पहला राजा 11:1-43

  • सुलैमान की पत्नियों ने उसे बहकाया (1-13)

  • सुलैमान के विरोधी (14-25)

  • यारोबाम को 10 गोत्र देने का वादा (26-40)

  • सुलैमान की मौत; रहूबियाम राजा बना (41-43)

11  मगर राजा सुलैमान ने फिरौन की बेटी के अलावा+ दूसरे देशों की बहुत-सी औरतों से प्यार किया।+ उसने मोआबी,+ अम्मोनी,+ एदोमी, सीदोनी+ और हित्ती+ औरतों से प्यार किया।  ये औरतें उन्हीं देशों से थीं जिनके बारे में यहोवा ने इसराएलियों से कहा था, “तुम उनके बीच न जाना* और वे तुम्हारे बीच न आएँ क्योंकि वे ज़रूर तुम्हारे दिलों को अपने देवताओं की तरफ बहका देंगे।”+ फिर भी सुलैमान ने उनसे गहरा लगाव रखा और उनसे प्यार किया।  सुलैमान की 700 पत्नियाँ थीं, जो शाही घराने की थीं और उसकी 300 उप-पत्नियाँ थीं। उसकी पत्नियों ने धीरे-धीरे उसका दिल बहका दिया।*  सुलैमान के बुढ़ापे में+ उसकी पत्नियों ने उसके दिल को दूसरे देवताओं की तरफ बहका* दिया।+ उसका दिल अपने परमेश्‍वर यहोवा पर पूरी तरह न लगा रहा। वह अपने पिता दाविद की तरह नहीं बना रहा, जिसका दिल परमेश्‍वर पर पूरी तरह लगा था।  सुलैमान ने सीदोनियों की देवी अशतोरेत+ और अम्मोनियों के घिनौने देवता मिलकोम की पूजा की।+  उसने यहोवा की नज़र में बुरे काम किए और पूरे दिल से यहोवा के पीछे नहीं चला जैसे उसका पिता दाविद चलता था।+  उन्हीं दिनों सुलैमान ने मोआब के घिनौने देवता कमोश के लिए यरूशलेम के सामनेवाले पहाड़ पर ऊँची जगह बनायी+ और उसने अम्मोनियों के घिनौने देवता मोलेक+ के लिए भी ऊँची जगह बनायी।+  उसने अपनी उन सभी पत्नियों के लिए ऐसा किया, जो दूसरे देशों से थीं और अपने देवताओं के लिए बलिदान चढ़ाती थीं ताकि उनका धुआँ उठे।  यहोवा को सुलैमान पर बहुत क्रोध आया क्योंकि उसका दिल इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा से बहककर दूर चला गया था,+ जिसने दो बार उसे दर्शन दिया था+ 10  और उसे साफ चेतावनी दी थी कि वह दूसरे देवताओं के पीछे न जाए।+ मगर उसने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। 11  इसलिए यहोवा ने सुलैमान से कहा, “तूने जो ऐसा काम किया है और मैंने जिस करार को मानने और जिन विधियों पर चलने की आज्ञा दी, उन्हें तूने नहीं माना, इसलिए मैं तुझसे तेरा राज छीन लूँगा और तेरे एक सेवक को दे दूँगा।+ 12  लेकिन तेरे पिता दाविद की खातिर मैं यह काम तेरे जीते-जी नहीं करूँगा। मैं तेरे बेटे के हाथ से राज छीन लूँगा।+ 13  मगर मैं उससे पूरा राज नहीं छीनूँगा।+ मैं अपने सेवक दाविद की खातिर और अपने चुने हुए शहर यरूशलेम की खातिर+ एक गोत्र तेरे बेटे को दूँगा।”+ 14  फिर यहोवा ने सुलैमान का एक विरोधी खड़ा किया+ जिसका नाम हदद था। हदद एदोमी था और एदोम के शाही घराने से था।+ 15  जब दाविद ने एदोम को हराया था+ और उसका सेनापति योआब मारे गए लोगों को दफनाने गया था, तब योआब ने एदोम के हर आदमी और लड़के को मार डालने की कोशिश की थी। 