दूसरा राजा 10:1-36

  • अहाब का घराना मिट गया (1-17)

    • यहोनादाब, येहू के साथ (15-17)

  • बाल के उपासक मारे गए (18-27)

  • येहू के राज का सारांश (28-36)

10  अहाब+ के 70 बेटे सामरिया में रहते थे। इसलिए येहू ने यिजरेल के हाकिमों, मुखियाओं+ और अहाब के बच्चों की देखभाल करनेवाले आदमियों के नाम चिट्ठियाँ लिखकर सामरिया भेजीं। उसने उनको लिखा,  “जब तुम्हारे पास यह चिट्ठी पहुँचेगी, तो तुम्हारे साथ तुम्हारे मालिक के बेटे होंगे और तुम्हारे पास युद्ध-रथ, घोड़े और किलेबंद शहर और हथियार भी होंगे।  तुम अपने मालिक के बेटों में से सबसे काबिल और होनहार* बेटे को चुनना और उसे उसके पिता की राजगद्दी पर बिठाना। फिर तुम अपने मालिक के घराने की रक्षा के लिए लड़ना।”  लेकिन वे सब डर गए और कहने लगे, “जब दो राजा उसके सामने टिक न सके,+ तो हम कैसे टिकेंगे?”  इसलिए राजमहल* की निगरानी करनेवाले आदमी, शहर के राज्यपाल, मुखियाओं और अहाब के बच्चों की देखभाल करनेवालों ने येहू को यह संदेश भेजा: “हम तेरे सेवक हैं। तू हमसे जो भी कहेगा, हम करेंगे। हम किसी को राजा नहीं बनाएँगे। तुझे जो सही लगे वह कर।”  तब येहू ने उन्हें दूसरी चिट्ठी लिखी, “अगर तुम मेरी तरफ हो और मेरा हुक्म मानने के लिए तैयार हो, तो एक काम करो। अपने मालिक के बेटों का सिर काटकर कल इस वक्‍त मेरे पास यिजरेल ले आओ।” राजा अहाब के 70 बेटे शहर के उन खास-खास आदमियों के साथ थे जो उनकी देखभाल करते थे।  जैसे ही उन्हें येहू की चिट्ठी मिली, उन्होंने राजा के 70 बेटों को मार डाला।+ उन्होंने उन आदमियों के सिर काटकर टोकरों में भरे और येहू के पास यिजरेल भेज दिए।  दूत ने येहू के पास आकर कहा, “वे राजा के बेटों के सिर लाए हैं।” येहू ने कहा, “शहर के फाटक पर उनके दो ढेर लगा दो और कल सुबह तक उन्हें वहीं रहने दो।”  सुबह जब वह बाहर गया तो सब लोगों के सामने खड़े होकर कहने लगा, “तुम सब निर्दोष* हो। यह सच है कि मैंने अपने मालिक के खिलाफ साज़िश की और उसे मार डाला,+ मगर इन सबको किसने मारा है? 10  इसलिए तुम सब जान लो कि यहोवा ने अहाब के घराने को जो सज़ा सुनायी थी और उसके बारे में यहोवा ने जो कहा था, उसकी एक-एक बात सच निकलेगी।*+ यहोवा ने बिलकुल वैसा ही किया, जैसा उसने अपने सेवक एलियाह से कहलवाया था।”+ 11  इसके अलावा, येहू ने अहाब के घराने के उन लोगों को भी मार डाला जो यिजरेल में बचे थे। साथ ही, उसने अहाब के सभी खास-खास आदमियों, दोस्तों और पुजारियों को मार डाला,+ एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ 12  इसके बाद वह सामरिया के लिए निकल पड़ा। रास्ते में एक ऐसी जगह थी जहाँ चरवाहे भेड़ों का ऊन कतरते थे। 13  वहाँ येहू की मुलाकात यहूदा के राजा अहज्याह+ के भाइयों से हुई। उसने उनसे पूछा, “तुम लोग कौन हो?” उन्होंने कहा, “हम अहज्याह के भाई हैं। हम राजा के बेटों और राजमाता के बेटों की खैरियत पूछने जा रहे हैं।” 14  येहू ने फौरन अपने आदमियों से कहा, “पकड़ लो इन सबको!” उन्होंने उनको पकड़ लिया और ऊन कतरनेवाली जगह के पास जो कुंड था, वहाँ उन सबको मार डाला। एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा। वे कुल मिलाकर 42 आदमी थे।+ 15  जब येहू वहाँ से आगे बढ़ा तो उसकी मुलाकात रेकाब+ के बेटे यहोनादाब+ से हुई जो उससे मिलने आ रहा था। जब यहोनादाब ने उसे सलाम किया* तो येहू ने उससे पूछा, “क्या तू पूरे* दिल से मेरे साथ है, जैसे मैं पूरे दिल से तेरे साथ हूँ?” यहोनादाब ने कहा, “हाँ, मैं हूँ।” येहू ने कहा, “तो फिर अपना हाथ मुझे दे।” यहोनादाब ने उसे अपना हाथ दिया और येहू ने उसे अपने साथ रथ पर चढ़ाया। 16  फिर उसने यहोनादाब से कहा, “तू मेरे साथ चल और देख कि मैं यह बरदाश्‍त नहीं कर सकता कि यहोवा के सिवा किसी और की उपासना की जाए।”*+ इस तरह यहोनादाब को येहू के युद्ध-रथ पर चढ़ा दिया गया। 17  फिर येहू सामरिया पहुँचा और वहाँ अहाब के घराने के जितने भी लोग बचे थे उन सबको उसने मार डाला। उसने उनका पूरी तरह सफाया कर दिया,+ ठीक जैसे यहोवा ने एलियाह से कहा था।