने भाई से ब्याज की माँग मत करना+ ताकि तुम जिस देश को अपने अधिकार में करनेवाले हो वहाँ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हर काम पर आशीष दे।+ 21  अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए कोई मन्‍नत मानते हो+ तो उसे पूरा करने में देर मत करना।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुमसे ज़रूर इसकी माँग करेगा। अगर तुम उसे पूरा नहीं करते तो तुम पापी ठहरोगे।+ 22  लेकिन अगर तुम कोई मन्‍नत नहीं मानते तो तुम पाप के दोषी नहीं हो।+ 23  तुमने जो वादा किया है उसे ज़रूर पूरा करना।+ तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए जो मन्‍नत मानते हो वह उसके लिए स्वेच्छा-बलि है। तुम उसे ज़रूर पूरा करना।+ 24  तुम अपने पड़ोसी के अंगूरों के बाग में से जी-भरकर अंगूर खा सकते हो, मगर अपने बरतन में एक भी अंगूर डालकर मत ले जाना।+ 25  अगर तुम अपने पड़ोसी के खेत में जाते हो तो तुम उसकी खड़ी फसल में से पकी बालें तोड़कर खा सकते हो, मगर तुम उसकी फसल पर हँसिया मत चलाना।+

कई फुटनोट

शा., “कुत्ता।”