दूसरा राजा 18:1-37

  • यहूदा का राजा हिजकियाह (1-8)

  • इसराएल के अंत पर दोबारा नज़र (9-12)

  • यहूदा पर सनहेरीब का हमला (13-18)

  • रबशाके ने यहोवा पर ताना कसा (19-37)

18  जब इसराएल में एलाह के बेटे होशेआ+ के राज का तीसरा साल चल रहा था, तब यहूदा में राजा आहाज+ का बेटा हिजकियाह+ राजा बना।  उस समय हिजकियाह 25 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर 29 साल राज किया। उसकी माँ का नाम अबी* था जो जकरयाह की बेटी थी।+  हिजकियाह यहोवा की नज़र में सही काम करता रहा,+ ठीक जैसे उसके पुरखे दाविद ने किया था।+  हिजकियाह ही वह राजा था जिसने ऊँची जगह हटायीं,+ पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर दिए और पूजा-लाठ* काट डाली।+ उसने ताँबे का वह साँप भी चूर-चूर कर दिया जो मूसा ने बनवाया था।+ उस साँप को ‘ताँबे के साँप की मूरत’* कहा जाता था। इसराएली अब भी उसके आगे बलिदान चढ़ाया करते थे ताकि उनका धुआँ उठे।  हिजकियाह ने हमेशा इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा पर भरोसा रखा।+ यहूदा में जितने राजा हुए थे उनमें हिजकियाह जैसा राजा कोई न था, न उसके पहले न उसके बाद।  वह हमेशा यहोवा से लिपटा रहा+ और उसकी बतायी राह से कभी दूर नहीं गया। वह उन आज्ञाओं को मानता रहा जो यहोवा ने मूसा को दी थीं।  और यहोवा ने भी उसका साथ नहीं छोड़ा। हिजकियाह ने जो भी काम किया बड़ी बुद्धिमानी से किया। उसने अश्‍शूर के राजा से बगावत की और उसकी सेवा करने से इनकार कर दिया।+  उसने पलिश्‍तियों को भी हरा दिया+ और पहरे की मीनार से लेकर किलेबंद शहर तक* उनके सभी इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया। उनमें गाज़ा और उसके आस-पास के इलाके भी थे।  जब यहूदा में हिजकियाह के राज का चौथा साल और इसराएल में एलाह के बेटे होशेआ+ के राज का सातवाँ साल चल रहा था, तब अश्‍शूर के राजा शलमन-एसेर ने सामरिया पर हमला कर दिया और उसकी घेराबंदी करने लगा।+ 10  घेराबंदी का तीसरा साल खत्म होते-होते, अश्‍शूरियों ने सामरिया पर कब्ज़ा कर लिया।+ उस समय यहूदा में हिजकियाह के राज का छठा साल चल रहा था और इसराएल में होशेआ के राज का नौवाँ साल। 11  सामरिया पर कब्ज़ा करने के बाद अश्‍शूर का राजा इसराएल के लोगों को बंदी+ बनाकर अश्‍शूर ले गया और उन्हें हलह में, गोजान नदी के पास हाबोर में और मादियों के शहरों में बसा दिया।+ 12  यह इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात नहीं मानी और वे उसके करार के खिलाफ काम करते रहे, यानी यहोवा के सेवक मूसा ने जितनी आज्ञाएँ दी थीं, उन सबका उन्होंने उल्लंघन किया।+ उन्होंने न तो परमेश्‍वर की बात सुनी और न उसकी आज्ञा मानी। 13  हिजकियाह के राज के 14वें साल में अश्‍शूर के राजा सनहेरीब+ ने यहूदा के सभी किलेबंद शहरों पर हमला कर दिया और उन पर कब्ज़ा कर लिया।+ 14  तब यहूदा के राजा हिजकियाह ने अश्‍शूर के राजा के पास लाकीश में यह संदेश भेजा: “मुझसे गलती हो गयी। तू मुझ पर जो जुरमाना लगाना चाहे लगा दे, मैं देने को तैयार हूँ। तू यह घेराबंदी हटा दे।” अश्‍शूर के राजा ने हिजकियाह पर 300 तोड़े* चाँदी और 30 तोड़े सोने का जुरमाना लगाया। 15  इसलिए हिजकियाह ने यहोवा के भवन और राजमहल के खज़ानों से सारी चाँदी निकालकर उस राजा को दे दी।+ 16  उस वक्‍त हिजकियाह ने यहोवा के मंदिर के दरवाज़े+ और उनके बाज़ू निकाल दिए जिन पर उसने खुद सोना मढ़वाया था+ और यह सब अश्‍शूर के राजा को दे दिया। 17  तब अश्‍शूर के राजा ने लाकीश+ से तरतान,* रबसारीस* और रबशाके* को एक विशाल सेना के साथ राजा हिजकियाह के पास यरूशलेम भेजा।+ वे यरूशलेम गए और वहाँ के ऊपरवाले तालाब की नहर के पास खड़े हो गए, जो धोबी के मैदान की तरफ जानेवाले राजमार्ग के पास थी।+ 18  जब उन्होंने यहूदा के राजा को बाहर आने के लिए आवाज़ दी, तो उसके राज-घराने की देखरेख करनेवाला अधिकारी एल्याकीम+ (जो हिलकियाह का बेटा था), राज-सचिव शेबनाह+ और शाही इतिहासकार योआह (जो आसाप का बेटा था) बाहर उनके पास आए। 