पहला राजा 9:1-28

  • सुलैमान को दूसरी बार दर्शन मिला (1-9)

  • उसने हीराम को तोहफा दिया (10-14)

  • सुलैमान का निर्माण काम (15-28)

9  जब सुलैमान ने यहोवा का भवन, अपना राजमहल और जो कुछ वह बनाना चाहता था वह सब बनाने का काम पूरा किया,+ तो इसके फौरन बाद  यहोवा ने उसे दूसरी बार दर्शन दिया, जैसे उसने गिबोन में उसे दर्शन दिया था।+  यहोवा ने दर्शन में उससे कहा, “तूने मुझसे जो प्रार्थना और कृपा की बिनती की है वह मैंने सुनी है। मैंने इस भवन के साथ, जिसे तूने बनाया है, अपना नाम हमेशा के लिए जोड़ा है और इस तरह इसे पवित्र ठहराया है।+ मेरी आँखें हमेशा इस पर लगी रहेंगी और यह भवन सदा मेरे दिल के करीब रहेगा।+  और अगर तू वह सब करेगा जिसकी मैंने तुझे आज्ञा दी है+ और मेरे नियम और न्याय-सिद्धांत मानेगा और इस तरह अपने पिता दाविद की तरह मेरे सामने सीधाई+ से और निर्दोष मन+ से चलेगा,+  तो मैं इसराएल पर तेरी राजगद्दी हमेशा के लिए कायम रखूँगा, ठीक जैसे मैंने तेरे पिता दाविद से यह वादा किया था, ‘ऐसा कभी नहीं होगा कि इसराएल की राजगद्दी पर बैठने के लिए तेरे वंश का कोई आदमी न हो।’+  लेकिन अगर तू और तेरे वंशज मुझसे मुँह फेरकर मेरे पीछे चलना छोड़ देंगे और मेरी आज्ञाओं और विधियों को मानना छोड़ देंगे जो मैंने तुझे दी हैं और जाकर पराए देवताओं की पूजा करेंगे और उन्हें दंडवत करेंगे,+  तो मैं इसराएल को इस देश में से मिटा दूँगा जो मैंने उसे दिया है+ और इस भवन को, जिसे मैंने अपने नाम की महिमा के लिए पवित्र ठहराया है, अपनी नज़रों से दूर कर दूँगा।+ तब इसराएल सब देशों में मज़ाक* बनकर रह जाएगा, उसकी बरबादी देखकर सब हँसेंगे।+  और यह भवन मलबे का ढेर हो जाएगा।+ इसके पास से गुज़रनेवाला हर कोई इसे फटी आँखों से देखता रह जाएगा और मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएगा और कहेगा, ‘यहोवा ने इस देश की और इस भवन की ऐसी हालत क्यों कर दी?’+  फिर वे कहेंगे, ‘वह इसलिए कि उन्होंने अपने परमेश्‍वर यहोवा को छोड़ दिया जो उनके पुरखों को मिस्र से निकाल लाया था और उन्होंने दूसरे देवताओं को अपना लिया और वे उन्हें दंडवत करके उनकी सेवा करने लगे। इसीलिए यहोवा उन पर यह संकट ले आया।’”+ 10  सुलैमान को यहोवा का भवन और राजमहल बनाने में पूरे 20 साल लगे।+ इसके बाद 11  राजा सुलैमान ने सोर के राजा हीराम+ को गलील प्रांत के 20 शहर तोहफे में दिए क्योंकि हीराम ने उसे देवदार और सनोवर की लकड़ी दी थी और सुलैमान ने उससे जितना सोना माँगा था उतना उसने दिया था।+ 12  हीराम, सोर से उन शहरों को देखने गया जो सुलैमान ने उसे दिए थे, मगर वे शहर उसे पसंद नहीं आए।* 13  उसने सुलैमान से कहा, “मेरे भाई, ये कैसे शहर दिए हैं तूने?” इसलिए उन शहरों को काबूल देश* कहा गया और आज तक वे इसी नाम से जाने जाते हैं। 