दूसरा राजा 23:1-37

  • योशियाह ने देश में सुधार किया (1-20)

  • फसह मनाया गया (21-23)

  • उसने और भी सुधार किया (24-27)

  • योशियाह की मौत (28-30)

  • यहूदा का राजा यहोआहाज (31-33)

  • यहूदा का राजा यहोयाकीम (34-37)

23  इसलिए राजा ने आदेश दिया और उन्होंने यहूदा और यरूशलेम के सभी मुखियाओं को बुलवाया।+  इसके बाद राजा योशियाह, यहूदा के सभी आदमियों को, याजकों और भविष्यवक्‍ताओं को और यरूशलेम के छोटे-बड़े सब लोगों को लेकर यहोवा के भवन में गया। फिर उसने सबको करार+ की पूरी किताब+ पढ़कर सुनायी जो यहोवा के भवन में मिली थी।+  राजा खंभे के पास खड़ा हुआ और उसने यहोवा के सामने यह करार किया*+ कि हम सब यहोवा के पीछे चलेंगे और पूरे दिल और पूरी जान से उसकी आज्ञाओं और विधियों पर चलेंगे, जो हिदायतें वह याद दिलाता है उन्हें मानेंगे और इस किताब में लिखी करार की बातों का हमेशा पालन करेंगे। तब सब लोगों ने इस करार के मुताबिक काम करने की हामी भरी।+  इसके बाद राजा ने महायाजक हिलकियाह+ और दूसरे याजकों और दरबानों को हुक्म दिया कि वे यहोवा के मंदिर से वे सारी चीज़ें बाहर निकाले जो बाल और पूजा-लाठ*+ और आकाश की सारी सेना के लिए बनायी गयी थीं। फिर उसने वे सारी चीज़ें यरूशलेम के बाहर ले जाकर किदरोन की ढलानों पर जला दीं और उनकी राख बेतेल+ ले गया।  उसने पराए देवताओं के पुजारियों को हटा दिया जिन्हें यहूदा के राजाओं ने यहूदा के शहरों और यरूशलेम के आस-पास की ऊँची जगहों पर बलिदान चढ़ाने के लिए ठहराया था ताकि उनका धुआँ उठे। उसने उन लोगों को भी निकाल दिया जो बाल, सूर्य, चाँद, राशि के नक्षत्रों और आकाश की सारी सेना के लिए बलिदान चढ़ाते थे ताकि उनका धुआँ उठे।+  वह यहोवा के भवन से पूजा-लाठ+ निकालकर यरूशलेम के बाहर किदरोन घाटी में ले गया और वहाँ उसे जला दिया।+ फिर उसने उसे चूर-चूर कर दिया और उसकी राख आम लोगों की कब्रों पर बिखरा दी।+  उसने यहोवा के भवन में उन आदमियों के लिए बने घर भी ढा दिए जो मंदिरों में दूसरे आदमियों के साथ संभोग करते थे।+ उन घरों में औरतें पूजा-लाठ के लिए तंबूवाले पूजा-घर बुनकर बनाती थीं।  फिर वह यहूदा के शहरों से सभी याजकों को बाहर ले आया और उसने गेबा+ से बेरशेबा+ तक सारी ऊँची जगहों का ऐसा हाल कर दिया कि वहाँ पूजा न की जा सके। उन जगहों पर पुजारी बलिदान चढ़ाया करते थे ताकि उनका धुआँ उठे। उसने शहर के मुखिया यहोशू के फाटक के पासवाली वे सभी ऊँची जगह भी ढा दीं जो शहर में दाखिल होने पर बायीं तरफ पड़ती थीं।  जो याजक ऊँची जगहों में पुजारी का काम करते थे उन्हें यरूशलेम में यहोवा की वेदी के पास सेवा नहीं करने दिया गया,+ मगर उन्हें बाकी याजकों के साथ बिन-खमीर की रोटी खाने दिया गया। 10  राजा ने ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’*+ के तोपेत+ का भी ऐसा हाल किया कि वहाँ पूजा न की जा सके। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि तोपेत में कोई अपने बेटे या बेटी को मोलेक के लिए आग में होम न कर सके।+ 11  और राजा ने सूर्य को अर्पित घोड़ों को यहोवा के भवन में ले जाने पर रोक लगा दी। ये घोड़े, यहूदा के राजाओं ने सूर्य को अर्पित किए थे और इन्हें दरबारी नतन-मेलेक के कमरे* से होते हुए भवन में ले जाया जाता था, जो खंभोंवाले बरामदे के पास था। साथ ही, राजा ने सूर्य की पूजा में इस्तेमाल होनेवाले सारे रथ जला दिए।