पतरस की पहली चिट्ठी 5:1-14

  • चरवाहों की तरह परमेश्‍वर के झुंड की देखभाल करो (1-4)

  • नम्र बनो और चौकन्‍ने रहो (5-11)

    • अपनी चिंताओं का बोझ परमेश्‍वर पर डाल दो (7)

    • शैतान गरजते शेर की तरह है (8)

  • आखिरी शब्द (12-14)

5  इसलिए जो तुम्हारे बीच प्राचीन हैं उनसे मेरी एक गुज़ारिश है,* क्योंकि मैं भी उनकी तरह एक प्राचीन हूँ और मसीह की दुख-तकलीफों का गवाह और उस महिमा का साझेदार हूँ जो प्रकट होनेवाली है।+ मैं गुज़ारिश करता हूँ  कि तुम चरवाहों की तरह परमेश्‍वर के झुंड की देखभाल करो+ जो तुम्हें सौंपा गया है और निगरानी करनेवालों के नाते* परमेश्‍वर के सामने खुशी-खुशी सेवा करो, न कि मजबूरी में।+ तुम तत्परता से सेवा करो, न कि बेईमानी की कमाई के लालच से।+  और जो परमेश्‍वर की संपत्ति हैं उन पर रौब मत जमाओ+ बल्कि झुंड के लिए एक मिसाल बनो।+  और जब प्रधान चरवाहा+ प्रकट होगा, तो तुम महिमा का वह ताज पाओगे जिसकी शोभा कभी खत्म नहीं होगी।+  इसी तरह जवानो, मैं तुमसे गुज़ारिश करता हूँ कि बुज़ुर्गों* के अधीन रहो।+ और तुम सब एक-दूसरे के साथ नम्रता से पेश आओ* क्योंकि परमेश्‍वर घमंडियों का विरोध करता है, मगर नम्र लोगों पर महा-कृपा करता है।+  इसलिए परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली हाथ के नीचे खुद को नम्र करो ताकि वह सही वक्‍त पर तुम्हें ऊँचा करे।+  और इस दौरान तुम अपनी सारी चिंताओं* का बोझ उसी पर डाल दो+ क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।+  अपने होश-हवास बनाए रखो, चौकन्‍ने रहो!+ तुम्हारा दुश्‍मन शैतान,* गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे फाड़ खाए।+  मगर तुम विश्‍वास में मज़बूत रहकर उसका मुकाबला करो,+ क्योंकि तुम जानते हो कि दुनिया-भर में फैली तुम्हारे भाइयों की पूरी बिरादरी ऐसी ही दुख-तकलीफें झेल रही है।+ 10  मगर यह दुख तुम्हें कुछ ही समय के लिए झेलना होगा, इसके बाद परमेश्‍वर जो हर तरह की महा-कृपा करता है वह तुम्हारा प्रशिक्षण खत्म करेगा। उसने तुम्हें सदा कायम रहनेवाली महिमा पाने के लिए बुलाया है+ क्योंकि तुम मसीह के साथ एकता में हो। वह तुम्हें मज़बूत करेगा,+ शक्‍तिशाली बनाएगा+ और मज़बूती से खड़ा करेगा। 11  शक्‍ति सदा तक उसी की रहे। आमीन। 12  सिलवानुस*+ के ज़रिए, जिसे मैं विश्‍वासयोग्य भाई मानता हूँ, मैंने तुम्हें ये चंद शब्द लिखे हैं ताकि तुम्हारी हिम्मत बँधाऊँ और तुम्हें यकीन दिलाऊँ कि यही परमेश्‍वर की सच्ची महा-कृपा है। तुम इसमें मज़बूती से खड़े रहो। 13  वह जो बैबिलोन में है और तुम्हारी तरह चुनी हुई है, तुम्हें नमस्कार कहती है और मेरा बेटा मरकुस+ भी तुम्हें नमस्कार कहता है। 14  प्यार के चुंबन के साथ एक-दूसरे को नमस्कार करो। मेरी दुआ है कि तुम सब जो मसीह के साथ एकता में हो, तुम्हें शांति मिले।

कई फुटनोट

या “उन्हें मैं बढ़ावा देता हूँ।”
या “झुंड पर ध्यान से नज़र रखते हुए।”
या “प्राचीनों।”
या “नम्रता का पहनावा पहन लो।”
या “दुखों; परेशानियों।”
शा., “इबलीस।” शब्दावली देखें।
सीलास भी कहलाता था।