19  रबशाके ने उनसे कहा, “जाकर हिजकियाह से कहो, ‘अश्‍शूर के राजाधिराज का यह संदेश है: “तू किस बात पर भरोसा किए बैठा है?+ 20  तू जो कहता है कि मेरे पास युद्ध की रणनीति तैयार है, मेरे पास बहुत ताकत है, यह सब बकवास है! तूने किस पर भरोसा करके मुझसे बगावत करने की जुर्रत की है?+ 21  उस मिस्र पर? वह तो कुचला हुआ नरकट है! अगर कोई उसका सहारा लेने के लिए उस पर हाथ रखे तो वह उसकी हथेली में चुभ जाएगा। मिस्र के राजा फिरौन पर जितने लोग भरोसा रखते हैं+ उनके लिए वह एक कुचले हुए नरकट के सिवा कुछ नहीं है। 22  अब यह मत कहना कि हमें अपने परमेश्‍वर यहोवा पर भरोसा है।+ हिजकियाह ने तो उसकी सारी ऊँची जगह और वेदियाँ ढा दीं+ और वह यहूदा और यरूशलेम के लोगों से कहता है, ‘तुम सिर्फ यरूशलेम की इस वेदी के आगे दंडवत करना।’”’+ 23  अब आ और मेरे मालिक अश्‍शूर के राजा से यह बाज़ी लगा: मैं तुझे 2,000 घोड़े देता हूँ, तू उनके लिए सवार लाकर दिखा।+ 24  जब तू यह नहीं कर सकता, तो हमारी सेना का मुकाबला कैसे करेगा? तू चाहे मिस्र के सारे रथ और घुड़सवार ले आए, फिर भी मेरे मालिक के एक राज्यपाल को, उसके सबसे छोटे सेवक को भी हरा नहीं पाएगा। 25  और क्या मैं बिना यहोवा की इजाज़त के इस जगह को नाश करने आया हूँ? यहोवा ने खुद मुझसे कहा है, ‘जा उस देश पर हमला कर, उसे तबाह कर दे।’” 26  तब हिलकियाह के बेटे एल्याकीम और शेबनाह+ और योआह ने रबशाके+ से कहा, “मेहरबानी करके अपने सेवकों से अरामी* भाषा+ में बात कर क्योंकि हम वह भाषा समझ सकते हैं। तू हमसे यहूदियों की भाषा में बात न कर क्योंकि शहरपनाह पर खड़े लोग सुन रहे हैं।”+ 27  मगर रबशाके ने उनसे कहा, “मेरे मालिक ने मुझे सिर्फ तुम्हें और तुम्हारे मालिक को संदेश सुनाने के लिए नहीं भेजा। यह संदेश शहरपनाह पर खड़े आदमियों के लिए भी है, क्योंकि उनकी और तुम्हारी ऐसी हालत होगी कि तुम अपना ही मल खाओगे और अपना ही पेशाब पीओगे।” 28  फिर रबशाके यहूदियों की भाषा में ज़ोर-ज़ोर से कहने लगा, “अश्‍शूर के राजाधिराज का संदेश सुनो,+ 29  ‘तुम लोग हिजकियाह की बातों में मत आओ, वह तुम्हें मेरे हाथ से नहीं छुड़ा सकता।+ 30  उसकी बात पर यकीन मत करो जो तुम्हें यहोवा पर भरोसा दिलाने के लिए कहता है, “यहोवा हमें ज़रूर बचाएगा और यह शहर अश्‍शूर के राजा के हाथ में नहीं किया जाएगा।”+ 31  तुम उसकी बात बिलकुल मत सुनना। अश्‍शूर के राजा ने कहा है, “तुम लोग मेरे साथ सुलह कर लो और अपने हथियार डाल दो,* तब तुममें से हर कोई अपने-अपने अंगूरों के बाग और अंजीर के पेड़ से खा सकेगा और अपने कुंड से पानी पी सकेगा। 32  फिर मैं आकर तुम्हें एक ऐसे देश में ले जाऊँगा जो तुम्हारे देश जैसा है।+ वहाँ अनाज, नयी दाख-मदिरा, रोटी और शहद की भरमार होगी और जगह-जगह अंगूरों के बाग और जैतून के पेड़ होंगे। तब तुम्हारी जान सलामत रहेगी, तुम्हें मौत का खतरा नहीं होगा। हिजकियाह की बात मत सुनो, वह यह कहकर तुम्हें गुमराह कर रहा है, ‘यहोवा हमें बचा लेगा।’ 33  क्या आज तक किसी राष्ट्र का देवता अपने देश को अश्‍शूर के राजा के हाथ से बचा पाया है? 34  हमात+ और अरपाद के देवता कहाँ गए? कहाँ गए सपरवैम,+ हेना और इव्वा के देवता? क्या वे सामरिया को मेरे हाथ से बचा सके?+ 35  क्या उनमें से एक भी देवता ऐसा है जो अपने देश को मेरे हाथ से बचा पाया हो? तो फिर यहोवा कैसे यरूशलेम को मेरे हाथ से बचा पाएगा?”’”+ 36  मगर लोग चुप रहे, उन्होंने जवाब में कुछ नहीं कहा क्योंकि राजा का यह आदेश था: “तुम उसे कोई जवाब मत देना।”+ 37  इसके बाद राज-घराने की देखरेख करनेवाला अधिकारी एल्याकीम (जो हिलकियाह का बेटा था), राज-सचिव शेबनाह और शाही इतिहासकार योआह ने (जो आसाप का बेटा था) अपने कपड़े फाड़े और हिजकियाह के पास आकर उसे रबशाके की सारी बातें बतायीं।

कई फुटनोट

यह अबियाह नाम का छोटा रूप है।
शब्दावली देखें।
या “नहुश-तान।”
यानी हर जगह पर, फिर चाहे वहाँ थोड़े लोग बसे हों या घनी आबादी हो।
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “प्रधान साकी।”
या “मुख्य दरबारी।”
या “सेनापति।”
या “सीरियाई।”
शा., “मेरे साथ आशीर्वाद करो और मेरे पास निकल आओ।”