कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी 6:1-18

  • परमेश्‍वर की कृपा का गलत इस्तेमाल मत करो (1, 2)

  • पौलुस की सेवा का ब्यौरा (3-13)

  • बेमेल जुए में न जुतो (14-18)

6  परमेश्‍वर के साथ काम करते हुए+ हम तुमसे यह भी गुज़ारिश करते हैं कि परमेश्‍वर की महा-कृपा स्वीकार करने के बाद उस कृपा का मकसद मत भूलो।+  इसलिए कि वह कहता है, “मंज़ूरी पाने के वक्‍त मैंने तेरी सुनी और उद्धार के दिन तेरी मदद की।”+ देखो! अभी खास तौर पर मंज़ूरी पाने का वक्‍त है। देखो! अभी उद्धार का वह दिन है।  हम किसी भी तरह से ठोकर खाने की कोई वजह नहीं देते ताकि हमारी सेवा में कोई दोष न पाया जाए।+  हर तरह से हम परमेश्‍वर के सेवक होने का सबूत देते हैं,+ धीरज से कई परीक्षाएँ सहकर, दुख-तकलीफें, तंगी और मुश्‍किलें झेलकर,+  मार खाकर, कैद में रहकर,+ दंगों का सामना करके, कड़ी मेहनत करके, जागते हुए रातें काटकर, भूखे पेट रहकर,+  शुद्धता, ज्ञान, सब्र,+ कृपा+ और पवित्र शक्‍ति से, बिना कपट प्यार करके,+  सच्ची बातें बोलकर, परमेश्‍वर की ताकत से,+ दाएँ* और बाएँ* हाथ में नेकी के हथियार लेकर,+  इज़्ज़त पाने और बेइज़्ज़त होने के समय, हमारे बारे में बुरी खबर फैलने और अच्छी खबर फैलने के समय। हमें धोखा देनेवाले समझा जाता है मगर हम सच्चे हैं,  हम अनजानों जैसे हैं फिर भी मशहूर हैं, मरने पर हैं* फिर भी देखो! हम ज़िंदा हैं,+ हम ऐसे हैं मानो हमें सज़ा दी गयी है मगर मौत के हवाले नहीं किया गया,+ 10  दुख मनानेवालों जैसे हैं मगर हमेशा खुश रहते हैं, गरीबों जैसे हैं फिर भी बहुतों को अमीर बनाते हैं, मानो कंगाल हैं फिर भी हमारे पास सबकुछ है।+ 11  कुरिंथियो, हमने खुलकर तुमसे बात की है, हमने तुम्हारे लिए अपने दिलों को बड़ा किया है। 12  हमने दिल खोलकर तुमसे प्यार किया है+ मगर तुम प्यार करने में तंगदिल हो। 13  इसलिए अपने बच्चे जानकर मैं तुमसे कहता हूँ कि तुम भी अपने दिलों को बड़ा करो।+ 14  अविश्‍वासियों के साथ बेमेल जुए में न जुतो।*+ क्योंकि नेकी के साथ दुष्टता की क्या दोस्ती?+ या रौशनी के साथ अँधेरे की क्या साझेदारी?+ 15  और मसीह और शैतान* के बीच क्या तालमेल?+ या एक विश्‍वासी* और एक अविश्‍वासी के बीच क्या समानता?+ 16  और परमेश्‍वर के मंदिर का मूरतों+ के साथ क्या समझौता? इसलिए कि हम जीवित परमेश्‍वर का एक मंदिर हैं,+ ठीक जैसा परमेश्‍वर ने कहा है, “मैं उनके बीच निवास करूँगा+ और उनके बीच चलूँगा-फिरूँगा और मैं उनका परमेश्‍वर बना रहूँगा और वे मेरे लोग बने रहेंगे।”+ 17  “यहोवा* कहता है, ‘इसलिए उनमें से बाहर निकल आओ और खुद को उनसे अलग करो और अशुद्ध चीज़ को छूना बंद करो,+ तब मैं तुम्हें अपने पास ले लूँगा।’”+ 18  “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा* कहता है, ‘और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा+ और तुम मेरे बेटे-बेटियाँ बनोगे।’”+

कई फुटनोट

शायद मारने के लिए।
शायद खुद को बचाने के लिए।
या “हमें मरने के लायक समझा गया।”
या “जुड़ो।”
शा., “बलियाल।” यह एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है “निकम्मा।”
या “विश्‍वासयोग्य इंसान।”
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।