+ 12  राजा ने वे सारी वेदियाँ भी ढा दीं जो यहूदा के राजाओं ने आहाज के ऊपरी कमरे की छत+ पर खड़ी करवायी थीं। साथ ही, वे वेदियाँ भी नष्ट कर दीं जो मनश्‍शे ने यहोवा के भवन के दो आँगनों में खड़ी करवायी थीं।+ उसने उन वेदियों को चूर-चूर कर दिया और उनकी धूल किदरोन घाटी में बिखरा दी। 13  और जो ऊँची जगह यरूशलेम के सामने और तबाही पहाड़* के दक्षिण* में थीं, उनका भी राजा ने ऐसा हाल किया कि वहाँ पूजा न की जा सके। ये ऊँची जगह इसराएल के राजा सुलैमान ने सीदोनियों की घिनौनी देवी अशतोरेत के लिए, मोआब के घिनौने देवता कमोश के लिए और अम्मोनियों के घिनौने देवता मिलकोम+ के लिए बनवायी थीं। 14  राजा योशियाह ने पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर दिए, पूजा-लाठें काट डालीं+ और उन्हें जिन-जिन जगहों पर खड़ा किया गया था वहाँ इंसानों की हड्डियाँ भर दीं। 15  उसने बेतेल की वेदी और ऊँची जगह भी ढा दी जिन्हें नबात के बेटे यारोबाम ने खड़ा करके इसराएल से पाप करवाया था।+ फिर उसने वह जगह आग से भस्म कर दी, सबकुछ चूर-चूर कर दिया और पूजा-लाठ जला दी।+ 16  जब योशियाह ने मुड़कर पहाड़ पर कब्रें देखीं तो उसने उनमें से हड्डियाँ निकलवायीं और उन्हें उस वेदी पर जला दिया ताकि वहाँ पूजा न की जा सके। इस तरह यहोवा की वह बात पूरी हुई जो उसने अपने सेवक से ऐलान करवायी थी। सच्चे परमेश्‍वर के उस सेवक ने भविष्यवाणी की थी कि ये सारी घटनाएँ होंगी।+ 17  इसके बाद योशियाह ने पूछा, “यह कब्र किसकी है?” शहर के आदमियों ने उसे बताया, “यह कब्र सच्चे परमेश्‍वर के उस सेवक की है जो यहूदा से आया था।+ और तूने बेतेल की वेदी के साथ अभी जो किया है, उसके बारे में उसी ने भविष्यवाणी की थी।” 18  तब राजा ने कहा, “उसकी कब्र छोड़ दो। उसकी हड्डियों को कोई हाथ न लगाए।” इसलिए उन्होंने उसकी हड्डियों को कुछ नहीं किया और सामरिया के भविष्यवक्‍ता की हड्डियों को भी नहीं छुआ।+ 19  योशियाह ने सामरिया के शहरों की ऊँची जगहों पर बने सभी पूजा-घरों को भी मिटा दिया।+ ये पूजा-घर बनवाकर इसराएल के राजाओं ने परमेश्‍वर का क्रोध भड़काया था। योशियाह ने इनका भी वही हाल किया जो उसने बेतेल के पूजा-घर का किया था।+ 20  उसने ऊँची जगहों पर सेवा करनेवाले सभी पुजारियों को वेदियों पर बलि कर दिया और उन वेदियों पर इंसानों की हड्डियाँ जला दीं।+ इसके बाद वह यरूशलेम लौट गया। 21  फिर राजा ने सब लोगों को आज्ञा दी, “अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए फसह मनाओ,+ जैसे करार की इस किताब में लिखा है।”+ 22  योशियाह के दिनों में जिस तरह का फसह मनाया गया, वैसा इसराएल के न्यायियों के ज़माने से अब तक नहीं मनाया गया था, न इसराएल के किसी राजा के दिनों में और न ही यहूदा के किसी राजा के दिनों में।+ 23  यहोवा के लिए यह फसह योशियाह के राज के 18वें साल में यरूशलेम में मनाया गया। 