दूसरा राजा 2:1-25

  • एलियाह आँधी में उठा लिया गया (1-18)

    • उसकी पोशाक एलीशा को मिली (13, 14)

  • एलीशा ने पानी पीने लायक बनाया (19-22)

  • रीछनियों ने लड़कों को मार डाला (23-25)

2  जब यहोवा एलियाह+ को एक आँधी के ज़रिए आसमान की तरफ उठा लेनेवाला था+ तो एलियाह और एलीशा+ गिलगाल+ से निकले।  एलियाह ने एलीशा से कहा, “तू यहीं ठहर जा क्योंकि यहोवा ने मुझे बेतेल जाने के लिए कहा है।” मगर एलीशा ने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, मैं तेरा साथ नहीं छोड़ूँगा।” इसलिए वे दोनों नीचे बेतेल+ गए।  बेतेल में भविष्यवक्‍ताओं के बेटे* एलीशा के पास आकर कहने लगे, “क्या तुझे पता है, आज यहोवा तेरे मालिक को तुझसे दूर ले जानेवाला है, तेरा मुखिया तुझसे जुदा होनेवाला है?”+ उसने कहा, “हाँ, मुझे पता है। तुम इस बारे में बात मत करो।”  फिर एलियाह ने एलीशा से कहा, “एलीशा, तू यहीं ठहर जा क्योंकि यहोवा ने मुझे यरीहो जाने के लिए कहा है।”+ मगर उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, मैं तेरा साथ नहीं छोड़ूँगा।” इसलिए वे दोनों यरीहो गए।  यरीहो में भविष्यवक्‍ताओं के बेटे थे, वे एलीशा के पास आकर कहने लगे, “क्या तुझे पता है, आज यहोवा तेरे मालिक को तुझसे दूर ले जानेवाला है, तेरा मुखिया तुझसे जुदा होनेवाला है?” उसने कहा, “हाँ, मुझे पता है। तुम इस बारे में बात मत करो।”  फिर एलियाह ने एलीशा से कहा, “तू यहीं ठहर जा क्योंकि यहोवा ने मुझे यरदन नदी के पास जाने के लिए कहा है।” मगर उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, मैं तेरा साथ नहीं छोड़ूँगा।” इसलिए वे दोनों आगे गए।  भविष्यवक्‍ताओं के बेटों में से 50 आदमी भी उनके साथ गए। जब एलियाह और एलीशा यरदन नदी के पास पहुँचे तो वे भविष्यवक्‍ता दूर खड़े उन्हें देखने लगे।  एलियाह ने अपनी पोशाक*+ उतारी और उसे मोड़कर पानी पर मारा और नदी का पानी दायीं और बायीं तरफ हटकर दो हिस्सों में बँट गया। तब वे दोनों बीच में सूखी ज़मीन पर चलकर नदी के उस पार गए।+  जैसे ही वे दोनों उस पार पहुँचे, एलियाह ने एलीशा से कहा, “इससे पहले कि परमेश्‍वर मुझे तुझसे दूर ले जाए, तू जो चाहे मुझसे माँग ले।” एलीशा ने कहा, “परमेश्‍वर ने तुझे जो शक्‍ति* दी है+ क्या उसके दो हिस्से+ मुझे मिल सकते हैं?” 10  एलियाह ने कहा, “तूने एक मुश्‍किल चीज़ माँगी है। जब मुझे तुझसे दूर ले जाया जाएगा, तब अगर तू मुझे देखेगा तो तूने जो माँगा है वह तुझे मिल जाएगा। लेकिन अगर तू मुझे नहीं देखेगा तो तुझे वह नहीं मिलेगा।” 11  जब वे दोनों बातें करते हुए साथ-साथ चल रहे थे, तब अचानक एक रथ और कुछ घोड़े दिखायी पड़े जो आग की तरह तेज़ चमक रहे थे+ और उन्होंने उन दोनों को अलग कर दिया। फिर एलियाह एक आँधी में आसमान की तरफ ऊपर उठने लगा।+ 12  एलीशा जब यह सब देख रहा था तो वह ज़ोर-ज़ोर से कह रहा था, “हे मेरे पिता, हे मेरे पिता! देख, इसराएल का रथ और उसके घुड़सवार!”