पहला राजा 21:1-29

  • अहाब ने नाबोत के बाग का लालच किया (1-4)

  • इज़ेबेल ने नाबोत को मरवाया (5-16)

  • अहाब के खिलाफ संदेश (17-26)

  • उसने खुद को नम्र किया (27-29)

21  इसके बाद यिजरेल+ के रहनेवाले नाबोत के अंगूरों के बाग के सिलसिले में एक घटना घटी। नाबोत का बाग, यिजरेल में सामरिया के राजा अहाब के महल के पास था।  अहाब ने नाबोत से कहा, “अपना अंगूरों का बाग मुझे दे दे क्योंकि वह मेरे महल के पास है। मैं उसे सब्ज़ियों का बाग बनाना चाहता हूँ। उसके बदले मैं तुझे उससे भी बढ़िया अंगूरों का बाग दूँगा। या तू चाहे तो मैं उसकी कीमत चुका दूँगा।”  मगर नाबोत ने अहाब से कहा, “मैं तुझे अपने पुरखों की विरासत की ज़मीन देने की बात सोच भी नहीं सकता, क्योंकि ऐसा करना यहोवा की नज़र में गलत होगा।”+  यिजरेली नाबोत का यह जवाब सुनकर कि मैं अपने पुरखों से मिली विरासत तुझे नहीं दूँगा, अहाब बहुत उदास हो गया और मुँह लटकाए अपने महल में आया। वह बिस्तर पर लेट गया और उसने अपना मुँह फेर लिया और खाने से इनकार कर दिया।  अहाब की पत्नी इज़ेबेल+ उसके पास आयी और कहने लगी, “तू क्यों इतना उदास है कि खाना भी नहीं खा रहा?”  अहाब ने कहा, “मैंने यिजरेली नाबोत से कहा कि तू मुझे अपना अंगूरों का बाग दे दे, मैं तुझे उसकी कीमत दे दूँगा। या तू चाहे तो मैं तुझे एक और अंगूरों का बाग दूँगा। मगर उसने अपना बाग बेचने से इनकार कर दिया।”  तब उसकी पत्नी इज़ेबेल ने कहा, “तू इसराएल का राजा है न? उठकर खा-पी और खुश रह। यिजरेली नाबोत के अंगूरों का बाग मैं तुझे दिलाती हूँ।”+  इज़ेबेल ने अहाब के नाम पर चिट्ठियाँ लिखीं, उन पर राजा की मुहर लगायी+ और नाबोत के शहर के मुखियाओं+ और रुतबेदार आदमियों के पास भेजीं।  चिट्ठियों में यह लिखा था, “तुम उपवास का ऐलान करो और नाबोत को सब लोगों के आगे बिठाओ। 10  और कहीं से दो निकम्मे आदमियों को लाकर नाबोत के सामने बिठाओ। उनसे कहना कि वे नाबोत के खिलाफ यह गवाही दें,+ ‘तूने परमेश्‍वर और राजा की निंदा की है!’+ फिर नाबोत को बाहर ले जाओ और उसे पत्थरों से मार डालो।”+ 11  शहर के मुखियाओं और रुतबेदार आदमियों ने वैसा ही किया जैसा इज़ेबेल की भेजी चिट्ठियों में लिखा था। 12  उन्होंने उपवास का ऐलान किया और नाबोत को सब लोगों के आगे बिठाया। 13  फिर दो निकम्मे आदमी आए और नाबोत के सामने बैठ गए। वे सब लोगों के सामने नाबोत के खिलाफ यह गवाही देने लगे, “नाबोत ने परमेश्‍वर और राजा की निंदा की है!”+ इसके बाद नाबोत को शहर से बाहर ले जाया गया और उसे पत्थरों से मार डाला गया।+ 14  फिर उन आदमियों ने इज़ेबेल के पास खबर भेजी कि नाबोत को पत्थरों से मार डाला गया है।