दूसरा इतिहास 2:1-18

  • मंदिर बनाने की तैयारियाँ (1-18)

2  सुलैमान ने यहोवा के नाम की महिमा के लिए एक भवन+ और एक राजमहल बनाने का आदेश दिया।+  सुलैमान ने 70,000 आम मज़दूरों* और पहाड़ों पर पत्थर काटनेवाले 80,000 मज़दूरों को काम पर लगाया+ और उनकी निगरानी करने के लिए 3,600 आदमियों को ठहराया।+  इसके अलावा, सुलैमान ने सोर के राजा हीराम+ के पास यह संदेश भेजा: “जैसे तूने मेरे पिता दाविद को महल बनाने के लिए देवदार की लकड़ी भेजी थी, उसी तरह मेरे लिए भी भेज।+  मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाने जा रहा हूँ ताकि भवन को उसके लिए पवित्र किया जाए, उसके सामने सुगंधित धूप जलाया जाए,+ उसमें लगातार रोटियों का ढेर* रखा जाए+ और सुबह-शाम,+ सब्त के मौकों पर,+ नए चाँद के मौकों पर+ और हमारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए मनाए जानेवाले साल के अलग-अलग त्योहारों पर+ होम-बलियाँ चढ़ायी जाएँ। इसराएल को यह फर्ज़ सदा के लिए निभाना है।  मैं जो भवन बनाने जा रहा हूँ वह बहुत आलीशान होगा क्योंकि हमारा परमेश्‍वर सभी देवताओं से कहीं महान है।  मगर देखा जाए तो उसके लिए भवन बनाना किसी के बस की बात नहीं है क्योंकि वह तो आकाश में, हाँ विशाल आकाश में भी नहीं समा सकता।+ मैं भी उसके लिए भवन नहीं बना सकता, मैं बस एक ऐसी जगह बना सकता हूँ जहाँ उसके सामने बलिदान चढ़ाया जाए ताकि धुआँ उठे।  अब तू मेरे पास एक ऐसा कारीगर भेज जो सोने, चाँदी, ताँबे,+ लोहे, बैंजनी ऊन, गहरे लाल रंग के धागे और नीले धागे के काम में हुनरमंद हो और नक्काशी करना जानता हो। वह यहूदा में और यरूशलेम में रहकर मेरे उन कुशल कारीगरों के साथ काम करेगा, जिनका इंतज़ाम मेरे पिता दाविद ने किया है।+  तू मुझे लबानोन से देवदार, सनोवर+ और लाल-चंदन की लकड़ी भी भेज,+ क्योंकि मैं जानता हूँ कि तेरे सेवकों को लबानोन में पेड़ काटने का काफी तजुरबा है।+ मेरे सेवक तेरे सेवकों के साथ मिलकर काम करेंगे।+  वे मेरे लिए भारी तादाद में लकड़ी तैयार करेंगे क्योंकि मैं एक ऐसा भवन बनाने जा रहा हूँ जो बिलकुल अनोखा और बेजोड़ होगा। 10  देख, मैं पेड़ काटनेवाले तेरे सेवकों के लिए खाना मुहैया कराऊँगा।+ मैं उनके लिए 20,000 कोर* गेहूँ, 20,000 कोर जौ, 20,000 बत* दाख-मदिरा और 20,000 बत तेल दूँगा।” 11  जवाब में सोर के राजा हीराम ने सुलैमान को यह संदेश लिखकर भेजा: “यहोवा अपने लोगों से प्यार करता है इसलिए उसने तुझे उनका राजा बनाया है।” 12  हीराम ने यह भी कहा, “इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की बड़ाई हो, जिसने आकाश और धरती बनायी क्योंकि उसने राजा दाविद को एक बुद्धिमान बेटा दिया है,+ सूझ-बूझ से काम लेनेवाला और समझदार बेटा,+ जो यहोवा के लिए एक भवन और अपने लिए एक राजमहल बनाएगा। 13  मैं तेरे पास हूराम-अबी नाम के एक समझदार और कुशल कारीगर को भेज रहा हूँ+ 14  जिसकी माँ दान गोत्र की है और पिता सोर का था। उसे सोने, चाँदी, ताँबे, लोहे, पत्थर, लकड़ी, बैंजनी ऊन, गहरे लाल रंग के धागे और नीले धागे और बेहतरीन कपड़ों के काम का तजुरबा है।+ वह हर तरह की नक्काशी और हर तरह की कारीगरी कर सकता है।+ वह तेरे कुशल कारीगरों के साथ और मेरे मालिक यानी तेरे पिता दाविद के कुशल कारीगरों के साथ मिलकर काम करेगा। 15  मेरे मालिक, तू अपने वादे के मुताबिक अपने सेवकों को गेहूँ, जौ, तेल और दाख-मदिरा भेज।+ 16  तुझे जितनी लकड़ी चाहिए, उतनी हम लबानोन से काटेंगे+ और शहतीरों के बेड़े बनवाकर समुंदर के रास्ते याफा ले आएँगे।+ फिर तू वहाँ से उन्हें यरूशलेम ले जाना।”+ 17  फिर सुलैमान ने उन सभी आदमियों की गिनती ली जो इसराएल देश में परदेसी थे+ और पाया कि वे 1,53,600 थे। सुलैमान ने यह गिनती दाविद के गिनती लेने के बाद ली थी।+ 18  तब सुलैमान ने उन परदेसियों में से 70,000 को आम मज़दूरी* के काम पर और 80,000 को पहाड़ों पर पत्थर काटने के काम पर लगाया+ और उनकी निगरानी करने के लिए 3,600 आदमियों को ठहराया ताकि वे इन मज़दूरों से काम कराएँ।+

कई फुटनोट

या “बोझ ढोनेवालों।”
यानी नज़राने की रोटी।
एक कोर 220 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एक बत 22 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “बोझ ढोने।”