दूसरा राजा 20:1-21

  • हिजकियाह बीमार; वह ठीक हुआ (1-11)

  • बैबिलोन से आए दूत (12-19)

  • हिजकियाह की मौत (20, 21)

20  उन दिनों हिजकियाह बीमार हो गया। उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि वह मरनेवाला था।+ तब आमोज का बेटा, भविष्यवक्‍ता यशायाह उसके पास आया और उससे कहा, “यहोवा ने कहा है, ‘तू अपने घराने को ज़रूरी हिदायतें दे क्योंकि तू इस बीमारी से ठीक नहीं होगा, तेरी मौत हो जाएगी।’”+  यह सुनकर हिजकियाह ने दीवार की तरफ मुँह किया और वह यहोवा से प्रार्थना करने लगा,  “हे यहोवा, मैं तुझसे बिनती करता हूँ, याद कर कि मैं कैसे तेरा विश्‍वासयोग्य बना रहा और पूरे दिल से तेरे सामने सही राह पर चलता रहा। मैंने हमेशा वही किया जो तेरी नज़र में सही है।”+ यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।  हिजकियाह को संदेश सुनाने के बाद यशायाह महल के बीचवाले आँगन तक पहुँचा भी न था कि यहोवा का यह संदेश उसके पास आया,+  “तू मेरे लोगों के अगुवे हिजकियाह के पास वापस जा और उससे कह, ‘तेरे पुरखे दाविद के परमेश्‍वर यहोवा ने कहा है, “मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है, तेरे आँसू देखे हैं।+ मैं तेरी बीमारी दूर कर दूँगा।+ तीसरे दिन तू यहोवा के भवन में जाएगा।+  मैं तेरी उम्र 15 साल और बढ़ा दूँगा। मैं तुझे और इस शहर को अश्‍शूर के राजा के हाथ से बचाऊँगा।+ अपने नाम की खातिर और अपने सेवक दाविद की खातिर मैं इस शहर की हिफाज़त करूँगा।”’”+  फिर यशायाह ने राजा के सेवकों से कहा, “सूखे अंजीरों की एक टिकिया ले आओ।” उन्होंने सूखे अंजीरों की टिकिया लाकर हिजकियाह के फोड़े पर लगायी। इसके बाद वह धीरे-धीरे ठीक हो गया।+  हिजकियाह ने यशायाह से पूछा था, “मैं कैसे यकीन करूँ कि यहोवा मेरी बीमारी दूर कर देगा और तीसरे दिन मैं यहोवा के भवन में जा पाऊँगा? क्या तू मुझे इसकी कोई निशानी देगा?”+  यशायाह ने उससे कहा, “यहोवा की तरफ से तेरे लिए यह निशानी होगी जिससे तू यकीन करे कि यहोवा ने जो कहा है उसे वह पूरा भी करेगा: तू क्या चाहता है, सीढ़ियों* पर छाया दस कदम आगे बढ़े या दस कदम पीछे जाए?”+ 10  हिजकियाह ने कहा, “छाया का दस कदम आगे बढ़ना आसान है, मगर पीछे जाना मुश्‍किल।” 11  तब भविष्यवक्‍ता यशायाह ने यहोवा को पुकारा और परमेश्‍वर ने आहाज की सीढ़ियों पर वह छाया दस कदम पीछे कर दी जो आगे बढ़ चुकी थी।+ 12  उस वक्‍त बैबिलोन के राजा बरोदक-बलदान ने, जो बलदान का बेटा था, अपने दूतों के हाथ हिजकियाह को चिट्ठियाँ और एक तोहफा भेजा क्योंकि उसे हिजकियाह की बीमारी का पता चला था।+ 13  हिजकियाह ने उन दूतों का स्वागत किया* और उन्हें अपना सारा खज़ाना दिखा दिया।+ उसने सारा सोना-चाँदी, बलसाँ का तेल, दूसरे किस्म के बेशकीमती तेल, हथियारों का भंडार और वह सारी चीज़ें दिखायीं जो उसके खज़ानों में थीं। उसके महल और पूरे राज्य में ऐसी एक भी चीज़ नहीं थी जो उसने उन्हें न दिखायी हो। 14  इसके बाद भविष्यवक्‍ता यशायाह राजा हिजकियाह के पास आया और उससे पूछा, “ये आदमी कहाँ से आए थे और इन्होंने तुझसे क्या कहा?” हिजकियाह ने कहा, “वे एक दूर देश बैबिलोन से आए थे।”+ 15  फिर यशायाह ने पूछा, “उन्होंने तेरे महल में क्या-क्या देखा?” हिजकियाह ने कहा, “उन्होंने मेरे महल की हर चीज़ देखी। मेरे खज़ानों में ऐसा कुछ नहीं जो मैंने उन्हें न दिखाया हो।” 16  तब यशायाह ने हिजकियाह से कहा, “अब तू यहोवा का संदेश सुन।+ 17  यहोवा कहता है, ‘देख! वह दिन आ रहा है जब तेरे महल का सारा खज़ाना बैबिलोन ले जाया जाएगा। तेरे पुरखों ने आज के दिन तक जितना धन जमा किया था, वह सब भी लूट लिया जाएगा।+ एक भी चीज़ नहीं छोड़ी जाएगी। 18  और तेरे जो बेटे होंगे उनमें से कुछ को बैबिलोन ले जाया जाएगा+ और वहाँ के राजमहल में दरबारी बनाया जाएगा।’”+ 19  हिजकियाह ने यशायाह से कहा, “तूने यहोवा का जो फैसला सुनाया है, वह सही है।”+ फिर उसने कहा, “परमेश्‍वर की बड़ी दया है कि मेरे जीते-जी* मेरे राज में शांति और सुरक्षा* रहेगी।”+ 20  हिजकियाह की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसके बड़े-बड़े कामों का और कैसे उसने कुंड+ और पानी की सुरंग बनवाकर शहर में पानी लाने का इंतज़ाम किया,+ उन सबका ब्यौरा यहूदा के राजाओं के इतिहास की किताब में लिखा है। 21  फिर हिजकियाह की मौत हो गयी*+ और उसकी जगह उसका बेटा मनश्‍शे+ राजा बना।+

कई फुटनोट

शायद इन सीढ़ियों का इस्तेमाल एक धूप-घड़ी की तरह समय मापने के लिए किया जाता था।
या “की सुनी।”
शा., “दिनों में।”
या “सच्चाई।”
शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया।”