तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी 6:1-21

  • दास अपने मालिकों का आदर करें (1, 2)

  • झूठे शिक्षक; पैसे का प्यार (3-10)

  • परमेश्‍वर के सेवक को हिदायतें (11-16)

  • भले कामों में धनी बनें (17-19)

  • अपनी अमानत सँभालकर रख (20, 21)

6  जितने भी दास हैं, वे सब अपने मालिकों को पूरे आदर के लायक समझें+ ताकि परमेश्‍वर के नाम और मसीही शिक्षाओं की कभी बदनामी न हो।+  और जिन दासों के मालिक विश्‍वासी हैं, वे अपने मालिकों का अनादर न करें क्योंकि वे उनके भाई हैं। इसके बजाय, वे और भी खुशी से उनकी सेवा करें क्योंकि जो उनकी अच्छी सेवा से फायदा पा रहे हैं वे विश्‍वासी और प्यारे भाई हैं। यही बातें सिखाता रह और इन्हें मानने का बढ़ावा देता रह।  अगर कोई आदमी इससे अलग शिक्षा देता है और हमारे प्रभु यीशु मसीह की खरी* शिक्षा से सहमत नहीं होता,+ न ही उस शिक्षा से सहमत होता है जो परमेश्‍वर की भक्‍ति के मुताबिक है,+  तो वह घमंड से फूल गया है और उसमें कोई समझ नहीं है।+ उस पर वाद-विवाद करने और शब्दों पर बहस करने की धुन सवार रहती है।*+ नतीजा, लोगों में ईर्ष्या और झगड़े पैदा होते हैं, वे बदनाम करनेवाली बातें* कहते हैं, बुरे इरादे से शक करते हैं,  उन लोगों में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते हैं जिनका दिमाग भ्रष्ट हो गया है+ और जो सच्चाई से दूर हो गए हैं। वे सोचते हैं कि परमेश्‍वर की भक्‍ति, कमाई करने का ज़रिया है।+  मगर सच तो यह है कि संतुष्ट रहकर परमेश्‍वर की भक्‍ति करना अपने आप में एक बड़ी कमाई है।+  क्योंकि हम न तो दुनिया में कुछ लाए हैं, न ही यहाँ से कुछ ले जा सकते हैं।+  इसलिए अगर हमारे पास खाने और पहनने को* है, तो हमें उसी में संतोष करना चाहिए।+  लेकिन जो लोग हर हाल में अमीर बनना चाहते हैं, वे परीक्षा और फंदे में फँस जाते हैं+ और मूर्खता से भरी और खतरनाक ख्वाहिशों में पड़ जाते हैं जो इंसान को विनाश और बरबादी की खाई में धकेल देती हैं।+ 10  पैसे का प्यार हर तरह की बुराई की जड़ है और इसमें पड़कर कुछ लोग विश्‍वास से भटक गए हैं और उन्होंने खुद को कई दुख-तकलीफों से छलनी कर लिया है।+ 11  मगर हे परमेश्‍वर के सेवक, तू इन बातों से दूर भाग। इसके बजाय नेकी, परमेश्‍वर की भक्‍ति, विश्‍वास, प्यार, धीरज और कोमलता का गुण पैदा करने में लगा रह।+ 12  विश्‍वास की अच्छी लड़ाई लड़, हमेशा की ज़िंदगी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर जिसके लिए तुझे बुलाया गया था और जिसके बारे में तूने बहुत-से गवाहों के सामने ऐलान किया था। 13  सबका जीवन कायम रखनेवाले परमेश्‍वर को और मसीह यीशु को हाज़िर जानते हुए, जिसने पुन्तियुस पीलातुस के सामने सरेआम बढ़िया गवाही दी थी,+ मैं तुझे ये आदेश देता हूँ 14  कि जो आज्ञा तुझे दी गयी है, उसे बेदाग और निर्दोष रहते हुए हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने तक मानता रह।+ 15  प्रभु यीशु मसीह तय वक्‍त पर खुद को प्रकट करेगा। वह धन्य और एकमात्र शक्‍तिमान सम्राट, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है।+ 16  सिर्फ उसी के पास अमरता है,+ वह उस रौशनी में रहता है जहाँ कोई नहीं पहुँच सकता+ और जिसे किसी इंसान ने न तो देखा है और न ही देख सकता है।+ सदा उसका आदर होता रहे और उसकी शक्‍ति बनी रहे। आमीन। 17  जो इस ज़माने* में दौलतमंद हैं उन्हें हिदायत* दे कि वे घमंडी न बनें और अपनी आशा दौलत पर न रखें जो आज है तो कल नहीं रहेगी,+ बल्कि परमेश्‍वर पर रखें जो हमें बहुतायत में वह सारी चीज़ें देता है जिनका हम आनंद उठाते हैं।+ 18  उनसे यह भी कह कि वे भले काम करें और भले कामों में धनी बनें, दरियादिल हों और जो उनके पास है वह दूसरों को देने के लिए तैयार रहें।+ 19  इस तरह वे मानो परमेश्‍वर की नज़र में खज़ाना जमा कर रहे होंगे, यानी भविष्य के लिए एक बढ़िया नींव डाल रहे होंगे+ ताकि असली ज़िंदगी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर सकें।+ 20  हे तीमुथियुस, तुझे जो अमानत सौंपी गयी है उसे सँभालकर रख।+ उन खोखली बातों से दूर रह जो पवित्र बातों के खिलाफ हैं और झूठे ज्ञान की विरोध करनेवाली बातों से दूर रह।+ 21  ऐसे ज्ञान का दिखावा करने की वजह से कुछ लोग विश्‍वास से भटक गए हैं। परमेश्‍वर की महा-कृपा तुम पर बनी रहे।

कई फुटनोट

या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”
या “ऐसा जुनून सवार रहता है जो फायदेमंद नहीं है।”
या “निंदा की बातें।”
या शायद, “सिर छिपाने की जगह।”
या “आदेश।”
या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।