दूसरा शमूएल 2:1-32

  • दाविद, यहूदा का राजा (1-7)

  • ईशबोशेत, इसराएल का राजा (8-11)

  • दोनों घरानों के बीच युद्ध (12-32)

2  इसके बाद दाविद ने यहोवा से सलाह की,+ “क्या मैं यहूदा के किसी शहर में जाऊँ?” यहोवा ने कहा, “हाँ, जा।” दाविद ने पूछा, “मैं किस शहर में जाऊँ?” परमेश्‍वर ने कहा, “तू हेब्रोन जा।”+  तब दाविद अपनी दोनों पत्नियों, यिजरेली अहीनोअम+ और अबीगैल+ को साथ लेकर हेब्रोन गया। (अबीगैल, करमेली नाबाल की विधवा थी।)  दाविद अपने आदमियों+ और उनके परिवारों को भी साथ ले गया और वे सभी हेब्रोन के आस-पास के शहरों में बस गए।  इसके बाद, यहूदा के आदमी हेब्रोन आए और उन्होंने दाविद का अभिषेक करके उसे यहूदा के घराने का राजा ठहराया।+ उन्होंने दाविद को बताया कि याबेश-गिलाद के आदमियों ने ही शाऊल को दफनाया था।  तब दाविद ने अपने दूतों के हाथ याबेश-गिलाद के आदमियों को यह संदेश भेजा: “यहोवा तुम्हें आशीष दे क्योंकि तुमने अपने मालिक शाऊल को दफनाकर उसके लिए अपने अटल प्यार का सबूत दिया।+  यहोवा भी तुम्हें अपने अटल प्यार का सबूत दे और तुम्हारा विश्‍वासयोग्य बना रहे। मैं भी तुम पर कृपा करूँगा क्योंकि तुमने यह नेक काम किया है।+  अब तुम सब खुद को मज़बूत करो और दिलेर बनो, क्योंकि तुम्हारा मालिक शाऊल अब नहीं रहा और यहूदा के घराने ने मेरा अभिषेक करके मुझे अपना राजा ठहराया है।”  मगर अब्नेर,+ जो नेर का बेटा और शाऊल की सेना का सेनापति था, शाऊल के बेटे ईशबोशेत+ को नदी पार महनैम+ ले गया था  और वहाँ उसे राजा बना दिया था। उसने ईशबोशेत को गिलाद+ पर, अशूरी लोगों पर, यिजरेल,+ एप्रैम+ और बिन्यामीन पर, एक तरह से पूरे इसराएल पर राजा बना दिया था। 10  शाऊल का बेटा ईशबोशेत जब इसराएल का राजा बना तो वह 40 साल का था। उसने दो साल राज किया। मगर यहूदा के घराने ने दाविद का साथ दिया।+ 11  दाविद ने हेब्रोन में रहकर यहूदा के घराने पर साढ़े सात साल तक राज किया था।+ 12  कुछ समय बाद नेर का बेटा अब्नेर और शाऊल के बेटे ईशबोशेत के सेवक, महनैम से+ गिबोन+ गए। 13  इधर सरूयाह का बेटा योआब+ और दाविद के सेवक भी गिबोन के तालाब के पास गए और वहाँ उन्होंने अब्नेर के दल का सामना किया। एक दल तालाब के इस तरफ बैठा था और दूसरा दल तालाब के उस तरफ। 14  तब अब्नेर ने योआब से कहा, “एक काम करते हैं। हम अपने जवानों से कहते हैं कि वे उठकर हमारे सामने एक-दूसरे से मुकाबला करें।” योआब ने कहा, “ठीक है, हो जाए मुकाबला।” 15  तब दोनों दल तैयार हुए और उन्होंने अपने-अपने दल से 12 आदमी चुने। बिन्यामीन और शाऊल के बेटे ईशबोशेत की तरफ से 12 जवान थे और दाविद के सेवकों में से 12 जवान। 16  फिर दोनों दलों के जवानों ने एक-दूसरे के बाल कसकर पकड़े और हरेक ने अपने विरोधी को तलवार भोंक दी और सब एक-साथ ढेर हो गए। इसी घटना से गिबोन प्रांत की उस जगह का नाम हेलकत-हस्सुरीम पड़ा। 