दूसरा इतिहास 11:1-23

  • रहूबियाम का राज (1-12)

  • वफादार लेवी यहूदा चले गए (13-17)

  • रहूबियाम का परिवार (18-23)

11  जब रहूबियाम यरूशलेम पहुँचा तो उसने फौरन यहूदा के घराने से और बिन्यामीन गोत्र+ से 1,80,000 तालीम पाए* सैनिकों को इकट्ठा किया ताकि वे इसराएल से युद्ध करें और राज फिर से रहूबियाम के अधिकार में कर दें।+  तब यहोवा का यह संदेश सच्चे परमेश्‍वर के सेवक शमायाह+ के पास पहुँचा,  “सुलैमान के बेटे, यहूदा के राजा रहूबियाम से, साथ ही यहूदा के घराने और बिन्यामीन गोत्र के सभी इसराएलियों से कहना,  ‘यहोवा ने कहा है, “तुम ऊपर जाकर अपने भाइयों से युद्ध मत करना। तुम सब अपने-अपने घर लौट जाओ क्योंकि यह सब मैंने ही करवाया है।”’”+ उन्होंने यहोवा की बात मान ली और सब अपने-अपने घर लौट गए और यारोबाम से युद्ध करने नहीं गए।  रहूबियाम यरूशलेम में रहा और उसने यहूदा में किलेबंद शहर बनाए।  उसने बेतलेहेम,+ एताम, तकोआ,+  बेत-सूर, सोको,+ अदुल्लाम,+  गत,+ मारेशाह, ज़ीफ,+  अदोरैम, लाकीश,+ अजेका,+ 10  सोरा, अय्यालोन+ और हेब्रोन+ को बनाया।* ये सारे किलेबंद शहर यहूदा और बिन्यामीन के इलाके में थे। 11  यही नहीं, उसने उन किलेबंद शहरों को मज़बूत किया और उनमें सेनापति ठहराए और वह उन्हें खाने-पीने की चीज़ें, तेल और दाख-मदिरा मुहैया कराता रहा। 12  उसने अलग-अलग शहरों में भारी तादाद में बड़ी-बड़ी ढालें और भाले रखवाए और उन्हें सुरक्षित करके बहुत मज़बूत किया। यहूदा और बिन्यामीन के लोग उसी की प्रजा बने रहे। 13  पूरे इसराएल में रहनेवाले याजक और लेवी रहूबियाम का साथ देने के लिए अपना-अपना इलाका छोड़कर उसके पास आ गए। 14  लेवी अपने चरागाह और अपनी जागीर छोड़कर+ यहूदा और यरूशलेम आ गए, क्योंकि यारोबाम और उसके बेटों ने उन्हें यहोवा के लिए याजक के नाते सेवा करने से हटा दिया था।+ 15  फिर यारोबाम ने खुद ही कुछ आदमियों को अपनी बनायी ऊँची जगहों के लिए और दुष्ट स्वर्गदूतों*+ और बछड़ों+ की सेवा के लिए याजक ठहरा दिया।+ 16  इसराएल के सब गोत्रों में से जितने लोगों ने अपने दिल में इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की खोज करने की ठान ली थी, वे उन याजकों और लेवियों के पीछे-पीछे यरूशलेम आ गए ताकि अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा को बलिदान चढ़ा सकें।+ 17  वे तीन साल तक यहूदा के राज को मज़बूत करते रहे और सुलैमान के बेटे रहूबियाम का साथ देते रहे, क्योंकि इन तीन सालों के दौरान वे दाविद और सुलैमान की राह पर चलते रहे। 18  फिर रहूबियाम ने महलत से शादी की, जो दाविद के बेटे यरीमोत की बेटी थी। महलत की माँ अबीहैल थी जो यिशै के बेटे एलीआब+ की बेटी थी। 19  कुछ समय बाद महलत ने रहूबियाम के इन बेटों को जन्म दिया: यूश, शमरयाह और जाहम। 20  फिर रहूबियाम ने माका से शादी की, जो अबशालोम+ की नातिन थी। कुछ समय बाद माका ने इन बेटों को जन्म दिया: अबियाह,+ अत्तै, ज़ीज़ा और शलोमीत। 21  रहूबियाम की 18 पत्नियाँ और 60 उप-पत्नियाँ थीं और उसके 28 बेटे और 60 बेटियाँ थीं। मगर अपनी सब पत्नियों और उप-पत्नियों में से वह सबसे ज़्यादा अबशालोम की नातिन माका से प्यार करता था।+ 22  इसलिए रहूबियाम ने माका के बेटे अबियाह को उसके भाइयों का मुखिया और अगुवा ठहराया, क्योंकि वह चाहता था कि उसके बाद अबियाह राजा बने। 23  रहूबियाम ने समझ से काम लिया और अपने कुछ बेटों को यहूदा और बिन्यामीन के सभी प्रदेशों के सभी किलेबंद शहरों में भेज दिया*+ और उन्हें खाने-पीने की चीज़ें बहुतायत में दीं और बहुत-सी औरतों से उनकी शादी करायी।

कई फुटनोट

शा., “चुने हुए।”
या “मज़बूत किया।”
शा., “बकरों।”
या “तितर-बितर कर दिया।”