दूसरा शमूएल 3:1-39

  • दाविद का घराना ताकतवर (1)

  • दाविद के बेटे (2-5)

  • अब्नेर, दाविद की तरफ (6-21)

  • योआब ने अब्नेर को मार डाला (22-30)

  • दाविद ने उसके लिए मातम मनाया (31-39)

3  शाऊल के घराने और दाविद के घराने के बीच लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। दाविद दिनों-दिन ताकतवर होता गया,+ जबकि शाऊल का घराना कमज़ोर होता गया।+  इस बीच हेब्रोन में दाविद के कई बेटे हुए।+ उसका पहलौठा अम्नोन+ था जो यिजरेली अहीनोअम+ से पैदा हुआ था।  दूसरा बेटा किलाब था जो अबीगैल+ (वह करमेली नाबाल की विधवा थी) से पैदा हुआ था और तीसरा अबशालोम+ था जो माका से पैदा हुआ था। माका गशूर के राजा तल्मै+ की बेटी थी।  चौथा अदोनियाह+ था जो हग्गीत से पैदा हुआ था, पाँचवाँ शपत्याह था जो अबीतल से पैदा हुआ था  और छठा बेटा यित्राम था जो एग्ला से पैदा हुआ था। दाविद के ये बेटे हेब्रोन में पैदा हुए थे।  एक तरफ जहाँ शाऊल के घराने और दाविद के घराने के बीच युद्ध चलता रहा, वहीं दूसरी तरफ अब्नेर+ शाऊल के घराने में अपनी धाक जमाने में लगा रहा।  शाऊल की एक उप-पत्नी थी रिस्पा,+ जो अय्या की बेटी थी। बाद में ईशबोशेत+ ने अब्नेर से कहा, “तूने क्यों मेरे पिता की उप-पत्नी के साथ संबंध रखे?”+  इस पर अब्नेर को बहुत गुस्सा आया और उसने ईशबोशेत से कहा, “क्या मैं यहूदा का कोई कुत्ता* हूँ जो तू मुझसे ऐसे बात कर रहा है? आज तक मैं तेरे पिता शाऊल के घराने का और उसके भाइयों और दोस्तों का वफादार हूँ।* मैंने कोई गद्दारी नहीं की और तेरे साथ भी मैंने विश्‍वासघात करके तुझे दाविद के हाथ में नहीं किया। फिर भी तू आज मेरे साथ ऐसा सलूक कर रहा है? मुझसे एक औरत के मामले में गलती क्या हो गयी, तू मुझसे उसका हिसाब माँग रहा है?  अब अगर मैं दाविद के साथ यहोवा की शपथ+ के मुताबिक काम न करूँ, तो परमेश्‍वर मुझ अब्नेर को कड़ी-से-कड़ी सज़ा दे। 10  परमेश्‍वर ने शपथ खाकर कहा था कि वह शाऊल के घराने से राज छीनकर दाविद को दे देगा और दाविद की राजगद्दी दान से लेकर बेरशेबा तक+ पूरे इसराएल और यहूदा पर कायम करेगा।” 11  जवाब में ईशबोशेत से कुछ कहते न बना क्योंकि वह अब्नेर से बहुत डर गया था।+ 12  अब्नेर ने फौरन अपने दूतों के हाथ दाविद को यह संदेश भेजा: “इस पूरे देश पर किसका अधिकार है?” फिर उसने कहा, “तू मेरे साथ एक करार कर और मैं पूरे इसराएल को तेरी तरफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ूँगा।”+ 13  जवाब में दाविद ने कहा, “अच्छी बात है! मैं ज़रूर तेरे साथ करार करूँगा। बस मैं तुझसे इतना चाहता हूँ कि जब तू मुझसे मिलने आए तो शाऊल की बेटी मीकल+ को मेरे पास लाए, वरना तू मुझे अपना मुँह न दिखाना।” 14  फिर दाविद ने अपने दूतों के हाथ शाऊल के बेटे ईशबोशेत+ को यह संदेश भेजा: “मुझे मेरी पत्नी मीकल वापस दे दे, जिससे मेरी सगाई पलिश्‍तियों की 100 खलड़ियाँ देकर करायी गयी थी।”+ 15  तब ईशबोशेत ने मीकल को लाने के लिए अपने आदमियों को उसके पति पलतीएल+ के पास भेजा जो लैश का बेटा था। 16  जब मीकल जा रही थी तो उसका पति उसके साथ चलता गया और रोता हुआ उसके पीछे-पीछे दूर बहूरीम+ तक गया। फिर अब्नेर ने पलतीएल से कहा, “जा, तू लौट जा!” तब वह लौट गया। 17  इस बीच अब्नेर ने इसराएल के मुखियाओं को यह संदेश भेजा: “तुम लोग काफी समय से दाविद को अपना राजा बनाना चाहते थे। 18  अब वैसा ही करो क्योंकि यहोवा ने दाविद से कहा था, ‘मैं अपने सेवक दाविद+ के हाथों अपनी प्रजा इसराएल को पलिश्‍तियों और बाकी सभी दुश्‍मनों से बचाऊँगा।’” 19  फिर अब्नेर ने बिन्यामीन के लोगों से बात की।+ वह हेब्रोन भी गया ताकि दाविद से अकेले में बात करे और उसे बताए कि इसराएल और बिन्यामीन का पूरा घराना क्या करने पर राज़ी हुआ है। 20  जब अब्नेर 20 आदमियों को लेकर हेब्रोन में दाविद के पास आया तो दाविद ने उन सबके लिए एक दावत रखी। 