दूसरा राजा 11:1-21

  • अतल्याह ने राजगद्दी हड़पी (1-3)

  • यहोआश चुपके से राजा बनाया गया (4-12)

  • अतल्याह मारी गयी (13-16)

  • यहोयादा ने देश में सुधार किया (17-21)

11  जब अहज्याह की माँ अतल्याह+ ने देखा कि उसका बेटा मर गया है,+ तो उसने शाही खानदान के सभी वारिसों को मार डाला।*+  लेकिन राजा यहोराम की बेटी और अहज्याह की बहन यहोशेबा ने अहज्याह के बेटे यहोआश+ को बचा लिया। उसने यहोआश को राजा के बेटों में से चुपके से उठा लिया जिन्हें अतल्याह मार डालनेवाली थी। यहोशेबा, यहोआश और उसकी धाई को सोने के कमरे में ले गयी और उन्हें वहाँ छिपा दिया। उन्होंने किसी तरह यहोआश को अतल्याह से छिपाए रखा, इसलिए वह नहीं मारा गया।  यहोआश छ: साल तक उसके साथ रहा। उसे यहोवा के भवन में छिपाकर रखा गया। इस दौरान अतल्याह देश पर राज करती रही।  सातवें साल यहोयादा ने सौ-सौ शाही अंगरक्षकों* के दल के अधिकारियों को और महल के सौ-सौ पहरेदारों के दल के अधिकारियों+ को बुलवाया और उन्हें यहोवा के भवन में अपने पास इकट्ठा किया। यहोयादा ने यहोवा के भवन में उन अधिकारियों के साथ एक करार किया और उन्हें शपथ धरायी कि वे उस करार को मानेंगे। इसके बाद उसने उन्हें राजा का बेटा दिखाया।+  उसने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें यह करना होगा: तुममें से एक-तिहाई आदमी सब्त के दिन काम पर होंगे और राजमहल पर कड़ी नज़र रखेंगे,+  एक-तिहाई आदमी ‘नींव के फाटक’ पर तैनात होंगे और बचे हुए एक-तिहाई आदमी महल में पहरेदारों के पीछेवाले फाटक पर तैनात होंगे। तुम सब बारी-बारी से भवन पर नज़र रखोगे।  पहरेदारों के उन दो दलों को भी आना होगा जिनकी सब्त के दिन काम पर आने की बारी नहीं है और उन्हें यहोवा के भवन में राजा की हिफाज़त के लिए सख्त पहरा देना होगा।  तुम सब अपने हाथों में हथियार लिए राजा के चारों तरफ तैनात रहना और उसकी रक्षा करना। अगर कोई सैनिकों के घेरे के अंदर घुसने की कोशिश करे तो उसे मार डालना। राजा जहाँ कहीं जाए* तुम उसके साथ रहना।”  सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों+ ने ठीक वैसा ही किया जैसा यहोयादा याजक ने उन्हें आदेश दिया था। सब्त के दिन हर अधिकारी ने अपने दल के सभी आदमियों को लिया। जिन आदमियों की सेवा करने की बारी थी, उनके साथ-साथ उन आदमियों को भी लिया गया जिनकी बारी नहीं थी। वे सब यहोयादा याजक के पास इकट्ठा हुए।+ 10  याजक ने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों को भाले और गोलाकार ढालें दीं। ये हथियार राजा दाविद के थे जो यहोवा के भवन में रखे हुए थे। 11  महल के पहरेदार+ हाथ में हथियार लिए परमेश्‍वर के भवन में अपनी-अपनी जगह तैनात हुए। वे भवन के दाएँ कोने से लेकर बाएँ कोने तक तैनात थे। वे वेदी+ और भवन के पास यानी राजा के चारों तरफ खड़े थे। 12  फिर यहोयादा, राजा के बेटे+ को बाहर लाया और उसे ताज पहनाया और उसके ऊपर साक्षी-पत्र*+ रखा और उन्होंने उसका अभिषेक करके उसे राजा बनाया। फिर वे तालियाँ बजाने लगे और कहने लगे, “राजा की जय हो! राजा की जय हो!”+ 13  जब अतल्याह ने लोगों के दौड़ने का शोर सुना तो वह फौरन यहोवा के भवन में वहाँ आयी जहाँ लोगों की भीड़ इकट्ठा थी।+ 14  उसने देखा कि दस्तूर के मुताबिक राजा खंभे के पास खड़ा है+ और उसके साथ प्रधान और तुरही फूँकनेवाले+ भी हैं। देश के सभी लोग खुशियाँ मना रहे हैं और तुरहियाँ फूँकी जा रही हैं। यह देखते ही अतल्याह ने अपने कपड़े फाड़े और वह चिल्लाने लगी, “यह साज़िश है! साज़िश!” 15  तब यहोयादा याजक ने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों को हुक्म दिया,+ “इस औरत को सैनिकों के बीच से बाहर ले जाओ। अगर कोई इसके पीछे-पीछे जाए तो उसे तलवार से मार डालो!” याजक ने उनसे कहा था, “उस औरत को यहोवा के भवन में घात मत करना।” 16  इसलिए वे उसे पकड़कर ले गए और जब वह उस जगह पहुँची जहाँ से घोड़े महल+ में जाया करते थे, तो उसे मार डाला गया। 17  फिर यहोयादा ने यहोवा और राजा और लोगों के बीच एक करार किया+ कि वे यहोवा के लोग बने रहेंगे। उसने राजा और लोगों के बीच भी एक करार किया।+ 18  इसके बाद देश के सब लोगों ने बाल के मंदिर में जाकर उसकी वेदियाँ ढा दीं,+ उसकी मूरतें चूर-चूर कर दीं+ और वेदियों के सामने ही बाल के पुजारी मत्तान को मार डाला।+ फिर यहोयादा याजक ने कुछ आदमियों को यहोवा के भवन की निगरानी करने का काम सौंपा।+ 19  फिर उसने सौ-सौ की टुकड़ियों के अधिकारियों,+ शाही अंगरक्षकों, महल के पहरेदारों+ और देश के सभी लोगों को साथ लिया और वे सब राजा को यहोवा के भवन से बाहर ले गए। वे महल के पहरेदारोंवाले फाटक से राजमहल के अंदर आए। फिर वह जाकर राजगद्दी पर बैठ गया।+ 20  देश के सभी लोगों ने खुशियाँ मनायीं और शहर में शांति छा गयी क्योंकि राजमहल के पास अतल्याह को तलवार से मार डाला गया था। 21  यहोआश+ जब राजा बना तब वह सात साल का था।+

कई फुटनोट

शा., “राज के सारे बीज नाश कर दिए।”
शा., “कारी लोगों।”
शा., “जब वह बाहर जाए और जब वह अंदर आए।”
शायद एक खर्रा जिसमें परमेश्‍वर का कानून लिखा था।