14  हीराम ने राजा सुलैमान के लिए 120 तोड़े* सोना भेजा था।+ 15  यह उन लोगों के कामों का ब्यौरा है जिन्हें राजा सुलैमान ने जबरन मज़दूरी पर लगाया था।+ उन्होंने यहोवा का भवन,+ सुलैमान का राजमहल, टीला,*+ यरूशलेम की शहरपनाह, साथ ही हासोर,+ मगिद्दो+ और गेजेर शहर+ बनाए। 16  (मिस्र के राजा फिरौन ने आकर गेजेर पर कब्ज़ा कर लिया था और उसे आग से फूँक दिया था। उसने शहर में रहनेवाले कनानियों+ को भी मार डाला था। उसने यह शहर अपनी बेटी यानी सुलैमान की पत्नी को विदाई के वक्‍त तोहफे* में दिया था।)+ 17  सुलैमान ने गेजेर, निचला बेत-होरोन+ और 18  बालात,+ साथ ही तामार शहर बनाया* जो इसराएल देश के वीराने में आता है। 19  इसके अलावा, सुलैमान ने अपने सभी गोदामवाले शहर, रथों के शहर+ और घुड़सवारों के लिए शहर बनाए और यरूशलेम और लबानोन में और अपने राज्य के पूरे इलाके में वह जो-जो बनाना चाहता था वह सब उसने बनाया। 20  एमोरियों, हित्तियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों में से बचे हुए लोग,+ जो इसराएल की प्रजा नहीं थे+ 21  और जिन्हें इसराएली नाश नहीं कर पाए थे, उनके वंशज इसराएल देश में रहते थे। सुलैमान ने इन लोगों को गुलाम बनाकर जबरन मज़दूरी में लगा दिया और आज तक वे यही काम करते हैं।+ 22  मगर सुलैमान ने किसी भी इसराएली को गुलाम नहीं बनाया।+ वे तो उसके योद्धा, उसके अधिकारी, हाकिम, सहायक सेना-अधिकारी और सारथियों और घुड़सवारों के प्रधान थे। 23  सुलैमान के काम की निगरानी करनेवाले अधिकारियों की गिनती 550 थी। उन्हें कर्मचारियों पर अधिकार दिया गया था।+ 24  मगर फिरौन की बेटी+ दाविदपुर+ छोड़कर उस महल में रहने लगी जो सुलैमान ने उसके लिए बनवाया था। फिर सुलैमान ने टीला* बनवाया।+ 25  सुलैमान साल में तीन बार+ उस वेदी पर, जो उसने यहोवा के लिए बनायी थी, होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ाया करता था।+ साथ ही, यहोवा के सामने जो वेदी थी, उस पर भी वह बलिदान चढ़ाता था ताकि धुआँ उठे। इस तरह उसने भवन बनाने का काम पूरा किया।+ 26  राजा सुलैमान ने एस्योन-गेबेर+ में जहाज़ों का एक बड़ा लशकर भी बनाया। एस्योन-गेबेर, एदोम देश में लाल सागर के तट पर एलोत के पास है।+ 27  हीराम ने जहाज़ों के लशकर के साथ अपने तजुरबेकार नाविकों को भेजा था+ ताकि वे सुलैमान के सेवकों के साथ मिलकर काम करें। 28  वे ओपीर+ गए और वहाँ से 420 तोड़े सोना राजा सुलैमान के पास ले आए।

कई फुटनोट

शा., “कहावत।”
शा., “वे उसकी नज़रों में सही नहीं थे।”
या शायद, “न के बराबर देश।”
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “मिल्लो।” इस इब्रानी शब्द का मतलब “भरना” है।
या “शादी के तोहफे; दहेज।”
या “मज़बूत किया।”
या “मिल्लो।” इस इब्रानी शब्द का मतलब “भरना” है।