जीएँ मसीहियों की तरह
यहोवा के साथ अपने रिश्ते को अनमोल समझिए
यहोवा के साक्षियों को एक बहुत बड़ी आशीष मिली है। सारे जहान के मालिक यहोवा के साथ हमारा एक खास रिश्ता है। हम उसके समर्पित सेवक हैं, इसलिए हम इस रिश्ते को दिनों-दिन मज़बूत कर सकते हैं। यहोवा ने अपने बेटे के ज़रिए हमें अपने पास खींचा है। (यूह 6:44) हम यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं और वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है।—भज 34:15.
यहोवा के साथ इस खास रिश्ते की हम हिफाज़त कैसे कर सकते हैं? हमें वह गलती नहीं करनी चाहिए जो इसराएलियों ने की थी। यहोवा से करार करने के कुछ ही समय बाद उन्होंने सोने का बछड़ा बनाया और उसकी पूजा करने लगे। (निर्ग 32:7, 8; 1कुर 10:7, 11, 14) खुद से पूछिए: ‘जब मेरे मन में कोई गलत काम करने का खयाल आता है, तो मैं क्या करता हूँ? क्या मेरे फैसले से पता चलता है कि मैं यहोवा के साथ अपने रिश्ते को अनमोल समझता हूँ?’ अगर हम यहोवा से तन-मन से प्यार करते हैं, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे वह नफरत करता है।—भज 97:10.
यहोवा के साथ अपने रिश्ते की हिफाज़त कीजिए (कुल 3:5) वीडियो देखिए। फिर आगे बताए सवालों के जवाब दीजिए:
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लालच करने का क्या मतलब है?
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हमें लालच और मूर्तिपूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
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व्यभिचार और मूर्तिपूजा में क्या समानता है?
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जो यहोवा के संगठन में ज़िम्मेदारियाँ सँभालते हैं, खासकर उन्हें अपने साथी की ज़रूरतों का खयाल क्यों रखना चाहिए?