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जीएँ मसीहियों की तरह

कौन-सी बात मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है?

कौन-सी बात मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है?

याकूब ने यहोवा से आशीष पाने के लिए एक स्वर्गदूत से कुश्‍ती लड़ी। यहोवा की आशीष पाना उसके लिए बहुत मायने रखता था। (उत 32:24-31; हो 12:3, 4) हमारे बारे में क्या? क्या हम यहोवा की आज्ञा मानने और उससे आशीष पाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे? मान लीजिए, हमें सभाओं में जाना है, लेकिन हमें काम की जगह पर ओवरटाइम करने के लिए कहा जाता है। ऐसे में हम क्या फैसला करेंगे? अगर हम यहोवा की सेवा में जी-जान लगा दें यानी अपना समय, ताकत और साधन लगाएँ, तो वह हम पर ‘आशीषों की बौछार करेगा, इतनी कि हमें कोई कमी नहीं होगी।’ (मला 3:10) वह हमें सही राह दिखाएगा, हमारी हिफाज़त करेगा और हमारी ज़रूरतों का ध्यान रखेगा।—मत 6:33; इब्र 13:5.

परमेश्‍वर की सेवा में रखे लक्ष्यों से अपना ध्यान मत भटकने दीजिए  वीडियो देखिए। फिर यहाँ दिए सवालों के जवाब दीजिए:

  • इस बहन को जो चीज़ पसंद थी, वह कैसे उसके लिए फंदा बन गयी?

  • हमारी नौकरी कैसे हमारे लिए फंदा बन सकती है?

  • तीमुथियुस सच्चाई में काफी तरक्की कर चुका था, फिर भी उसे क्यों नए लक्ष्य रखने और उनमें लगे रहना था?​—1ती 4:16

  • आपकी ज़िंदगी में कौन-सी बात सबसे ज़्यादा ज़रूरी है?

    यह कैसे पता चलेगा कि कौन-सा काम हमारे लिए “सबसे ज़रूरी है”?