श्रेष्ठगीत 7:1-13

  • राजा (1-9क)

    • ‘मेरी जान, तू मन मोह लेनेवाली है’ (6)

  • जवान लड़की (9ख-13)

    • “मैं बस अपने साजन की हूँ और वह भी मेरे लिए तड़पता है” (10)

7  “ऐ भली लड़की,जूतियों में तेरे ये पाँव कितने हसीन हैं! तेरी सुडौल जाँघें गहनों जैसी सुंदर हैं,मानो किसी कारीगर ने इन्हें तराशा हो।   तेरी नाभि गोल कटोरे जैसी है,यह हमेशा मसालेवाली दाख-मदिरा से छलकती रहे। तेरा पेट ऐसा है मानो गेहूँ का ढेर लगा हो,जिसके इर्द-गिर्द सोसन* के फूल बिछे हों।   तेरे स्तन हिरन के दो बच्चों जैसे हैं,हाँ, चिकारे के जुड़वाँ बच्चों जैसे।+   तेरी गरदन+ हाथी-दाँत से बनी मीनार है,+तेरी आँखें+ हेशबोन+ की झील जैसी हैं,जो बत-रब्बीम के फाटक के पास है। तेरी नाक लबानोन की मीनार जैसी है,जो दमिश्‍क की ओर मुँह किए है।   तेरे सिर की शोभा करमेल जैसी,+तेरी* लटें+ बैंजनी ऊन जैसी हैं,+ तेरी लहराती ज़ुल्फों पर राजा फिदा है।*   ऐ मेरी जान, तू कितनी सुंदर है, मन मोह लेनेवाली है,तू मुझे बहुत खुशी देती है!   तेरी कद-काठी खजूर के पेड़ जैसी हैऔर तेरे स्तन खजूर के गुच्छे जैसे।+   मैंने कहा, ‘मैं खजूर के पेड़ पर चढ़ूँगाऔर उसके फल तोड़ूँगा।’ तेरे स्तन अंगूर के गुच्छों की तरह बने रहें,तेरी साँसें सेब की तरह महकती रहें   और तेरा मुँह बढ़िया दाख-मदिरा से छलकता रहे।” “यह मेरे साजन के होंठों को छूती हुई,उसके गले से आहिस्ता-आहिस्ता नीचे उतरे। 10  मैं बस अपने साजन की हूँ+और वह भी मेरे लिए तड़पता है। 11  ओ मेरे साजन, आ जा,आ, हम बाहर मैदानों में चलें,मेंहदी की झाड़ियों+ के बीच बैठें। 12  सवेरे-सवेरे अंगूरों के बाग में चलें,देखें कि उसकी बेलों पर कोपलें आयी हैं या नहीं,उस पर फूल खिले हैं+ या नहीं,अनार की डालियों पर कलियाँ फूटी हैं या नहीं।+ वहाँ मैं तुझको अपना प्यार जताऊँगी।+ 13  दूदाफल+ से समाँ महक रहा है,हमारे दरवाज़े पर हर किस्म के बढ़िया-बढ़िया फल हैं।+ ओ मेरे साजन, मैंने तेरे लिए ताज़ेऔर सुखाए गए* फल सँभालकर रखे हैं।

कई फुटनोट

या “लिली।”
शा., “तेरे सिर की।”
या “में राजा कैद हो गया है।”
शा., “पुराने।”