पहला शमूएल 23:1-29

  • दाविद ने कीला शहर बचाया (1-12)

  • शाऊल ने दाविद का पीछा किया (13-15)

  • योनातान ने दाविद की हिम्मत बँधायी (16-18)

  • दाविद बाल-बाल बचा (19-29)

23  कुछ समय बाद दाविद को बताया गया, “पलिश्‍ती लोगों ने कीला+ शहर पर हमला कर दिया है और वे खलिहानों से अनाज लूट रहे हैं।”  तब दाविद ने यहोवा से सलाह माँगी,+ “क्या मैं जाकर उन पलिश्‍तियों को मार डालूँ?” यहोवा ने दाविद से कहा, “हाँ जा, उन पलिश्‍तियों को मार डाल और कीला को उनके हाथ से छुड़ा ले।”  मगर दाविद के आदमियों ने उससे कहा, “देख, जब हम यहाँ यहूदा में रहकर डरे हुए हैं,+ तो सोच अगर हम पलिश्‍तियों की सेना से लड़ने+ कीला जाएँगे, तो हमें और कितना डर लगेगा!”  तब दाविद ने यहोवा से दोबारा सलाह की।+ यहोवा ने उसे जवाब दिया, “तू कीला जा, मैं पलिश्‍तियों को तेरे हाथ में कर दूँगा।”+  तब दाविद अपने आदमियों को लेकर कीला गया और पलिश्‍तियों से लड़ा। वह उनके मवेशियों को उठा लाया और उसने भारी तादाद में पलिश्‍तियों को मार गिराया और कीला के लोगों को बचाया।+  जब अहीमेलेक का बेटा अबियातार+ भागकर दाविद के पास कीला आया था, तब उसके पास एक एपोद था।  शाऊल को बताया गया कि दाविद कीला आया है। तब शाऊल ने कहा, “परमेश्‍वर ने उसे मेरे हवाले कर दिया है+ क्योंकि वह फाटक और बेड़ेवाले शहर में घुसकर खुद फँस गया है।”  शाऊल ने अपने सभी आदमियों को युद्ध के लिए बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि वे कीला जाएँ और दाविद और उसके आदमियों को घेर लें।  जब दाविद को पता चला कि शाऊल उसे पकड़ने की चाल चल रहा है, तो उसने याजक अबियातार से कहा, “एपोद मेरे पास ले आ।”+ 10  फिर दाविद ने कहा, “हे इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा, तेरे इस सेवक को खबर मिली है कि शाऊल कीला आ रहा है और उसने मेरी वजह से इस शहर को नाश करने की ठान ली है।+ 11  हे इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा, अपने इस सेवक को बता कि क्या कीला के अगुवे* मुझे पकड़कर शाऊल के हवाले कर देंगे? जैसे मैंने सुना है, क्या शाऊल सचमुच नीचे कीला आ रहा है?” यहोवा ने उससे कहा, “हाँ, वह आ रहा है।” 12  दाविद ने पूछा, “क्या कीला के अगुवे मुझे और मेरे आदमियों को पकड़कर शाऊल के हवाले कर देंगे?” यहोवा ने कहा, “हाँ, वे तुम्हें उसके हवाले कर देंगे।” 13  तब दाविद और उसके आदमी फौरन कीला छोड़कर भाग गए। दाविद के साथ करीब 600 आदमी थे।+ वे जहाँ भी जा सकते थे वहाँ चले गए। शाऊल को खबर मिली कि दाविद कीला से भाग गया है इसलिए वह उसका पीछा करने वहाँ नहीं गया। 14  दाविद ज़ीफ+ वीराने में उन पहाड़ी जगहों में रहने लगा जहाँ तक किसी का पहुँचना मुश्‍किल था। इधर शाऊल दिन-रात उसकी तलाश करता रहा+ मगर यहोवा ने दाविद को उसके हाथ में नहीं पड़ने दिया। 