कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी 2:1-17

  • पौलुस खुशी देना चाहता है (1-4)

  • पापी माफ किया गया, बहाल किया गया (5-11)

  • पौलुस त्रोआस और मकिदुनिया में (12, 13)

  • हमारी सेवा जीत का जुलूस है (14-17)

    • परमेश्‍वर के वचन के सौदागर नहीं (17)

2  मैंने ठान लिया है कि जब मैं दोबारा तुम्हारे पास आऊँ तो तुम्हें उदास न करूँ।  इसलिए कि अगर मैं तुम्हें उदास कर दूँ तो मुझे कौन खुश करेगा, सिवा उसके जिसे मैंने उदास किया है?  मैंने तुम्हें यह सब इसलिए लिखा है कि जब मैं आऊँ तो जिन लोगों से मुझे खुशी मिलनी चाहिए उनकी वजह से मैं उदास न हो जाऊँ, क्योंकि मुझे भरोसा है कि जिन बातों से मुझे खुशी मिलती है उन्हीं बातों से तुम्हें भी खुशी मिलती है।  मैंने बड़ी तकलीफ और दिल की तड़प के साथ आँसू बहा-बहाकर तुम्हें लिखा था, इसलिए नहीं कि तुम उदास हो जाओ+ बल्कि इसलिए कि तुम जानो कि मेरा प्यार तुम्हारे लिए कितना गहरा है।  अब अगर किसी ने उदास किया है,+ तो उसने मुझे नहीं बल्कि तुम सबको कुछ हद तक उदास किया है। मैं बहुत कड़े शब्दों में नहीं कहना चाहता।  उस आदमी को ज़्यादातर लोगों ने जो फटकार लगायी है वह काफी है।  अब तुम्हें उस पर कृपा करके उसे माफ करना चाहिए और उसे दिलासा देना चाहिए,+ कहीं ऐसा न हो कि वह हद-से-ज़्यादा उदासी में डूब जाए।+  इसलिए मैं तुम्हें बढ़ावा देता हूँ कि तुम उस आदमी को अपने प्यार का यकीन दिलाओ।+  मैं तुम्हें यह चिट्ठी इसलिए भी लिख रहा हूँ ताकि मुझे पता चले कि तुम सब बातों में आज्ञा मानते हो या नहीं। 10  तुम जिस किसी को माफ करते हो, उसे मैं भी माफ करता हूँ। दरअसल मैंने जिस किसी को माफ किया है (अगर मैंने कोई अपराध माफ किया है), वह मैंने मसीह के सामने तुम्हारी खातिर किया है 11  ताकि शैतान हम पर हावी न हो जाए*+ क्योंकि हम उसकी चालबाज़ियों* से अनजान नहीं।+ 12  जब मैं मसीह के बारे में खुशखबरी सुनाने त्रोआस पहुँचा+ और प्रभु की सेवा में मेरे लिए मौके का एक दरवाज़ा खोला गया, 13  तो मेरे भाई तीतुस+ को वहाँ न पाने की वजह से मेरा जी बेचैन हो गया। तब मैंने वहाँ चेलों से अलविदा कहा और मैं मकिदुनिया+ के लिए रवाना हो गया। 14  मगर परमेश्‍वर का धन्यवाद हो जो हमेशा हमारे आगे-आगे चलता हुआ हमें जीत के जुलूस में मसीह के संग लिए चलता है और हमारे ज़रिए अपने ज्ञान की खुशबू हर जगह फैलाता है!* 15  इसलिए कि परमेश्‍वर के सामने हम उद्धार पानेवालों और नाश होनेवालों के लिए मसीह के बारे में समाचार की खुशबू हैं, 16  यानी नाश होनेवालों के लिए वह गंध* हैं जो मौत की तरफ ले जाती है+ और उद्धार पानेवालों के लिए ऐसी खुशबू हैं जो जीवन की तरफ ले जाती है। और कौन है जो इस सेवा के लिए ज़रूरी योग्यता रखता है? 17  हम योग्यता रखते हैं क्योंकि हम परमेश्‍वर के वचन का सौदा करनेवाले* नहीं,+ जैसा कई लोग करते हैं। इसके बजाय परमेश्‍वर की तरफ से भेजे हुओं के नाते हम सीधाई से बोलते हैं, हाँ, परमेश्‍वर को हाज़िर जानकर मसीह के संग बोलते हैं।

कई फुटनोट

या “इरादों; साज़िशों।”
या “हमें चकमा न दे।”
या “पर ध्यान खींचता है।”
या “खुशबू।”
या “व्यापार करनेवाले; से मुनाफा कमानेवाले।”