पहला इतिहास 16:1-43

  • संदूक एक तंबू में रखा गया (1-6)

  • दाविद का धन्यवाद का गीत (7-36)

    • “यहोवा राजा बना है!” (31)

  • संदूक के सामने सेवा (37-43)

16  फिर वे सच्चे परमेश्‍वर का संदूक ले आए और उसे उस तंबू के अंदर रख दिया जो दाविद ने उसके लिए खड़ा किया था।+ उन्होंने सच्चे परमेश्‍वर के सामने होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं।+  जब दाविद ये बलियाँ चढ़ा चुका,+ तो उसने यहोवा के नाम से लोगों को आशीर्वाद दिया।  और उसने सभी इसराएलियों में से हर आदमी और हर औरत को एक गोल रोटी, एक खजूर की टिकिया और एक किशमिश की टिकिया दी।  फिर उसने कुछ लेवियों को यहोवा के संदूक के सामने सेवा करने, इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा का आदर करने,* उसका शुक्रिया अदा करने और उसकी बड़ाई करने के लिए ठहराया।+  आसाप+ मुखिया था और दूसरे पद पर जकरयाह था। यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मतित्याह, एलीआब, बनायाह, ओबेद-एदोम और यीएल+ तारोंवाले बाजे और सुरमंडल बजाते थे,+ आसाप झाँझ बजाता था+  और याजक बनायाह और याजक यहजीएल सच्चे परमेश्‍वर के करार के संदूक के सामने लगातार तुरहियाँ फूँकते थे।  उसी दिन दाविद ने पहली बार यहोवा के लिए धन्यवाद का एक गीत रचा और आसाप और उसके भाइयों को वह गीत गाने की हिदायत दी।+ वह गीत यह था:   “यहोवा का शुक्रिया अदा करो,+ उसका नाम पुकारो,उसके कामों के बारे में देश-देश के लोगों को बताओ!+   उसके लिए गीत गाओ, उसकी तारीफ में गीत गाओ,*+उसके सभी आश्‍चर्य के कामों पर गहराई से सोचो।*+ 10  गर्व से उसके पवित्र नाम का बखान करो।+ यहोवा की खोज करनेवालों का दिल मगन हो।+ 11  यहोवा और उससे मिलनेवाली ताकत की खोज करो।+ उसकी मंज़ूरी पाने की कोशिश करो।+ 12  उसने जो आश्‍चर्य के काम और चमत्कार किए,जो फैसले सुनाए उन्हें याद करो,+ 13  तुम जो उसके सेवक इसराएल का वंश हो,+याकूब के बेटे और उसके चुने हुए लोग हो,+ उन्हें याद करो। 14  वह हमारा परमेश्‍वर यहोवा है।+ उसके किए फैसले सारी धरती पर लागू हैं।+ 15  उसका करार सदा तक याद रखो,वह वादा जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए किया है,*+ 16  वह करार जो उसने अब्राहम से किया था,+वह शपथ जो उसने इसहाक से खायी थी+ 17  और जिसे याकूब के लिए एक आदेश+और इसराएल के लिए सदा का करार बना दिया था 18  और कहा था, ‘मैं तुम्हें कनान देश दूँगा+ताकि यह तुम्हारी तय विरासत हो।’+ 19  यह उसने तब कहा था जब तुम गिनती में कम थे,हाँ, तुम बहुत कम थे और उस देश में परदेसी थे।+ 20  वे एक देश से दूसरे देश में,एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते थे।+ 21  उसने किसी इंसान को उन्हें सताने नहीं दिया,+इसके बजाय, उनकी खातिर राजाओं को फटकारा,+ 22  उनसे कहा, ‘मेरे अभिषिक्‍त जनों को हाथ मत लगाना,मेरे भविष्यवक्‍ताओं के साथ कुछ बुरा न करना।’+ 23  सारी धरती के लोगो, यहोवा के लिए गीत गाओ! वह जो उद्धार दिलाता है, रोज़-ब-रोज़ उसका ऐलान करो!+ 24  राष्ट्रों में उसकी महिमा का ऐलान करो,देश-देश के लोगों में उसके अजूबों का ऐलान करो। 