थिस्सलुनीकियों के नाम दूसरी चिट्ठी 1:1-12

  • नमस्कार (1, 2)

  • थिस्सलुनीकियों का बढ़ता विश्‍वास (3-5)

  • आज्ञा न माननेवालों से बदला लिया जाएगा (6-10)

  • मंडली के लिए प्रार्थना (11, 12)

1  पौलुस, सिलवानुस* और तीमुथियुस+ थिस्सलुनीकियों की मंडली को लिख रहे हैं, जो परमेश्‍वर हमारे पिता और प्रभु यीशु मसीह के साथ एकता में है:  तुम्हें परमेश्‍वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले।  भाइयो, हमारा फर्ज़ बनता है कि हम तुम्हारे लिए हमेशा परमेश्‍वर का धन्यवाद करें। ऐसा करना सही भी है क्योंकि तुम्हारा विश्‍वास तेज़ी से बढ़ता जा रहा है और एक-दूसरे के लिए तुम सबका प्यार भी बढ़ता जा रहा है।+  इस वजह से हम परमेश्‍वर की मंडलियों में तुम पर गर्व करते हैं+ क्योंकि तुम इतने ज़ुल्म और मुश्‍किलें* झेलते हुए धीरज धर रहे हो और विश्‍वास में मज़बूत बने हुए हो।+  यह परमेश्‍वर के सच्चे न्याय का सबूत है और इस वजह से तुम परमेश्‍वर के राज के योग्य समझे जाओगे, जिसके लिए असल में तुम दुख उठा रहे हो।+  वाकई परमेश्‍वर की नज़र में यह सही है कि जो तुम पर संकट ले आते हैं, बदले में वह उन पर संकट ले आए।+  मगर तुम लोग जो संकट झेल रहे हो, तुम्हें हमारे साथ उस वक्‍त राहत दे जब प्रभु यीशु अपने शक्‍तिशाली दूतों के साथ धधकती आग में स्वर्ग से प्रकट होगा।+  वह उन लोगों से बदला लेगा जो परमेश्‍वर को नहीं जानते और हमारे प्रभु यीशु के बारे में खुशखबरी के मुताबिक नहीं चलते।+  उन्हें प्रभु के सामने से और उसकी शक्‍ति के तेज से दूर कर दिया जाएगा और उन्हें सज़ा देकर हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा।+ 10  यह उस वक्‍त होगा जब वह अपने पवित्र जनों के साथ महिमा पाने के लिए आएगा और उस दिन वे सभी उसकी तारीफ करेंगे जिन्होंने उस पर विश्‍वास किया है, क्योंकि हमने जो गवाही दी थी उस पर तुमने विश्‍वास किया है। 11  इसी वजह से हम तुम्हारे लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं कि हमारा परमेश्‍वर तुम्हें उसके बुलावे के योग्य समझे+ और अपनी शक्‍ति से वह जो-जो भलाई करना चाहता है वह सब करे और तुम विश्‍वास की वजह से जितने काम करते हो उन्हें सफल करे। 12  ऐसा इसलिए हो ताकि हमारे परमेश्‍वर और प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा के मुताबिक, हमारे प्रभु यीशु का नाम तुम्हारे ज़रिए महिमा पाए और तुम उसके साथ एकता में महिमा पाओ।

कई फुटनोट

सीलास भी कहलाता था।
या “संकट।”