+ जब एलियाह उसकी आँखों से ओझल हो गया, तो उसने अपने कपड़े फाड़कर दो टुकड़े कर दिए।+ 13  इसके बाद उसने एलियाह की पोशाक*+ उठायी जो नीचे गिर गयी थी। फिर वह वापस यरदन नदी के किनारे गया और वहाँ खड़ा हो गया। 14  उसने एलियाह की पोशाक ली और उसे पानी पर मारा और कहा, “एलियाह का परमेश्‍वर यहोवा कहाँ है?” जब उसने पोशाक पानी पर मारी, तो नदी का पानी दायीं और बायीं तरफ हटकर दो हिस्सों में बँट गया और एलीशा बीच से चलता हुआ उस पार गया।+ 15  जब यरीहो के भविष्यवक्‍ताओं ने दूर से उसे देखा तो उन्होंने कहा, “एलियाह की शक्‍ति अब एलीशा में आ गयी है।”+ फिर वे उससे मिलने उसके पास गए और उन्होंने उसके सामने ज़मीन पर गिरकर उसे प्रणाम किया। 16  उन्होंने उससे कहा, “देख, अब तेरी सेवा में 50 काबिल आदमी हाज़िर हैं। इजाज़त हो तो वे जाकर तेरे मालिक को ढूँढ़ लाएँगे। हो सकता है यहोवा की पवित्र शक्‍ति* उसे उठाकर ले गयी हो और उसे किसी पहाड़ पर या किसी घाटी में छोड़ दिया हो।”+ मगर एलीशा ने कहा, “उन्हें मत भेजो।” 17  फिर भी वे उससे बार-बार कहते रहे, इसलिए वह उलझन में पड़ गया और उसने कहा, “ठीक है, भेज दो उन्हें।” उन्होंने एलियाह को ढूँढ़ने 50 आदमियों को भेजा। वे तीन दिन तक उसे ढूँढ़ते रहे, मगर वह उन्हें नहीं मिला। 18  वे एलीशा के पास लौट आए जो उस वक्‍त यरीहो+ में ठहरा था। उसने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें जाने से मना किया था न!” 19  कुछ समय बाद यरीहो शहर के आदमियों ने एलीशा से कहा, “मालिक, तू देख सकता है कि हमारा शहर कितनी अच्छी जगह पर बसा है।+ मगर यहाँ का पानी खराब है और ज़मीन बंजर है।”* 20  एलीशा ने कहा, “एक नयी कटोरी लो और उसमें नमक डालकर मेरे पास लाओ।” उन्होंने एक कटोरी में नमक डालकर उसे दिया। 21  एलीशा पानी के सोते के पास गया और उसने उस पर नमक फेंककर+ कहा, “यहोवा कहता है, ‘मैंने इस पानी को पीने लायक कर दिया है। अब से इसकी वजह से न तो किसी की मौत होगी, न कोई औरत बाँझ रहेगी।’”* 22  जैसे एलीशा ने कहा था, वहाँ का पानी पीने लायक हो गया और आज तक ऐसा ही है। 23  इसके बाद एलीशा वहाँ से बेतेल गया। जब वह बेतेल की तरफ ऊपर जा रहा था तो शहर से कुछ लड़के बाहर आए और उसकी खिल्ली उड़ाने लगे,+ “ओ गंजे! जा ऊपर जा! ओ गंजे, जा ऊपर जा!” 24  कुछ देर बाद, एलीशा ने मुड़कर उनकी तरफ देखा और यहोवा के नाम से उन्हें शाप दिया। तब जंगल से दो रीछनियाँ+ निकलकर आयीं और उनमें से 42 बच्चों को फाड़ डाला।+ 25  फिर एलीशा वहाँ से आगे बढ़ता हुआ करमेल पहाड़+ पर गया और वहाँ से सामरिया लौट गया।

कई फुटनोट

“भविष्यवक्‍ताओं के बेटों” का मतलब शायद भविष्यवक्‍ताओं का दल था या भविष्यवक्‍ताओं का एक संघ था जिसमें उन्हें तालीम दी जाती थी।
या “भविष्यवक्‍ता की पोशाक।”
यहाँ शक्‍ति का मतलब परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति या एलियाह का स्वभाव हो सकता है।
या “भविष्यवक्‍ता की पोशाक।”
या “आँधी।”
या शायद, “ज़मीन गर्भ गिरा देती है।”
या शायद, “न किसी का गर्भ गिरेगा।”