दूसरा इतिहास 21:1-20

  • यहूदा का राजा यहोराम (1-11)

  • एलियाह से लिखित संदेश (12-15)

  • यहोराम का बुरा अंत (16-20)

21  फिर यहोशापात की मौत हो गयी* और उसे दाविदपुर में उसके पुरखों की कब्र में दफनाया गया। उसकी जगह उसका बेटा यहोराम राजा बना।+  यहोराम के भाई यानी यहोशापात के बेटे थे अजरयाह, यहीएल, जकरयाह, अजरयाह, मीकाएल और शपत्याह। ये सभी इसराएल के राजा यहोशापात के बेटे थे।  उनके पिता ने उन्हें तोहफे में बहुत सारा सोना, चाँदी और कीमती चीज़ें दीं, साथ ही यहूदा के किलेबंद शहर भी दिए,+ मगर यहोराम को उसने अपना राज सौंपा+ क्योंकि वह पहलौठा था।  जब यहोराम ने अपने पिता के राज की बागडोर हाथ में ली, तो उसने अपना दबदबा बनाए रखने के लिए अपने सब भाइयों को और इसराएल के कुछ हाकिमों को तलवार से मार डाला।+  यहोराम 32 साल की उम्र में राजा बना और उसने यरूशलेम में रहकर आठ साल राज किया।+  यहोराम ने इसराएल के राजाओं के तौर-तरीके अपना लिए,+ ठीक जैसे अहाब के घराने ने किया था क्योंकि उसकी शादी अहाब की बेटी से हुई थी।+ वह यहोवा की नज़र में बुरे काम करता रहा।  फिर भी यहोवा ने दाविद के घराने का नाश नहीं करना चाहा, क्योंकि उसने दाविद के साथ करार किया था+ कि उसका और उसके बेटों का दीया हमेशा जलता रहेगा।+  यहोराम के दिनों में एदोम ने यहूदा से बगावत की+ और फिर अपना एक राजा खड़ा किया।+  इसलिए यहोराम और उसके सेनापति अपने सभी रथ लेकर उस पार गए। यहोराम ने रात के वक्‍त जाकर एदोमियों पर हमला किया, जो उसे और रथ-सेना के अधिकारियों को घेरे हुए थे और उन्हें हरा दिया। 10  इसके बाद भी एदोम ने यहूदा से बगावत करना नहीं छोड़ा और आज तक वह बगावत कर रहा है। उन्हीं दिनों लिब्ना+ ने भी यहूदा से बगावत की क्योंकि यहोराम ने अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा को छोड़ दिया था।+ 11  उसने यहूदा के पहाड़ों पर ऊँची जगह भी बनवायीं+ ताकि यरूशलेम के लोगों को परमेश्‍वर से विश्‍वासघात* करने के लिए उकसाए। वह यहूदा को बहकाकर परमेश्‍वर से दूर ले गया। 12  कुछ समय बाद उसे भविष्यवक्‍ता एलियाह+ का लिखा यह संदेश मिला: “तेरे पुरखे दाविद का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तू अपने पिता यहोशापात+ और यहूदा के राजा आसा के नक्शे-कदम पर नहीं चला।+ 13  इसके बजाय, तूने इसराएल के राजाओं के तौर-तरीके अपना लिए+ और यहूदा और यरूशलेम के लोगों को परमेश्‍वर से विश्‍वासघात* करने के लिए उकसाया,+ ठीक जैसे अहाब के घराने ने विश्‍वासघात किया।+ तूने अपने पिता के घराने को, अपने भाइयों तक को मार डाला+ जो तुझसे अच्छे थे। 14  इसलिए यहोवा तेरे लोगों, तेरे बेटों और तेरी पत्नियों पर भारी कहर ढाएगा और तेरी सारी दौलत नाश कर देगा। 15  और तू कई बीमारियों से पीड़ित होगा, तुझे अंतड़ियों की बीमारी भी लग जाएगी और दिनों-दिन यह बीमारी इतनी बढ़ जाएगी कि तेरी अंतड़ियाँ बाहर निकल आएँगी।’” 16  फिर यहोवा ने पलिश्‍तियों+ को और उन अरबी लोगों+ को, जो इथियोपिया के लोगों के पास रहते थे, यहोराम पर हमला करने के लिए भड़काया।+ 17  इसलिए उन्होंने यहूदा पर हमला किया और वे देश में घुसकर राजमहल से वह सारी दौलत उठा ले गए जो उन्हें मिली थी।+ वे यहोराम के बेटों और पत्नियों को भी ले गए, सिर्फ उसका सबसे छोटा बेटा यहोआहाज*+ उसके पास रह गया। 18  यह सब होने के बाद, यहोवा ने उसे अंतड़ियों की एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित किया।+ 19  कुछ समय बाद, दो साल बीतने पर बीमारी की वजह से उसकी अंतड़ियाँ बाहर निकल आयीं। इस बीमारी में उसने बहुत दर्द झेला और फिर वह मर गया। उसके लोगों ने उसके सम्मान में आग नहीं जलायी, जैसे उसके पुरखों के लिए जलायी थी।+ 20  यहोराम 32 साल की उम्र में राजा बना था और उसने यरूशलेम में रहकर आठ साल राज किया था। जब उसकी मौत हुई तो किसी को दुख नहीं हुआ। उन्होंने उसे दाविदपुर में दफनाया,+ मगर राजाओं की कब्र में नहीं।+

कई फुटनोट

शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया।”
या “को वेश्‍याओं जैसी बदचलनी।”
या “को वेश्‍याओं जैसी बदचलनी।”
अहज्याह भी कहलाता था।