16  (योआब और सभी इसराएली सैनिक छ: महीने तक एदोम में रहे जब तक कि उन्होंने वहाँ के हर आदमी और लड़के को मार* न डाला।) 17  मगर हदद अपने पिता के कुछ एदोमी सेवकों के साथ मिस्र की तरफ भाग गया। उस वक्‍त हदद एक छोटा लड़का था। 18  जब वे मिद्यान से निकले थे तो रास्ते में वे पारान गए और वहाँ के कुछ आदमियों को उन्होंने साथ लिया+ और मिस्र पहुँचे। वहाँ वे मिस्र के राजा फिरौन से मिले। फिरौन ने हदद को रहने के लिए एक घर दिया और उसकी खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी कीं और उसे ज़मीन भी दी थी। 19  हदद से फिरौन इतना खुश था कि उसने अपनी रानी* तहपनेस की बहन की शादी उससे करायी थी। 20  कुछ समय बाद तहपनेस की बहन ने हदद के बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम गनूबत था। तहपनेस ने फिरौन के राजमहल में गनूबत की परवरिश की थी।* इस तरह गनूबत फिरौन के राजमहल में ही उसके बेटों के साथ पला-बढ़ा था। 21  मिस्र में जब हदद को खबर मिली कि दाविद की मौत हो गयी है*+ और उसका सेनापति योआब भी मर गया है,+ तो उसने फिरौन से कहा, “मुझे अपने देश लौट जाने दे।” 22  मगर फिरौन ने उससे कहा, “मेरे यहाँ तुझे किस चीज़ की कमी है, जो तू अपने देश लौट जाना चाहता है?” हदद ने कहा, “कोई कमी नहीं, फिर भी मुझे जाने की इजाज़त दे।” 23  परमेश्‍वर ने सुलैमान का एक और विरोधी खड़ा किया।+ वह एल्यादा का बेटा रजोन था, जो अपने मालिक सोबा के राजा हदद-एजेर+ के यहाँ से भाग गया था। 24  जब दाविद ने सोबा के आदमियों को हराया,*+ तब रजोन ने कुछ आदमी इकट्ठा करके एक लुटेरा-दल बनाया था और वह उस दल का सरदार बन गया था। रजोन और उसके आदमी दमिश्‍क+ जाकर बस गए और वहाँ राज करने लगे थे। 25  रजोन, सुलैमान की सारी ज़िंदगी इसराएल का विरोधी बना रहा। इसराएल पर हदद ने पहले ही जो मुश्‍किलें खड़ी की थीं, उन्हें अब रजोन ने और बढ़ा दीं। सीरिया पर अपने राज के दौरान, रजोन इसराएल से नफरत करता रहा। 26  यारोबाम+ नाम का एक आदमी भी राजा सुलैमान से बगावत करने लगा।+ वह सुलैमान का ही एक सेवक था।+ वह सरेदा का रहनेवाला एप्रैमी था और उसके पिता का नाम नबात था। यारोबाम की माँ सरूआह एक विधवा थी। 27  यारोबाम ने राजा से इस वजह से बगावत की थी: सुलैमान ने टीला* बनाया था+ और अपने पिता के शहर दाविदपुर+ की शहरपनाह की दरार भरी थी। 28  यारोबाम एक काबिल जवान था। जब सुलैमान ने देखा कि वह बहुत मेहनती है, तो उसने उसे यूसुफ के घराने के उन सभी आदमियों की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी सौंपी+ जिन्हें जबरन मज़दूरी पर लगाया गया था। 29  उन्हीं दिनों यारोबाम यरूशलेम से बाहर गया था। जब वह रास्ते में था तो शीलो का रहनेवाला भविष्यवक्‍ता अहियाह+ आकर उससे मिला। उस वक्‍त मैदान में उन दोनों के सिवा और कोई न था। अहियाह एक नया बागा पहने हुए था। 30  उसने अपना बागा लिया और उसे फाड़कर उसके 12 टुकड़े कर दिए। 