15  जब दाविद ज़ीफ वीराने के होरेश में था तो उसे मालूम पड़ा कि* शाऊल उसकी जान लेने के लिए उसे ढूँढ़ने निकल पड़ा है। 16  शाऊल का बेटा योनातान दाविद से मिलने होरेश गया और उसने यहोवा पर दाविद का भरोसा और बढ़ाया।*+ 17  उसने दाविद से कहा, “मत डर, मेरा पिता शाऊल तुझे नहीं पकड़ सकेगा। तू ही इसराएल का राजा होगा+ और मैं तुझसे दूसरे दर्जे पर रहूँगा। यह बात मेरा पिता शाऊल भी जानता है।”+ 18  फिर उन दोनों ने यहोवा के सामने एक करार किया।+ इसके बाद योनातान अपने घर लौट गया और दाविद होरेश में ही रहा। 19  बाद में ज़ीफ के आदमी शाऊल के पास गिबा+ गए और उन्होंने उसे बताया, “दाविद हमारे पास के इलाके होरेश में है,+ जहाँ पहुँचना मुश्‍किल है। वह यशीमोन* के दक्षिण में+ हकीला पहाड़ी+ पर छिपा है।+ 20  हे राजा, तू जब चाहे आना, हम उसे पकड़कर तेरे हवाले कर देंगे।”+ 21  शाऊल ने उनसे कहा, “यहोवा तुम्हें आशीष दे क्योंकि तुम लोगों ने मुझ पर बड़ी कृपा की है। 22  तुम वापस जाओ और ठीक-ठीक पता लगाओ कि वह कहाँ छिपा है और किसने उसे देखा है, क्योंकि मैंने सुना है कि वह बहुत चालाक है। 23  उन सारी जगहों का ठीक-ठीक पता लगाओ जहाँ वह छिपता है और सबूतों के साथ मेरे पास आओ। तब मैं तुम्हारे साथ चलूँगा। अगर वह यहूदा के प्रांत में है, तो मैं उसे हज़ारों लोगों* में से भी ढूँढ़ निकालूँगा।” 24  तब वे आदमी वहाँ से ज़ीफ+ लौट गए और बाद में शाऊल वहाँ गया। इस दौरान दाविद और उसके आदमी माओन+ वीराने में थे जो यशीमोन के दक्षिण की तरफ अराबा+ में है। 25  फिर शाऊल अपने आदमियों को लेकर दाविद को ढूँढ़ने निकल पड़ा।+ जैसे ही यह खबर दाविद को मिली वह एक चट्टान की तरफ चला गया+ और माओन वीराने में ही रहा। जब शाऊल को इसका पता चला तो वह दाविद का पीछा करते हुए माओन वीराने में गया। 26  जब शाऊल पहाड़ के एक तरफ पहुँचा तो दाविद और उसके आदमी पहाड़ के दूसरी तरफ थे। दाविद शाऊल से दूर जाने के लिए जल्दी-जल्दी भागने लगा।+ मगर शाऊल और उसके आदमी, दाविद और उसके आदमियों का पीछा करते-करते उनके बिलकुल करीब पहुँच गए। वे दाविद और उसके आदमियों को घेरकर पकड़ने ही वाले थे+ कि 27  तभी एक दूत ने आकर शाऊल से कहा, “जल्दी चल, पलिश्‍तियों ने देश पर हमला कर दिया है!” 28  शाऊल दाविद का पीछा करना छोड़कर+ पलिश्‍तियों का मुकाबला करने निकल पड़ा। इसीलिए उस जगह का नाम अलगाव की चट्टान पड़ा। 29  इसके बाद दाविद वहाँ से ऊपर एनगदी+ चला गया और वहाँ ऐसी जगहों में रहने लगा जहाँ पहुँचना मुश्‍किल था।

कई फुटनोट

या शायद, “ज़मींदार।”
या शायद, “वह डर गया क्योंकि।”
शा., “उसने उसका हाथ मज़बूत किया।”
या शायद, “रेगिस्तान; वीराना।”
या “कुलों।”