जीएँ मसीहियों की तरह
आप एक ऐसे मसीही का हौसला बढ़ा सकते हैं जो सच्चाई में ठंडा पड़ गया है
जो मसीही सच्चाई में ठंडे पड़ गए हैं उनमें से कई लोग स्मारक में ज़रूर हाज़िर होते हैं। उन्होंने जीवन की दौड़ शुरू तो की है, मगर कई वजहों से धीमे पड़ गए हैं। इनमें से कुछ वजहों के बारे में यहोवा के पास लौट आइए ब्रोशर में चर्चा की गयी है। (इब्र 12:1) ऐसे मसीही अब भी यहोवा की नज़र में अनमोल हैं क्योंकि उसने अपने बेटे के खून से उन्हें खरीदा है। (प्रेष 20:28; 1पत 1:18, 19) हम उन्हें मंडली में लौट आने में कैसे मदद दे सकते हैं?
मंडली के प्राचीन ऐसे निष्क्रिय मसीहियों को ढूँढ़ने और उनकी मदद करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, ठीक जैसे एक चरवाहा बड़ी मेहनत से ऐसी भेड़ को ढूँढ़ता है जो झुंड से भटककर दूर चला जाता है। (लूक 15:4-7) यह यहोवा के प्यार का सबूत है। (यिर्म 23:3, 4) मगर सिर्फ प्राचीन ही नहीं, हम सब ऐसे लोगों का हौसला बढ़ा सकते हैं। जब हम उनकी मदद करने और उनसे हमदर्दी जताने की कोशिश करते हैं तो यह देखकर यहोवा खुश होता है और इसका बहुत बढ़िया नतीजा हो सकता है। (नीत 19:17; प्रेष 20:35) इसलिए सोचिए कि आप किस भाई या बहन का हौसला बढ़ा सकते हैं और बिना देर किए ऐसा कीजिए!
निष्क्रिय लोगों का हौसला बढ़ाइए वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
-
जब ऐबी एक ऐसी साक्षी से मिली जिसे वह नहीं जानती थी, तो उसने क्या किया?
-
अगर हम किसी निष्क्रिय मसीही की मदद करने की सोच रहे हैं, तो हमें पहले प्राचीनों से क्यों बात करनी चाहिए?
-
ऐबी ने लॉरा से दूसरी बार मिलने के लिए क्या तैयारी की?
-
ऐबी, लॉरा का हौसला बढ़ाने के लिए कैसे लगातार उससे मिलती रही और उसके साथ प्यार और सब्र से पेश आयी?
-
लूका 15:8-10 में बतायी यीशु की मिसाल से हम क्या सीख सकते हैं?
-
लॉरा की मदद करने के लिए सबने जो मेहनत की उससे क्या बढ़िया नतीजा निकला?