पहला शमूएल 4:1-22

  • पलिश्‍तियों ने संदूक ज़ब्त किया (1-11)

  • एली और उसके बेटों की मौत (12-22)

4  शमूएल का संदेश पूरे इसराएल में फैलता गया। फिर इसराएली पलिश्‍तियों से युद्ध करने निकल पड़े। उन्होंने एबनेज़ेर के पास छावनी डाली और पलिश्‍तियों ने अपेक के पास छावनी डाली।  पलिश्‍तियों ने इसराएलियों से मुकाबला करने के लिए मोरचा बाँधा। युद्ध में पलिश्‍तियों ने इसराएलियों का बुरा हश्र कर दिया, उनके करीब 4,000 आदमियों को युद्ध के मैदान में मार डाला और उन्हें हरा दिया।  जब वे लौटकर अपनी छावनी में आए तो इसराएल के मुखियाओं ने कहा, “आज यहोवा ने हमें पलिश्‍तियों से क्यों हारने दिया?*+ चलो, हम शीलो से यहोवा के करार का संदूक ले आएँ+ ताकि वह संदूक हमारे बीच रहे और हमें दुश्‍मनों के हाथ से बचाए।”  इसलिए लोगों ने कुछ आदमियों को शीलो भेजा और वे वहाँ से यहोवा के करार का संदूक ले आए, जो सेनाओं का परमेश्‍वर है और करूबों पर* विराजमान है।+ सच्चे परमेश्‍वर के करार के संदूक के साथ एली के दोनों बेटे होप्नी और फिनेहास+ भी थे।  जैसे ही यहोवा के करार का संदूक छावनी में पहुँचा, सारे इसराएली इतनी ज़ोर से चिल्लाने लगे कि ज़मीन काँपने लगी।  जब पलिश्‍तियों ने यह शोर सुना तो वे कहने लगे, “इब्री लोगों की छावनी में यह शोरगुल कैसा?” बाद में उन्हें पता चला कि यहोवा का संदूक इसराएलियों की छावनी में आया है।  तब पलिश्‍ती डर गए, वे कहने लगे, “उनकी छावनी में ईश्‍वर आ गया है!”+ फिर उन्होंने कहा, “अब तो हम मारे गए! ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ!  हाय, अब क्या होगा! उस महाप्रतापी ईश्‍वर के हाथ से कौन हमें बचाएगा? उसी ईश्‍वर ने वीराने में तरह-तरह के कहर ढाकर मिस्रियों को मार डाला था।+  मगर पलिश्‍तियो, हिम्मत से काम लो, मर्दानगी दिखाओ ताकि जैसे उन इब्रियों ने तुम्हारी गुलामी की है, वैसे तुम्हें उनकी गुलामी न करनी पड़े।+ हाँ, मर्दानगी दिखाओ और उनका मुकाबला करो!” 10  तब पलिश्‍तियों ने इसराएलियों से जमकर लड़ाई की और उन्हें हरा दिया।+ सभी इसराएली अपने-अपने तंबू में भाग गए। उस दिन बहुत मार-काट मची और इसराएलियों के 30,000 पैदल सैनिक मारे गए। 11  और-तो-और, परमेश्‍वर का संदूक ज़ब्त कर लिया गया और एली के दोनों बेटे होप्नी और फिनेहास भी मारे गए।+ 12  उस दिन बिन्यामीन गोत्र का एक आदमी युद्ध के मैदान से भागकर शीलो आया। उसने अपने कपड़े फाड़े थे और सिर पर धूल डाल रखी थी।+ 13  जब वह शीलो पहुँचा तब एली सड़क किनारे कुर्सी पर बैठा रास्ता ताक रहा था, क्योंकि उसे सच्चे परमेश्‍वर के संदूक की बहुत चिंता हो रही थी और उसका दिल काँप रहा था।+ उस आदमी ने शहर के सब लोगों को खबर दी। तब सारा शहर चीखने-चिल्लाने लगा। 14  एली ने चीख-पुकार सुनकर कहा, “शहर में यह खलबली क्यों मची है?” फिर वही आदमी दौड़कर एली के पास आया और उसे खबर दी। 15  (एली 98 साल का था, उसकी आँखों की रौशनी चली गयी थी, उसे कुछ दिखायी नहीं देता था।)+ 16  उस आदमी ने एली से कहा, “मैं ही युद्ध के मैदान से भागकर आया हूँ। मैं आज ही वहाँ से आया हूँ।” एली ने उससे पूछा, “युद्ध में क्या हुआ बेटा? मुझे बता।” 17  उस आदमी ने एली को यह खबर सुनायी, “इसराएली पलिश्‍तियों से बुरी तरह हार गए हैं और युद्ध से भाग गए हैं।+ तेरे दोनों बेटे होप्नी और फिनेहास भी मारे गए+ और दुश्‍मनों ने सच्चे परमेश्‍वर का संदूक ज़ब्त कर लिया है।”+ 18  जैसे ही उस आदमी ने सच्चे परमेश्‍वर के संदूक का ज़िक्र किया, एली जो फाटक के पास बैठा था, अपनी कुर्सी से पीछे की तरफ गिर पड़ा और उसकी गरदन टूट गयी और उसकी मौत हो गयी, क्योंकि वह बूढ़ा हो चुका था और शरीर से भारी था। उसने 40 साल तक इसराएल का न्याय किया था। 19  उसकी बहू यानी फिनेहास की पत्नी पूरे दिनों पेट से थी। जब उसने सुना कि सच्चे परमेश्‍वर का संदूक ज़ब्त कर लिया गया है और उसके ससुर और पति की मौत हो गयी है, तो वह दर्द से दोहरी हो गयी और अचानक उसकी प्रसव-पीड़ा शुरू हो गयी। उसने एक बच्चे को जन्म दिया, 20  जिसके बाद उसकी मौत हो गयी। जब वह आखिरी साँसें गिन रही थी तो पास खड़ी औरतों ने उससे कहा, “डर मत, तेरे बेटा हुआ है।” मगर वह कुछ नहीं बोली और उसने उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।* 21  उसने अपने बेटे का नाम ईकाबोद*+ रखा और कहा, “इसराएल की शान बँधुआई में चली गयी।”+ उसने यह बात इसलिए कही क्योंकि सच्चे परमेश्‍वर का संदूक ज़ब्त कर लिया गया था और उसके ससुर और पति की मौत हो चुकी थी।+ 22  उसने कहा, “इसराएल की शान बँधुआई में चली गयी क्योंकि सच्चे परमेश्‍वर का संदूक ज़ब्त कर लिया गया है।”+

कई फुटनोट

शा., “यहोवा ने हमें क्यों हरा दिया?”
या शायद, “के बीच।”
या “पर मन नहीं लगाया।”
मतलब “शान कहाँ है?”