25  क्योंकि यहोवा महान है, सबसे ज़्यादा तारीफ के काबिल है। सभी देवताओं से बढ़कर विस्मयकारी है।+ 26  देश-देश के लोगों के सभी देवता निकम्मे हैं,+मगर यहोवा ने ही आकाश बनाया।+ 27  उसके सामने प्रताप* और वैभव है,+उसके निवास-स्थान में शक्‍ति और आनंद है।+ 28  देश-देश के सभी घरानो, यहोवा का आदर करो,यहोवा का आदर करो क्योंकि वह महिमा और ताकत से भरपूर है।+ 29  यहोवा का नाम जितनी महिमा का हकदार है उतनी महिमा उसे दो,+भेंट लेकर उसके सामने आओ।+ पवित्र पोशाक पहने* यहोवा को दंडवत करो।*+ 30  सारी धरती के लोगो, उसके सामने थर-थर काँपो! पृथ्वी* मज़बूती से कायम की गयी है, यह हिलायी नहीं जा सकती।+ 31  आसमान मगन हो, धरती आनंद मनाए,+राष्ट्रों में ऐलान करो, ‘यहोवा राजा बना है!’+ 32  समुंदर और उसमें जो भी है, खुशी से गरजें।मैदान और उनमें जो भी है, खुशियाँ मनाएँ। 33  जंगल के पेड़ भी यहोवा के सामने खुशी से जयजयकार करें,क्योंकि वह धरती का न्याय करने आ रहा है।* 34  यहोवा का शुक्रिया अदा करो क्योंकि वह भला है,+उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।+ 35  और कहो, ‘हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, हमें बचा ले,+हमें दूसरे राष्ट्रों से इकट्ठा करके छुड़ा लेताकि हम तेरे पवित्र नाम की तारीफ करें+और तेरी तारीफ करने+ में बहुत खुशी पाएँ। 36  इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।’” तब सब लोगों ने कहा, “आमीन!”* और उन्होंने यहोवा की बड़ाई की। 37  फिर दाविद ने आसाप और उसके भाइयों को यहोवा के करार के संदूक के सामने ठहराया+ ताकि वे हर दिन के नियम के मुताबिक संदूक के सामने लगातार सेवा करते रहें।+ 38  ओबेद-एदोम और उसके भाइयों की गिनती 68 थी। उसने यदूतून के बेटे ओबेद-एदोम और होसे को पहरेदार ठहराया। 39  याजक सादोक+ और उसके साथी याजकों को गिबोन में ऊँची जगह+ पर ठहराया ताकि वे यहोवा के पवित्र डेरे के सामने 40  होम-बलि की वेदी पर सुबह-शाम नियमित तौर पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ चढ़ाएँ और वे सारे काम करें जो यहोवा के कानून में लिखे गए थे और जिनकी आज्ञा उसने इसराएल को दी थी।+ 41  उनके साथ हेमान, यदूतून+ और चुनिंदा आदमियों में से बाकी लोग भी थे जिन्हें नाम से चुना गया था ताकि वे यहोवा का शुक्रिया अदा करें+ क्योंकि “उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”+ 42  और उनके साथ उसने हेमान+ और यदूतून को तुरहियाँ फूँकने, झाँझ बजाने और सच्चे परमेश्‍वर की तारीफ में दूसरे साज़* बजाने का काम सौंपा और यदूतून के बेटों+ को फाटक पर ठहराया। 43  इसके बाद सब लोग अपने-अपने घर लौट गए और दाविद अपने घराने को आशीर्वाद देने के लिए गया।

कई फुटनोट

शा., “को याद करने।”
या “संगीत बजाओ।”
या शायद, “के बारे में बताओ।”
शा., “उस वचन को, जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए ठहराया है।”
या “गरिमा।”
या “की उपासना करो।”
या शायद, “उसकी पवित्रता के वैभव की वजह से।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “आ गया है।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “ऐसा ही हो!”
या “परमेश्‍वर के गीतों के साज़।”