पहला इतिहास 22:1-19

  • मंदिर की तैयारियाँ (1-5)

  • सुलैमान को हिदायतें (6-16)

  • हाकिमों को आज्ञा (17-19)

22  फिर दाविद ने कहा, “यह सच्चे परमेश्‍वर यहोवा का भवन है और यह इसराएल के लिए होम-बलि की वेदी है।”+  फिर दाविद ने हुक्म दिया कि इसराएल में जो परदेसी रहते हैं,+ उन सबको इकट्ठा किया जाए। उसने उन्हें सच्चे परमेश्‍वर का भवन बनाने के लिए पत्थर काटने और गढ़ने का काम सौंपा।+  दाविद ने दरवाज़ों के कीलों और जोड़ों के लिए ढेर सारा लोहा इकट्ठा किया और उसने इतना ताँबा इकट्ठा किया कि उसे तौला नहीं जा सकता था।+  उसने देवदार की बेहिसाब लकड़ियाँ+ जमा कीं, क्योंकि सीदोन और सोर के लोगों+ ने भारी तादाद में देवदार की लकड़ी लाकर दाविद को दी थी।  दाविद ने कहा, “मेरा बेटा सुलैमान अभी लड़का ही है और उसे कोई तजुरबा नहीं है*+ और यहोवा के लिए ऐसा भवन बनाया जाना है जो इतना आलीशान और सुंदर हो कि पूरी दुनिया में उसकी शान के चर्चे हों।+ इसलिए सुलैमान की खातिर मैं भवन बनाने की तैयारियाँ करूँगा।” दाविद ने अपनी मौत से पहले ढेर सारा सामान इकट्ठा किया।  साथ ही उसने अपने बेटे सुलैमान को बुलाया और उसे हिदायत दी कि वह इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के लिए एक भवन बनाए।  दाविद ने अपने बेटे सुलैमान से कहा, “यह मेरी दिली तमन्‍ना थी कि मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाऊँ।+  मगर यहोवा का यह संदेश मुझे दिया गया: ‘तूने बहुत सारा खून बहाया है और बड़े-बड़े युद्ध किए हैं। तू मेरे नाम की महिमा के लिए भवन नहीं बनाएगा,+ क्योंकि तूने धरती पर बहुत सारा खून बहाया है।  मगर देख, तेरा एक बेटा होगा,+ जो शांति लानेवाला होगा और मैं उसे आस-पास के सभी दुश्‍मनों से राहत दिलाऊँगा,+ क्योंकि उसका नाम सुलैमान*+ होगा और मैं उसके दिनों में शांति और चैन की आशीष दूँगा।+ 10  वही मेरे नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाएगा।+ वह मेरा बेटा होगा और मैं उसका पिता होऊँगा।+ मैं इसराएल पर उसकी राजगद्दी सदा के लिए मज़बूती से कायम करूँगा।’+ 11  इसलिए बेटे, मैं दुआ करता हूँ कि यहोवा तेरे साथ रहे और तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए एक भवन बनाने में कामयाब हो, ठीक जैसे उसने तेरे बारे में कहा है।+ 12  जब यहोवा तुझे इसराएल पर अधिकार देगा तब वह तुझे सूझ-बूझ से काम लेने की काबिलीयत और समझ दे,+ ताकि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के कानून का पालन करता रहे।+ 13  अगर तू उन नियमों और न्याय-सिद्धांतों को सख्ती से मानेगा,+ जिन्हें इसराएल को देने के लिए यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी,+ तो तू कामयाब होगा। तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना। तू डरना मत और न ही खौफ खाना।+ 14  मैंने बड़े जतन से यहोवा के भवन के लिए 1,00,000 तोड़े* सोना और 10,00,000 तोड़े चाँदी इकट्ठी की है। और इतना सारा ताँबा और लोहा इकट्ठा किया है+ कि तौला नहीं जा सकता। मैंने लकड़ियाँ और पत्थर भी इकट्ठे किए हैं,+ मगर तू उन्हें और बढ़ाएगा। 15  तेरे पास भारी तादाद में कारीगर भी हैं, पत्थर काटनेवाले, राजमिस्त्री,+ बढ़ई और हर तरह के कुशल कारीगर।+ 16  इस काम के लिए इतना सोना, चाँदी, ताँबा और लोहा है कि उसका हिसाब नहीं।+ अब तू यह काम शुरू कर दे और मेरी दुआ है कि यहोवा तेरे साथ रहे।”+ 17  इसके बाद दाविद ने इसराएल के सब हाकिमों को आज्ञा दी कि वे उसके बेटे सुलैमान की मदद करें। उसने कहा, 18  “तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ है और उसने तुम्हें हर तरफ से शांति दी है। उसने इस देश के निवासियों को मेरे हाथ में कर दिया है और यह देश, यहोवा और उसके लोगों के सामने मेरे अधीन कर दिया गया है। 19  इसलिए अब तुम ठान लो कि तुम पूरे दिल से और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा की खोज करोगे।+ और तुम सच्चे परमेश्‍वर यहोवा का पवित्र-स्थान बनाने का काम शुरू कर दो+ ताकि यहोवा के करार का संदूक और सच्चे परमेश्‍वर की पवित्र चीज़ें उस भवन में लायी जाएँ+ जो यहोवा के नाम की महिमा के लिए बनाया जाएगा।”+

कई फुटनोट

या “नाज़ुक है।”
यह नाम एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब “शांति” है।
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।