21  फिर अब्नेर ने दाविद से कहा, “मुझे इजाज़त दे कि मैं जाकर पूरे इसराएल को अपने मालिक राजा के सामने इकट्ठा करूँ ताकि वे तेरे साथ एक करार करें और तू पूरे इसराएल का राजा बने, जैसा तू चाहता है।” तब दाविद ने अब्नेर को विदा किया और अब्नेर शांति से अपने रास्ते चला गया। 22  कुछ ही देर बाद दाविद के सेवक और योआब कहीं से लूटमार करके वापस लौटे। वे अपने साथ लूट का ढेर सारा माल लाए थे। तब तक अब्नेर हेब्रोन से जा चुका था क्योंकि दाविद ने उसे शांति से विदा कर दिया था। 23  योआब+ और उसकी पूरी सेना के लौटने पर योआब को बताया गया कि नेर का बेटा अब्नेर+ राजा के पास आया था और राजा ने उसे विदा कर दिया और वह शांति से अपने रास्ता चला गया। 24  तब योआब ने राजा के पास जाकर उससे कहा, “यह तूने क्या किया? अब्नेर तेरे पास आया था और तूने उसे यूँ ही जाने दिया! 25  तू जानता है कि नेर का वह बेटा अब्नेर कैसा आदमी है। वह तुझे धोखा देने आया था, तेरे हर काम की जासूसी करने, तेरे बारे में पूरी जानकारी लेने आया था।” 26  इसलिए योआब दाविद के पास से चला गया और उसने अपने दूतों को अब्नेर के पीछे भेजा। वे उसे सीरा के कुंड के पास से वापस ले आए। मगर दाविद को इस बारे में कुछ नहीं पता था। 27  जब अब्नेर हेब्रोन लौटा+ तो योआब उसे शहर के फाटक के अंदर एक तरफ ले गया ताकि अकेले में उससे बात करे। मगर वहाँ उसने अब्नेर के पेट में तलवार भोंक दी और वह मर गया।+ इस तरह योआब ने अपने भाई असाहेल के खून का बदला लिया।+ 28  बाद में जब दाविद को इसका पता चला तो उसने कहा, “यहोवा जानता है कि नेर के बेटे अब्नेर के खून के लिए मैं और मेरा राज किसी भी तरह दोषी नहीं हैं।+ 29  अब्नेर के कत्ल का दोष योआब और उसके पिता के पूरे घराने पर पड़े।+ योआब के घराने में सदा ऐसे लोग रहें जो रिसाव से पीड़ित हों,+ कोढ़ी हों,+ तकली चलानेवाले हों,* खाने के मोहताज हों या वे तलवार से मारे जाएँ!”+ 30  योआब और अबीशै+ ने अब्नेर+ का इसलिए कत्ल किया क्योंकि उसने उनके भाई असाहेल को गिबोन की लड़ाई में मार डाला था।+ 31  फिर दाविद ने योआब से और उसके साथवाले सभी आदमियों से कहा, “तुम सब अपने-अपने कपड़े फाड़ो, टाट बाँधो और अब्नेर के लिए ज़ोर-ज़ोर से रोओ।” जब अब्नेर की अर्थी ले जायी जा रही थी तो राजा दाविद भी उसके पीछे-पीछे चलता गया। 32  उन्होंने अब्नेर को हेब्रोन में दफनाया। राजा दाविद अब्नेर की कब्र के पास ज़ोर-ज़ोर से रोया और लोग भी रोने लगे। 33  राजा ने रो-रोकर अब्नेर के बारे में यह राग अलापा, “यह कैसी नाइंसाफी है! अब्नेर एक निकम्मे की मौत मरा। 34  न तेरे हाथ बँधे हुए थे,न तेरे पैर बेड़ियों में जकड़े हुए थे,फिर भी तू ऐसे गिर गया जैसे कोई अपराधियों का शिकार हो जाता है।”+ यह सुनकर सब लोग अब्नेर के लिए फिर से रोने लगे। 35  अभी दिन का समय ही था और सब लोग दाविद के पास आए और उसे रोटी* खाने के लिए मनाने लगे। मगर दाविद ने शपथ खाकर कहा, “अगर मैंने सूरज ढलने से पहले रोटी का एक टुकड़ा भी खाया या कुछ भी मुँह में डाला+ तो परमेश्‍वर मुझे कड़ी-से-कड़ी सज़ा दे!” 36  जब सब लोगों ने यह देखा तो उन्हें राजा का ऐसा करना सही लगा, ठीक जैसे दूसरे मामलों में भी उसकी बातें उन्हें सही लगती थीं। 37  इस तरह उस दिन सब लोगों को और पूरे इसराएल को मालूम पड़ा कि नेर के बेटे अब्नेर के कत्ल के लिए राजा ज़िम्मेदार नहीं था।+ 38  फिर राजा ने अपने सेवकों से कहा, “तुम जानते हो कि आज इसराएल में एक हाकिम की, एक महान आदमी की मौत हुई है।+ 39  हालाँकि मेरा अभिषेक करके मुझे राजा ठहराया गया है,+ लेकिन आज मैं बहुत कमज़ोर हूँ क्योंकि सरूयाह के बेटे+ बहुत बेरहम हैं।+ यहोवा दुष्ट को उसकी दुष्टता की सज़ा दे।”+

कई फुटनोट

शा., “यहूदा के कुत्ते का सिर।”
या “के लिए अपने अटल प्यार का सबूत देता रहा हूँ।”
यहाँ शायद ऐसे लाचार आदमियों की बात की गयी है जिन्हें ऐसे काम में लगाया जाता है जो औरतें करती हैं।
या “दिलासे की रोटी।”