24  योशियाह ने यहूदा और यरूशलेम से उन लोगों को भी निकाल दिया जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करते थे और भविष्य बताते थे,+ साथ ही उसने कुल देवताओं की मूरतें,+ घिनौनी मूरतें* और दूसरी सारी घिनौनी चीज़ें हटा दीं। उसने यह सब इसलिए किया क्योंकि वह उस किताब में लिखे कानून का पालन करना चाहता था+ जो याजक हिलकियाह को यहोवा के भवन में मिली थी।+ 25  योशियाह ने जैसे मूसा के पूरे कानून का पालन करके यहोवा के पास लौट आने में पूरी जान, पूरा दिल+ और पूरी ताकत लगा दी, वैसे किसी और राजा ने नहीं किया। न उससे पहले कोई ऐसा राजा हुआ था और न उसके बाद। 26  फिर भी यहूदा पर यहोवा का क्रोध भड़का रहा क्योंकि मनश्‍शे ने बहुत-से दुष्ट काम करके उसे गुस्सा दिलाया था।+ 27  यहोवा ने कहा, “मैं यहूदा को अपनी नज़रों से दूर कर दूँगा,+ ठीक जैसे मैंने इसराएल को दूर कर दिया।+ मैं यरूशलेम शहर को ठुकरा दूँगा जिसे मैंने चुना था और उस भवन को भी ठुकरा दूँगा जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘मेरा नाम उससे हमेशा जुड़ा रहेगा।’”+ 28  योशियाह की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसके सभी कामों का ब्यौरा यहूदा के राजाओं के इतिहास की किताब में लिखा है। 29  उसके दिनों में मिस्र का राजा फिरौन निको अश्‍शूर के राजा की मदद करने फरात नदी की तरफ निकला। तब राजा योशियाह, निको से युद्ध करने गया, मगर जब निको ने उसे देखा तो मगिद्दो में उसे मार डाला।+ 30  योशियाह के सेवक उसकी लाश रथ में रखकर मगिद्दो से यरूशलेम ले आए और उसकी कब्र में उसे दफना दिया। फिर यहूदा के लोगों ने योशियाह के बेटे यहोआहाज का अभिषेक किया और उसके पिता की जगह उसे राजा बनाया।+ 31  यहोआहाज+ जब राजा बना तब वह 23 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर तीन महीने राज किया। उसकी माँ का नाम हमूतल+ था जो लिब्ना के रहनेवाले यिर्मयाह की बेटी थी। 32  यहोआहाज अपने पुरखों की तरह ऐसे काम करने लगा जो यहोवा की नज़र में बुरे थे।+ 33  फिरौन निको+ ने उसे हमात के इलाके के रिबला में कैद कर दिया+ ताकि वह यरूशलेम में राज न कर सके। फिर निको ने यहूदा देश पर 100 तोड़े* चाँदी और एक तोड़े सोने का जुरमाना लगा दिया।+ 34  और फिरौन निको ने योशियाह की जगह उसके बेटे एल्याकीम को राजा बना दिया और उसका नाम बदलकर यहोयाकीम रख दिया। मगर निको, यहोआहाज को मिस्र ले गया+ जहाँ बाद में उसकी मौत हो गयी।+ 35  यहोयाकीम ने फिरौन को चाँदी और सोने का जुरमाना भरा, मगर उसकी माँग पूरी करने के लिए उसे देश की ज़मीन पर कर लगाना पड़ा। यहोयाकीम ने हर आदमी की ज़मीन की कीमत के हिसाब से सोना-चाँदी वसूल किया ताकि फिरौन निको को अदा कर सके। 36  यहोयाकीम+ जब राजा बना तब वह 25 साल का था और उसने यरूशलेम से यहूदा पर 11 साल राज किया।+ उसकी माँ का नाम जबीदा था जो रूमा के रहनेवाले पदायाह की बेटी थी। 37  यहोयाकीम अपने पुरखों की तरह ऐसे काम करता रहा+ जो यहोवा की नज़र में बुरे थे।+

कई फुटनोट

या “दोबारा करार किया।”
शब्दावली देखें।
शब्दावली में “गेहन्‍ना” देखें।
या “भोजन के कमरे।”
यानी जैतून पहाड़, खासकर दक्षिणी कोना जिसे अपराध का पहाड़ भी कहा जाता है।
शा., “दायीं तरफ।” यानी जब कोई पूरब की तरफ मुँह करता है तो उसके दक्षिण में।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।