17  उस दिन दोनों दलों के बीच घमासान युद्ध हुआ। आखिरकार अब्नेर और इसराएल के आदमी दाविद के आदमियों से हार गए। 18  दाविद के आदमियों में सरूयाह के तीन बेटे+ योआब,+ अबीशै+ और असाहेल+ भी थे। असाहेल जंगली चिकारे की तरह तेज़ दौड़ता था। 19  वह अब्नेर का पीछा करने लगा और उसके पीछे ऐसा दौड़ता गया कि उसने दाएँ-बाएँ मुड़कर भी न देखा। 20  जब अब्नेर ने पीछे मुड़कर देखा तो उसने पूछा, “असाहेल, क्या तू है?” उसने कहा, “हाँ, मैं हूँ।” 21  अब्नेर ने कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ दे। मेरे किसी जवान को पकड़ ले और उसके पास जो कुछ है छीन ले।” मगर असाहेल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। 22  अब्नेर ने असाहेल से फिर कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ दे, कहीं ऐसा न हो कि मैं तुझे मार डालूँ। फिर मैं तेरे भाई योआब को क्या मुँह दिखाऊँगा?” 23  मगर असाहेल नहीं माना। इसलिए अब्नेर ने अपने भाले का पिछला हिस्सा असाहेल के पेट में ऐसा मारा कि भाला आर-पार निकल गया।+ असाहेल गिर पड़ा और उसने वहीं दम तोड़ दिया। जितने आदमी उस जगह से गुज़रते जहाँ असाहेल की लाश पड़ी थी, वे सब थोड़ी देर वहाँ रुकते थे। 24  इसके बाद योआब और अबीशै, अब्नेर का पीछा करने लगे। सूरज ढलते-ढलते वे अम्माह नाम की पहाड़ी पर पहुँचे, जो गीह के सामने और गिबोन के वीराने की तरफ जानेवाले रास्ते पर थी। 25  बिन्यामीन के लोग अब्नेर के पीछे इकट्ठा हो गए और दल बाँधकर एक पहाड़ी की चोटी पर खड़े हो गए। 26  फिर अब्नेर ने योआब को आवाज़ लगायी और कहा, “हम कब तक इस तरह एक-दूसरे पर तलवार चलाते रहेंगे? क्या तू नहीं जानता कि आखिर में इसका अंजाम कड़वा ही होगा? अब तो अपने आदमियों से बोल कि वे अपने भाइयों का पीछा करना छोड़ दें।” 27  योआब ने कहा, “सच्चे परमेश्‍वर के जीवन की शपथ, अगर तू न कहता तो मेरे लोग सुबह तक अपने भाइयों का पीछा करते रहते।” 28  फिर योआब ने नरसिंगा फूँका और उसके आदमियों ने इसराएलियों का पीछा करना छोड़ दिया। इस तरह लड़ाई थम गयी। 29  इसके बाद अब्नेर और उसके आदमियों ने रात-भर चलकर अराबा+ पार किया। फिर उन्होंने यरदन नदी पार की और उसकी तंग घाटी में चलते हुए* आगे बढ़े और आखिरकार महनैम पहुँचे।+ 30  जब योआब ने अब्नेर का पीछा करना छोड़ दिया तो उसने अपने सभी आदमियों को इकट्ठा किया। दाविद के सेवकों में से असाहेल के अलावा 19 आदमी कम थे। 31  दाविद के सेवकों ने बिन्यामीनियों और अब्नेर के आदमियों को हरा दिया था। उनके 360 आदमी मारे गए थे। 32  योआब और उसके आदमियों ने असाहेल+ की लाश उठायी और बेतलेहेम+ ले जाकर उसके पिता की कब्र में दफना दी। इसके बाद योआब और उसके आदमी पूरी रात चलते रहे और सुबह होते-होते हेब्रोन+ पहुँचे।

कई फुटनोट

या शायद, “पूरे बितरोन से होकर।”