जीएँ मसीहियों की तरह
लूत की पत्नी को याद रखो
लूत की पत्नी ने सदोम से भागते वक्त पीछे मुड़कर क्यों देखा? इसका बाइबल में साफ-साफ जवाब नहीं लिखा है। (उत 19:17, 26) यीशु ने लूत की पत्नी की मिसाल देने से पहले जो कहा, उससे हमें पता चलता है कि वह शायद उन चीज़ों के लिए तरसने लगी, जो उसने पीछे छोड़ दी थी। (लूक 17:31, 32) अगर हम सावधान न रहें, तो हम भी लूत की पत्नी की तरह परमेश्वर की मंज़ूरी खो सकते हैं। हमें ऐशो-आराम की चीज़ें जुटाने में इतना नहीं लग जाना चाहिए कि वही हमारी ज़िंदगी का मकसद बन जाए। (मत 6:33) यीशु ने बताया कि हम “परमेश्वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।” (मत 6:24) लेकिन अगर हमें एहसास होता है कि हम दौलत कमाने में इतना लगे हुए हैं कि परमेश्वर की सेवा के लिए वक्त ही नहीं बचता, तो हम क्या कर सकते हैं? हम यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं कि यह समझने में हमारी मदद करे कि हमें ज़िंदगी में क्या बदलाव करना चाहिए और ऐसा करने के लिए वह हमें हिम्मत और ताकत दे।
लूत की पत्नी को याद रखो, तीन भागोंवाले इस वीडियो को ध्यान में रखकर नीचे दिए सवालों के जवाब दीजिए:
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जब ग्लोरिया दूसरों के दबाव में आकर ज़्यादा पैसे कमाने लगी तो उसकी सोच, बातचीत और व्यवहार कैसे बदल गया?
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हम लूत की पत्नी से क्या सबक सीखते हैं?
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बाइबल के सिद्धांतों पर चलने से जौन और उसके परिवार की ज़िंदगी कैसे सँवर गयी?
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नौकरी की जगह जिस तरह के लोगों के साथ ऐना का उठना-बैठना था, उसकी वजह से वह कैसे सच्चाई में कमज़ोर पड़ गयी?
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हमें पैसा कमाने का दबाव आने पर उसे ठुकराने के लिए हिम्मत क्यों चाहिए?
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ब्रायन और ग्लोरिया फिर से कैसे परमेश्वर की उपासना को ज़िंदगी में पहली जगह देने लगे?
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इस वीडियो में आपने बाइबल के और किन सिद्धांतों के बारे में सीखा?