+ 15  जैसे ही इज़ेबेल ने सुना कि नाबोत को पत्थरों से मार डाला गया है, उसने अहाब से कहा, “चल उठ, जाकर यिजरेली नाबोत का अंगूरों का बाग अपने अधिकार में ले ले,+ जिसे बेचने से उसने इनकार कर दिया था क्योंकि नाबोत मर गया है।” 16  जब अहाब ने सुना कि नाबोत मर गया है, तो वह फौरन उसके अंगूरों के बाग पर कब्ज़ा करने निकल पड़ा। 17  मगर यहोवा का यह संदेश तिशबे के रहनेवाले एलियाह+ के पास पहुँचा: 18  “तू सामरिया जा और इसराएल के राजा अहाब से मिल।+ वह नाबोत के अंगूरों के बाग में है। वह उसे अपने अधिकार में करने वहाँ गया है। 19  तू उससे कहना, ‘तेरे लिए यहोवा का यह संदेश है: “तूने क्यों एक आदमी का कत्ल कर दिया+ और क्यों उसकी जायदाद ले ली?”’+ इसके बाद तू उससे कहना, ‘यहोवा ने कहा है, “जिस जगह कुत्तों ने नाबोत का खून चाटा था, उसी जगह कुत्ते तेरा खून भी चाटेंगे।”’”+ 20  अहाब ने एलियाह से कहा, “अच्छा तो मेरे दुश्‍मन ने मुझे पकड़ लिया!”+ एलियाह ने कहा, “हाँ, मैंने तुझे पकड़ लिया। परमेश्‍वर ने कहा है, ‘तूने यहोवा की नज़र में बुरे काम करने की ठान ली है,*+ 21  इसलिए मैं तुझ पर कहर ढानेवाला हूँ। मैं तेरे घराने का पूरी तरह सफाया कर दूँगा, तेरे घराने के हर आदमी और हर लड़के को मार डालूँगा,+ यहाँ तक कि इसराएल के बेसहारा और कमज़ोर लोगों को भी मिटा दूँगा।+ 22  मैं तेरे घराने का वही हश्र करूँगा जो मैंने नबात के बेटे यारोबाम के घराने का और अहियाह के बेटे बाशा के घराने का किया था,+ क्योंकि तूने मेरा क्रोध भड़काया है और इसराएल से पाप करवाया है।’ 23  और इज़ेबेल के बारे में यहोवा ने कहा है, ‘यिजरेल की इसी ज़मीन पर इज़ेबेल की लाश कुत्ते खा जाएँगे।+ 24  अहाब के वंशजों में से जो कोई शहर में मरेगा उसे कुत्ते खा जाएँगे और जो मैदान में मरेगा उसे आकाश के पक्षी खा जाएँगे।+ 25  वाकई, आज तक अहाब जैसा कोई नहीं हुआ है,+ जिसने अपनी पत्नी इज़ेबेल के उकसाने+ पर ऐसे काम करने की ठान ली है* जो यहोवा की नज़र में बुरे हैं। 26  अहाब ने घिनौनी मूरतों* की पूजा करके नीचता करने में हद कर दी है। वह उन एमोरियों जैसा बन गया है जिन्हें यहोवा ने इसराएलियों के सामने से खदेड़ दिया था।’”+ 27  जैसे ही अहाब ने यह संदेश सुना, उसने अपने कपड़े फाड़े और शरीर पर टाट ओढ़ लिया और वह उपवास करने लगा। वह टाट ओढ़े लेटा रहता और मायूस होकर इधर-उधर चलने लगता। 28  फिर यहोवा का यह संदेश तिशबे के रहनेवाले एलियाह के पास पहुँचा: 29  “क्या तूने देखा है कि अहाब कैसे मेरे सामने नम्र बन गया है?+ क्योंकि वह मेरे सामने नम्र बन गया है इसलिए मैं यह संकट उसके जीते-जी नहीं लाऊँगा। मैं उसके घराने पर यह संकट उसके बेटे के दिनों में लाऊँगा।”+

कई फुटनोट

शा., “के लिए खुद को बेच दिया है।”
शा., “के लिए खुद को बेच दिया है।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।