+ 18  इसके बाद येहू ने सब लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “अहाब ने बाल की उपासना के लिए जो किया वह बहुत कम था,+ अब येहू बढ़-चढ़कर उसकी उपासना करेगा। 19  इसलिए बाल के सब भविष्यवक्‍ताओं,+ सब भक्‍तों और सब पुजारियों+ को मेरे पास इकट्ठा करो। ध्यान रखो कि एक भी छूटने न पाए क्योंकि मैं बाल के लिए एक बड़ा बलिदान चढ़ानेवाला हूँ। जो कोई इस मौके पर हाज़िर नहीं होगा उसे मार डाला जाएगा।” दरअसल यह येहू की एक चाल थी। वह बाल के सभी उपासकों को मिटा देना चाहता था। 20  येहू ने यह भी कहा, “बाल के लिए एक खास सभा का ऐलान किया जाए।” इसलिए इसका ऐलान किया गया। 21  इसके बाद येहू ने इसराएल के कोने-कोने में इसकी खबर भिजवायी और बाल के सभी उपासक सभा में आए, एक भी नहीं छूटा। वे सब-के-सब बाल के मंदिर में गए+ जिस वजह से मंदिर खचाखच भर गया। 22  येहू ने पोशाक-घर के अधिकारी से कहा, “बाल के सभी भक्‍तों के लिए पोशाकें ले आ।” वह उन सबके लिए पोशाकें ले आया। 23  फिर येहू और रेकाब का बेटा यहोनादाब+ बाल के मंदिर में गए। येहू ने बाल के भक्‍तों से कहा, “अच्छी तरह देखो कि यहाँ कोई यहोवा का उपासक तो नहीं है। यहाँ सिर्फ बाल के उपासक होने चाहिए।” 24  इसके बाद वे बलिदान और होम-बलियाँ चढ़ाने अंदर गए। येहू ने अपने 80 आदमियों को बाहर खड़ा किया था और उन्हें बताया था, “उन सबको मार डालना, किसी को भी मत छोड़ना। अगर तुममें से कोई किसी को भाग जाने देगा, तो उसे भागनेवाले के बदले मार डाला जाएगा।” 25  जैसे ही येहू आग में बलिदान चढ़ा चुका, उसने पहरेदारों और सहायक सेना-अधिकारियों से कहा, “अंदर आओ, इन सबको मार डालो! एक भी भागने न पाए!”+ पहरेदार और सहायक सेना-अधिकारी सबको तलवार से मारते गए और उनकी लाशें बाहर फेंकते गए। वे लोगों को घात करते-करते बाल के मंदिर के अंदरवाले कमरे* तक पहुँच गए। 26  फिर वे मंदिर से सारे पूजा-स्तंभ+ बाहर ले आए और उन्हें जला दिया।+ 27  उन्होंने बाल का पूजा-स्तंभ ढा दिया+ और मंदिर+ को गिरा दिया और उस जगह को शौचालय बना दिया। वह आज तक ऐसा ही है। 28  इस तरह येहू ने इसराएल से बाल की उपासना का नामो-निशान मिटा दिया। 29  मगर वह उन पापों से दूर नहीं रहा, जो नबात के बेटे यारोबाम ने इसराएल से करवाए थे। येहू ने बेतेल और दान में बने सोने के बछड़े की मूरतें रहने दीं।+ 30  यहोवा ने येहू से कहा, “मैंने अहाब के घराने के बारे में अपने मन में जो-जो ठाना था,+ वह सब तूने किया और इस तरह मेरी नज़र में सही काम किया। तूने जो सही कदम उठाया, उस वजह से चार पीढ़ियों तक तेरे बेटे इसराएल की राजगद्दी पर बैठेंगे।”+ 31  मगर येहू ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के कानून को पूरे दिल से मानने का ध्यान नहीं रखा।+ वह उन पापों से दूर नहीं रहा जो यारोबाम ने इसराएल से करवाए थे।+ 32  उन्हीं दिनों यहोवा इसराएल के इलाके की सीमा घटाने लगा। हजाएल पूरे इसराएल के अलग-अलग प्रांतों पर हमला करता रहा।+ 33  उसने यरदन के पूरब में गिलाद के पूरे इलाके से हमला करना शुरू किया, जहाँ गाद, रूबेन और मनश्‍शे गोत्र के लोग+ रहते थे। इसमें अरनोन घाटी के पासवाले अरोएर से लेकर गिलाद और बाशान तक का इलाका भी शामिल था।+ 34  येहू की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसने जो-जो काम किए, उनका और उसके बड़े-बड़े कामों का ब्यौरा इसराएल के राजाओं के इतिहास की किताब में लिखा है। 35  फिर येहू की मौत हो गयी* और उसे सामरिया में दफनाया गया। उसकी जगह उसका बेटा यहोआहाज+ राजा बना। 36  येहू ने सामरिया से इसराएल पर 28 साल राज किया था।

कई फुटनोट

या “सीधे-सच्चे।”
शा., “घर।”
या “नेक।”
शा., “धरती पर नहीं गिरेगी।”
या “आशीर्वाद दिया।”
शा., “सीधे-सच्चे।”
या “देख कि यहोवा के लिए मुझमें कितना जोश है।”
शा., “शहर,” शायद किले जैसी एक इमारत।
शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया।”