व्यवस्थाविवरण 6:1-25

  • पूरे दिल से यहोवा से प्यार करो (1-9)

    • “हे इसराएल सुन” (4)

    • माता-पिता बच्चों को सिखाएँ (6, 7)

  • यहोवा को भूल मत जाना (10-15)

  • यहोवा की परीक्षा न लेना (16-19)

  • अगली पीढ़ी को बताना (20-25)

6  तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने मुझे ये आज्ञाएँ, कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत तुम्हें सिखाने के लिए दिए हैं ताकि तुम यरदन पार करके जिस देश को अपने अधिकार में करोगे, वहाँ तुम इनका पालन करो  और सारी ज़िंदगी अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानो और उसकी सभी विधियों और आज्ञाओं का पालन करो, जो मैं तुम्हारे लिए और तुम्हारे बेटों और पोतों के लिए दे रहा हूँ+ जिससे कि तुम एक लंबी ज़िंदगी जी सको।+  हे इसराएल, तू इन आज्ञाओं को ध्यान से सुनना और सख्ती से इनका पालन करना। फिर तू उस देश में, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं, खुशहाल रहेगा और गिनती में बढ़ जाएगा, ठीक जैसे तेरे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा ने तुझसे वादा किया है।  हे इसराएल सुन, हमारा परमेश्‍वर यहोवा एक ही यहोवा है।+  तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से पूरे दिल, पूरी जान*+ और पूरी ताकत* से प्यार करना।+  आज मैं तुझे जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, वे तेरे दिल में बनी रहें।  और तू इन्हें अपने बेटों के मन में बिठाना*+ और अपने घर में बैठे, सड़क पर चलते, लेटते, उठते इनके बारे में उनसे चर्चा करना।+  तू इन आज्ञाओं को यादगार के लिए अपने हाथ पर बाँध लेना और माथे की पट्टी की तरह सिर पर* लगाए रखना।+  तू इन्हें अपने घर के दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर और शहर के फाटकों पर लिखना। 10  जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसे देने के बारे में उसने तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से शपथ खायी थी,+ तो वह तुम्हें वहाँ बड़े-बड़े खूबसूरत शहर देगा जिन्हें तुमने नहीं बनाया+ 11  और ऐसे घर देगा जो हर तरह की बढ़िया चीज़ों से भरे होंगे जिनके लिए तुमने कोई मेहनत नहीं की, ज़मीन में खुदे हुए हौद देगा जिन्हें तुमने नहीं खोदा, अंगूरों के बाग और जैतून के पेड़ देगा जिन्हें तुमने नहीं लगाया। जब तुम खाओगे और संतुष्ट हो जाओगे,+ 12  तो सावधान रहना कि कहीं तुम यहोवा को भूल न जाओ+ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया है। 13  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना+ और उसी की सेवा करना+ और उसके नाम से शपथ लेना।+ 14  तुम दूसरे देवताओं के पीछे न जाना, अपने आस-पास की जातियों के किसी भी देवता के पीछे न जाना+ 15  क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा, जो तुम्हारे बीच मौजूद है, माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।+ अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के क्रोध की ज्वाला तुम पर भड़क उठेगी+ और वह धरती से तुम्हारा नामो-निशान मिटा देगा।+ 16  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की परीक्षा न लेना+ जैसे तुमने मस्सा में उसकी परीक्षा ली थी।+ 17  तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जो आज्ञाएँ और कायदे-कानून दिए हैं और जो हिदायतें याद दिलायी हैं, उन्हें तुम पूरी लगन से मानना। 18  तुम वही करना जो यहोवा की नज़र में सही और भला है ताकि तुम खुशहाल रहो और उस बढ़िया देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लो जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 19  तुम अपने सामने से अपने सभी दुश्‍मनों को खदेड़ दोगे, ठीक जैसे यहोवा ने वादा किया है।+ 20  भविष्य में जब तुम्हारे बेटे तुमसे पूछेंगे, ‘हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें ये कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत और याद दिलाने के लिए हिदायतें क्यों दी हैं?’ 21  तो तुम उनसे कहना, ‘हम मिस्र में फिरौन के गुलाम थे, मगर यहोवा अपने शक्‍तिशाली हाथ से हमें मिस्र से निकाल लाया। 22  यहोवा ने हमारी आँखों के सामने मिस्र में बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार किए,+ जिससे पूरा मिस्र और फिरौन और उसका पूरा घराना तबाह हो गया।+ 23  फिर वह हमें वहाँ से निकालकर यहाँ ले आया ताकि हमें यह देश दे जिसके बारे में उसने हमारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 24  फिर यहोवा ने हमें आज्ञा दी कि हम इन सभी कायदे-कानूनों का पालन करें और अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानें जिससे हमेशा हमारा भला हो+ और हम जीते रहें,+ जैसे कि आज हम जीवित हैं। 25  अगर हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा के मुताबिक* इन सारे नियमों को सख्ती से मानेंगे तो हम उसकी नज़र में नेक ठहरेंगे।’+

कई फुटनोट

शब्दावली में “जीवन” देखें।
या “तुझमें जो दमखम है; तेरे पास जो कुछ है।”
या “के सामने दोहराना; मन पर छापना।”
शा., “अपनी आँखों के बीच।”
शा., “यहोवा के सामने।”