व्यवस्थाविवरण 34:1-12

  • यहोवा ने मूसा को देश दिखाया (1-4)

  • मूसा की मौत (5-12)

34  इसके बाद मूसा मोआब के वीरानों से नबो पहाड़ पर गया,+ जो यरीहो के सामने है+ और पिसगा की चोटी पर चढ़ा।+ वहाँ यहोवा ने उसे पूरा देश दिखाया, गिलाद से दान+ तक  और नप्ताली का पूरा इलाका और एप्रैम और मनश्‍शे का इलाका, दूर पश्‍चिम के सागर* तक यहूदा का पूरा इलाका,+  नेगेब+ का इलाका और वह ज़िला,+ जिसमें खजूर के पेड़ों के शहर यरीहो घाटी का मैदान आता है जो दूर सोआर+ तक फैला है।  फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “यही है वह देश जिसके बारे में मैंने शपथ खाकर अब्राहम, इसहाक और याकूब से यह कहा था, ‘यह देश मैं तेरे वंश को दूँगा।’+ मैंने तुझे यह देश देखने का मौका दिया है और तूने खुद अपनी आँखों से इसे देखा है, मगर तू उस पार नहीं जाएगा।”+  इसके बाद वहीं मोआब देश में यहोवा के सेवक मूसा की मौत हो गयी, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था।+  उसने मूसा को मोआब देश की घाटी में बेतपोर के सामने दफना दिया। आज तक कोई नहीं जानता कि मूसा की कब्र कहाँ है।+  जब मूसा की मौत हुई तब वह 120 साल का था।+ इस उम्र में भी उसकी नज़र धुँधली नहीं पड़ी थी और अभी-भी उसमें दमखम था।  इसराएल के लोग मोआब के वीरानों में 30 दिन तक मूसा के लिए रोते रहे।+ फिर मूसा के लिए रोने और मातम मनाने के दिन खत्म हुए।  यहोशू जो नून का बेटा था, बुद्धि* से भरपूर था क्योंकि मूसा ने उस पर अपना हाथ रखा था।+ इसके बाद से इसराएली यहोशू की बात मानने लगे और उन्होंने ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+ 10  आज तक इसराएल में मूसा के जैसा भविष्यवक्‍ता कभी नहीं हुआ+ जिसे यहोवा करीब से जानता* था।+ 11  यहोवा ने उसे मिस्र देश में फिरौन और उसके सभी अधिकारियों के सामने और उसके पूरे देश में जो-जो चिन्ह और चमत्कार करने के लिए भेजा था, वह सब उसने किए थे।+ 12  मूसा ने पूरे इसराएल के सामने भी बड़े-बड़े शक्‍तिशाली और आश्‍चर्य के काम किए थे।+

कई फुटनोट

यानी महासागर, भूमध्य सागर।
या “परमेश्‍वर की शक्‍ति से मिली बुद्धि।”
शा., “रू-ब-रू।”