31  फिर उसने यारोबाम से कहा, “ये दस टुकड़े तेरे लिए हैं क्योंकि इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने कहा है, ‘मैं सुलैमान के हाथ से राज छीन लूँगा और उसके दस गोत्र तुझे दे दूँगा।+ 32  मगर मैं अपने सेवक दाविद की खातिर+ और यरूशलेम की खातिर, जिसे मैंने इसराएल के सभी गोत्रों में से चुना है,+ एक गोत्र सुलैमान का ही रहने दूँगा।+ 33  मैं उसका राज इसलिए छीन लूँगा क्योंकि उन्होंने मुझे छोड़ दिया है+ और वे सीदोनियों की देवी अशतोरेत और मोआब के देवता कमोश और अम्मोनियों के देवता मिलकोम को दंडवत कर रहे हैं। वे ऐसे काम नहीं करते जो मेरी नज़र में सही हैं और वे मेरी विधियों और मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन नहीं करते। इस तरह उन्होंने मेरी राहों पर चलना छोड़ दिया है, जैसे सुलैमान का पिता दाविद चलता था। 34  मगर मैं सुलैमान के हाथ से पूरा राज नहीं छीनूँगा। वह जब तक ज़िंदा रहेगा मैं उसे प्रधान बने रहने दूँगा। ऐसा मैं अपने सेवक दाविद की खातिर करूँगा जिसे मैंने चुना था+ क्योंकि वह मेरी आज्ञाएँ और विधियाँ मानता था। 35  मगर मैं सुलैमान के बेटे के हाथ से राज छीन लूँगा और तुझे दस गोत्र दे दूँगा।+ 36  उसके बेटे को मैं एक गोत्र दूँगा ताकि मेरे सेवक दाविद का दीया मेरे सामने यरूशलेम में हमेशा जलता रहे,+ उस शहर में जिसे मैंने इसलिए चुना है कि मेरा नाम उससे जुड़ा रहे। 37  मैं तुझे चुनूँगा और तू इसराएल का राजा बनेगा और मैं तुझे वह सारा इलाका दूँगा जो तू चाहता है। 38  अगर तू वह सब करे जिसकी मैं तुझे आज्ञा दूँगा और मेरे सेवक दाविद की तरह+ मेरी राहों पर चले और मेरी विधियों और आज्ञाओं का पालन करके ऐसा काम करे जो मेरी नज़र में सही है, तो मैं तेरे साथ भी रहूँगा। मैं तेरा राज-घराना सदा के लिए कायम करूँगा, ठीक जैसे मैंने दाविद का राज-घराना कायम किया था+ और मैं इसराएल का राज तुझे दे दूँगा। 39  दाविद की संतान ने जो किया है उसकी वजह से मैं उन्हें नीचा दिखाऊँगा,+ मगर मैं ऐसा सदा तक नहीं करूँगा।’”+ 40  इसलिए सुलैमान ने यारोबाम को मार डालने की कोशिश की, मगर यारोबाम मिस्र भाग गया और वहाँ के राजा शीशक+ के पास चला गया।+ वह सुलैमान की मौत तक मिस्र में ही रहा। 41  सुलैमान की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसके सभी कामों का ब्यौरा और उसकी बुद्धि की बातें सुलैमान के इतिहास की किताब में लिखी हैं।+ 42  सुलैमान ने यरूशलेम में रहकर पूरे इसराएल पर 40 साल राज किया। 43  फिर उसकी मौत हो गयी* और उसे उसके पिता दाविद के शहर दाविदपुर में दफनाया गया। उसकी जगह उसका बेटा रहूबियाम+ राजा बना।

कई फुटनोट

या “उन जातियों के लोगों से शादी मत करना।”
या “उस पर ज़बरदस्त असर किया।”
या “फेर।”
शा., “काट।”
राज करनेवाली रानी नहीं।
या शायद, “का दूध छुड़ाया था।”
शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया है।”
शा., “घात किया।”
या “मिल्लो।” इस इब्रानी शब्द का मतलब “भरना” है।
शा., “वह अपने पुरखों के साथ सो गया।”