दूसरा इतिहास 33:1-25

  • यहूदा का राजा मनश्‍शे (1-9)

  • मनश्‍शे का पश्‍चाताप (10-17)

  • मनश्‍शे की मौत (18-20)

  • यहूदा का राजा आमोन (21-25)

33  मनश्‍शे+ जब राजा बना तब वह 12 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर 55 साल राज किया।+  मनश्‍शे ने यहोवा की नज़र में बुरे काम किए। उसने उन राष्ट्रों के जैसे घिनौने काम किए जिन्हें यहोवा ने इसराएल के लोगों के सामने से खदेड़ दिया था।+  उसने वे ऊँची जगह फिर से बनवा दीं जो उसके पिता हिजकियाह ने ढा दी थीं।+ उसने बाल देवताओं के लिए वेदियाँ खड़ी करवायीं और पूजा-लाठें* बनवायीं। वह आकाश की सारी सेना के आगे दंडवत करता था और उसकी पूजा करता था।+  उसने यहोवा के उस भवन में भी वेदियाँ खड़ी कर दीं+ जिसके बारे में यहोवा ने कहा था, “यरूशलेम से मेरा नाम हमेशा जुड़ा रहेगा।”+  उसने यहोवा के भवन के दोनों आँगनों+ में आकाश की सारी सेना के लिए वेदियाँ खड़ी कीं।  उसने ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’+ में अपने बेटों को आग में होम कर दिया।+ वह जादू करता था,+ ज्योतिषी का काम करता था, टोना-टोटका करता था और उसने देश में मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करनेवालों और भविष्य बतानेवालों को ठहराया था।+ उसने ऐसे काम करने में सारी हदें पार कर दीं जो यहोवा की नज़र में बुरे थे और उसका क्रोध भड़काया।  उसने जो मूरत तराशकर बनवायी थी उसे ले जाकर सच्चे परमेश्‍वर के भवन में रख दिया,+ जिसके बारे में परमेश्‍वर ने दाविद और उसके बेटे सुलैमान से कहा था, “इस भवन और यरूशलेम के साथ मेरा नाम हमेशा जुड़ा रहेगा, जिन्हें मैंने इसराएल के सभी गोत्रों के इलाके में से चुना है।+  मैं इसराएलियों को इस देश से फिर कभी नहीं निकालूँगा जो मैंने उनके पुरखों को दिया था, बशर्ते वे मेरी सब आज्ञाओं को सख्ती से मानें, उस पूरे कानून को, सारे नियमों और न्याय-सिद्धांतों को मानें जो मैंने मूसा के ज़रिए दिए थे।”  मनश्‍शे यहूदा और यरूशलेम के लोगों को सही राह से दूर ले जाता रहा और उन राष्ट्रों से भी बढ़कर दुष्ट काम करवाता रहा, जिन्हें यहोवा ने इसराएलियों के सामने से मिटा दिया था।+ 10  यहोवा मनश्‍शे और उसकी प्रजा से बात करता रहा, मगर उन्होंने बिलकुल ध्यान नहीं दिया।+ 11  इसलिए यहोवा ने अश्‍शूर के राजा के सेनापतियों से उन पर हमला करवाया। उन्होंने मनश्‍शे को पकड़ लिया, उसे नकेल डाली* और ताँबे की दो बेड़ियों से जकड़कर बैबिलोन ले गए। 12  अपनी दुख की घड़ी में उसने अपने परमेश्‍वर यहोवा से रहम की भीख माँगी और अपने पुरखों के परमेश्‍वर के सामने खुद को बहुत नम्र किया। 13  वह परमेश्‍वर से प्रार्थना करता रहा। परमेश्‍वर को उसका गिड़गिड़ाना देखकर उस पर तरस आया और उसने उसकी बिनती सुनकर उस पर रहम किया। परमेश्‍वर ने उसे यरूशलेम वापस लाकर उसका राज लौटा दिया।+ तब मनश्‍शे ने जाना कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।+ 14  इसके बाद उसने दाविदपुर के लिए घाटी के गीहोन+ के पश्‍चिम में एक बाहरी दीवार खड़ी की।+ यह दीवार बहुत ऊँची थी। उसने यह दीवार दूर मछली फाटक+ तक बनायी। वहाँ से यह दीवार शहर को घेरते हुए ओपेल+ तक पहुँची। और उसने यहूदा के सभी किलेबंद शहरों में सेनापति ठहराए। 15  उसने पराए देवताओं की मूरतें, यहोवा के भवन में रखी मूरत+ और वे सभी वेदियाँ निकाल दीं जो उसने यहोवा के भवन के पहाड़ पर और यरूशलेम में बनवायी थीं।+ उसने ये सारी चीज़ें शहर के बाहर फिंकवा दीं। 16  फिर उसने यहोवा की वेदी तैयार की+ और उस पर शांति-बलियाँ और धन्यवाद-बलियाँ चढ़ाने लगा।+ उसने यहूदा के लोगों से कहा कि वे इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करें। 17  लोग अब भी ऊँची जगहों पर बलिदान चढ़ाते रहे मगर वे सिर्फ अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए ऐसा करते थे। 18  मनश्‍शे की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसने अपने परमेश्‍वर से जो प्रार्थना की और दर्शियों ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के नाम से उससे जो बातें कहीं, वह सब इसराएल के राजाओं के इतिहास की किताब में लिखा है। 19  और उसने जो प्रार्थना की+ और परमेश्‍वर ने जिस तरह उसकी बिनती सुनी और उसने खुद को नम्र करने से पहले क्या-क्या पाप किए, कैसे विश्‍वासघात किया+ और कहाँ-कहाँ ऊँची जगह बनायीं, पूजा-लाठें खड़ी कीं+ और खुदी हुई मूरतें रखीं, उन सबके बारे में दर्शियों के लेखनों में लिखा है। 20  फिर मनश्‍शे की मौत हो गयी* और उसे उसी के घर के पास दफनाया गया। उसकी जगह उसका बेटा आमोन राजा बना।+ 21  जब आमोन+ राजा बना तब वह 22 साल का था और उसने यरूशलेम से यहूदा पर दो साल राज किया।+ 22  वह अपने पिता मनश्‍शे की तरह यहोवा की नज़र में बुरे काम करता रहा।+ आमोन ने उन सभी खुदी हुई मूरतों के आगे बलिदान चढ़ाए, जो उसके पिता मनश्‍शे ने बनवायी थीं+ और वह उनकी सेवा करता रहा। 23  मगर उसने यहोवा के सामने खुद को नम्र नहीं किया,+ जैसे उसके पिता मनश्‍शे ने खुद को नम्र किया था।+ इसके बजाय, आमोन ने और भी बढ़-चढ़कर पाप किया। 24  बाद में उसके सेवकों ने उसके खिलाफ साज़िश रची+ और उसी के महल में उसका कत्ल कर दिया। 25  मगर देश के लोगों ने उन सबको मार डाला जिन्होंने राजा आमोन के खिलाफ साज़िश की थी।+ फिर उन्होंने आमोन की जगह उसके बेटे योशियाह+ को राजा बनाया।

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
या शायद, “को गड्‌ढों में पकड़ा।”
शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया।”