दूसरा इतिहास 23:1-21

  • यहोयादा ने कदम उठाया; यहोआश राजा बना (1-11)

  • अतल्याह मारी गयी (12-15)

  • यहोयादा ने देश में सुधार किया (16-21)

23  सातवें साल यहोयादा ने हिम्मत से काम लिया और सौ-सौ की टुकड़ियों के इन अधिकारियों के साथ एक करार किया:+ यरोहाम का बेटा अजरयाह, यहोहानान का बेटा इश्‍माएल, ओबेद का बेटा अजरयाह, अदायाह का बेटा मासेयाह और जिक्री का बेटा एलीशापात।  फिर वे पूरे यहूदा में गए और उन्होंने यहूदा के सब शहरों से लेवियों+ को और इसराएल के पिताओं के घरानों के मुखियाओं को इकट्ठा किया। जब वे यरूशलेम आए,  तो पूरी मंडली ने सच्चे परमेश्‍वर के भवन में राजा के साथ एक करार किया।+ इसके बाद यहोयादा ने उनसे कहा, “देखो! राजा का बेटा अब राज करेगा, ठीक जैसे यहोवा ने दाविद के बेटों के बारे में वादा किया था।+  तुम्हें यह करना होगा: सब्त के दिन जो लेवी और याजक काम पर होंगे+ उनमें से एक-तिहाई आदमी दरबान होंगे,+  एक-तिहाई आदमी राजमहल के पास तैनात होंगे+ और एक-तिहाई आदमी ‘नींव के फाटक’ पर तैनात होंगे। और बाकी लोग यहोवा के भवन के आँगनों में होंगे।+  मंदिर में सेवा करनेवाले याजकों और लेवियों को छोड़ किसी को भी यहोवा के भवन के अंदर आने मत देना।+ सिर्फ याजकों और लेवियों को आने देना क्योंकि वे पवित्र लोगों का दल हैं और बाकी सब लोग यहोवा की तरफ अपना फर्ज़ निभाएँगे।  तुम लेवी अपने हाथों में हथियार लिए राजा के चारों तरफ तैनात रहना और उसकी रक्षा करना। अगर कोई भवन के अंदर आए तो उसे मार डालना। राजा जहाँ कहीं जाए* तुम उसके साथ रहना।”  लेवियों और पूरे यहूदा के लोगों ने ठीक वैसा ही किया जैसा यहोयादा याजक ने उन्हें आदेश दिया था। सब्त के दिन हर अधिकारी ने अपने दल के सभी आदमियों को लिया। जिन आदमियों की सेवा करने की बारी थी, उनके साथ-साथ उन आदमियों को भी लिया गया जिनकी बारी नहीं थी,+ क्योंकि यहोयादा याजक ने किसी भी दल को छुट्टी नहीं दी थी।+  फिर यहोयादा याजक ने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों+ को भाले, छोटी ढालें* और गोलाकार ढालें दीं। ये हथियार राजा दाविद के थे+ जो सच्चे परमेश्‍वर के भवन में रखे हुए थे।+ 10  उसने सब लोगों को, जो हाथ में हथियार लिए हुए थे, भवन के दाएँ कोने से लेकर बाएँ कोने तक तैनात किया। उसने उन्हें वेदी और भवन के पास यानी राजा के चारों तरफ खड़ा करवाया। 11  फिर वे राजा के बेटे+ को बाहर ले आए और उसे ताज पहनाया और उसके ऊपर साक्षी-पत्र*+ रखा और उसे राजा बनाया। यहोयादा और उसके बेटों ने उसका अभिषेक किया। फिर वे कहने लगे, “राजा की जय हो! राजा की जय हो!”+ 12  जब अतल्याह ने लोगों के दौड़ने और राजा की जयजयकार करने का शोर सुना, तो वह फौरन यहोवा के भवन में वहाँ आयी जहाँ लोगों की भीड़ इकट्ठा थी।+ 13  उसने देखा कि राजा भवन के प्रवेश में अपने खंभे के पास खड़ा है और उसके साथ हाकिम+ और तुरही फूँकनेवाले भी हैं। देश के सभी लोग खुशियाँ मना रहे हैं,+ तुरहियाँ फूँकी जा रही हैं और गायक साज़ बजाते हुए जश्‍न मनाने में अगुवाई कर रहे हैं। यह देखते ही अतल्याह ने अपने कपड़े फाड़े और वह चिल्लाने लगी, “यह साज़िश है! साज़िश!” 14  तब यहोयादा याजक ने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों को यह कहकर बाहर भेजा, “इस औरत को सैनिकों के बीच से बाहर ले जाओ। अगर कोई इसके पीछे-पीछे जाए तो उसे तलवार से मार डालो!” याजक ने उनसे कहा था, “उस औरत को यहोवा के भवन में घात मत करना।” 15  इसलिए वे उसे पकड़कर ले गए और जब वह महल के घोड़ा फाटक के प्रवेश के पास पहुँची, तो उन्होंने फौरन उसे मार डाला। 16  फिर यहोयादा ने अपने और राजा और लोगों के बीच एक करार किया कि वे यहोवा के लोग बने रहेंगे।+ 17  इसके बाद सब लोगों ने जाकर बाल का मंदिर ढा दिया+ और उसकी वेदियाँ और मूरतें चूर-चूर कर दीं+ और वेदियों के सामने ही बाल के पुजारी मत्तान को मार डाला।+ 18  फिर यहोयादा ने यहोवा के भवन की निगरानी का ज़िम्मा याजकों और लेवियों को सौंपा। दाविद ने इन्हें अलग-अलग दलों में बाँटकर यहोवा के भवन की ज़िम्मेदारी सौंपी थी ताकि वे यहोवा के लिए होम-बलियाँ चढ़ाएँ,+ ठीक जैसे मूसा के कानून में लिखा है+ और दाविद के निर्देश के मुताबिक खुशियाँ मनाएँ और गीत गाएँ। 19  इसके अलावा, यहोयादा ने यहोवा के भवन के फाटकों पर पहरेदारों को तैनात किया+ ताकि ऐसा कोई भी इंसान अंदर न जा सके जो किसी भी तरह से अशुद्ध है। 20  फिर उसने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों,+ रुतबेदार आदमियों, लोगों के शासकों और देश के सभी लोगों को साथ लिया और वे सब राजा को यहोवा के भवन से बाहर ले गए। वे ऊपरी फाटक से राजमहल के अंदर आए और उन्होंने राजा को राजगद्दी+ पर बिठाया।+ 21  देश के सभी लोगों ने खुशियाँ मनायीं और शहर में शांति छा गयी क्योंकि अतल्याह को तलवार से मार डाला गया था।

कई फुटनोट

शा., “जब राजा बाहर जाए और जब वह अंदर आए।”
ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।
शायद एक खर्रा जिसमें परमेश्‍वर का कानून लिखा था।