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6-12 अप्रैल

मंगलवार, 7 अप्रैल, 2020 — मसीह की मौत की स्मारक सभा

6-12 अप्रैल

हर साल स्मारक के आस-पास बहुत-से मसीही यहोवा और उसके बेटे यीशु को याद करते हैं। वे इस बात पर मनन करते हैं कि किस तरह उन्होंने अपने प्यार का सबसे बड़ा सबूत दिया। (यूह 3:16; 15:13) आगे दिए चार्ट में खुशखबरी की किताबें बताती हैं कि यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिनों में क्या-क्या हुआ था। इसके अलावा, वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा  किताब के अध्याय 101-131 में भी इस बारे में बताया गया है। हमें खुद से पूछना चाहिए कि परमेश्‍वर का प्यार हमें क्या करने के लिए उभारेगा?—2कुर 5:14, 15; 1यूह 4:16, 19.

यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन

वक्‍त

जगह

घटना

मत्ती

मरकुस

लूका

यूहन्‍ना

33, नीसान 8 (1-2 अप्रैल, 2020)

बैतनियाह

यीशु फसह के त्योहार से छ: दिन पहले वहाँ पहुँचता है

 

 

 

11:55– 12:1

नीसान 9 (2-3 अप्रैल, 2020)

बैतनियाह

मरियम उसके सिर और पैर पर तेल उँडेलती है

26:6-13

14:3-9

 

12:2-11

बैतनियाह- बैतफगे- यरूशलेम

गधे पर सवार होकर राजा की हैसियत से यरूशलेम में दाखिल

21:1-11, 14-17

11:1-11

19:29-44

12:12-19

नीसान 10 (3-4 अप्रैल, 2020)

बैतनियाह- यरूशलेम

अंजीर के पेड़ को शाप देता है; एक बार फिर मंदिर को शुद्ध करता है

21:18, 19; 21:12, 13

11:12-17

19:45, 46

 

यरूशलेम

प्रधान याजक और शास्त्री यीशु को मार डालने की साज़िश रचते हैं

 

11:18, 19

19:47, 48

 

यहोवा की आवाज़; यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है; यहूदी विश्‍वास नहीं करते जिससे यशायाह की भविष्यवाणी पूरी होती है

 

 

 

12:20-50

नीसान 11 (4-5 अप्रैल, 2020)

बैतनियाह- यरूशलेम

सूखे हुए अंजीर के पेड़ से सबक

21:19-22

11:20-25

 

 

यरूशलेम का मंदिर

उसके अधिकार पर सवाल उठाया जाता है; दो बेटों की मिसाल

21:23-32

11:27-33

20:1-8

 

मिसालें: खून करनेवाले बागबान, शादी की दावत

21:33–22:14

12:1-12

20:9-19

 

परमेश्‍वर, सम्राट, मरे हुओं के ज़िंदा होने और सबसे बड़ी आज्ञा के बारे में सवालों के जवाब देता है

22:15-40

12:13-34

20:20-40

 

भीड़ से पूछता है, क्या मसीह दाविद का वंशज है?

22:41-46

12:35-37

20:41-44

 

शास्त्रियों और फरीसियों को धिक्कारता है

23:1-39

12:38-40

20:45-47

 

विधवा के दान पर ध्यान देता है

 

12:41-44

21:1-4

 

जैतून पहाड़

अपनी मौजूदगी की निशानी बताता है

24:1-51

13:1-37

21:5-38

 

मिसालें: दस कुँवारियाँ, तोड़े, भेड़ें और बकरियाँ

25:1-46

 

 

 

नीसान 12 (5-6 अप्रैल, 2020)

यरूशलेम

यहूदी अगुवे उसे मार डालने की साज़िश रचते हैं

26:1-5

14:1, 2

22:1, 2

 

यहूदा, यीशु को पकड़वाने की बात करके आता है

26:14-16

14:10, 11

22:3-6

 

नीसान 13 (6-7 अप्रैल, 2020)

यरूशलेम में और उसके आस-पास

आखिरी फसह की तैयारियाँ करता है

26:17-19

14:12-16

22:7-13

 

नीसान 14 (7-8 अप्रैल, 2020)

यरूशलेम

प्रेषितों के साथ फसह का खाना खाता है

26:20, 21

14:17, 18

22:14-18

 

प्रेषितों के पैर धोता है

 

 

 

13:1-20

यीशु, यहूदा को गद्दार बताकर बाहर भेज देता है

26:21-25

14:18-21

22:21-23

13:21-30

प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत करता है (1कुर 11:23-25)

26:26-29

14:22-25

22:19, 20, 24-30

 

बताता है कि पतरस उसे जानने से इनकार करेगा और प्रेषित तितर-बितर हो जाएँगे

26:31-35

14:27-31

22:31-38

13:31-38

मददगार को भेजने का वादा करता है; सच्ची बेल की मिसाल; प्यार करने की आज्ञा; प्रेषितों के साथ आखिरी प्रार्थना

 

 

 

14:1–17:26

गतसमनी

बाग में दुख से तड़पना; यीशु के साथ विश्‍वासघात और उसकी गिरफ्तारी

26:30, 36-56

14:26, 32-52

22:39-53

18:1-12

यरूशलेम

हन्‍ना पूछताछ करता है; महासभा में कैफा मुकदमा चलाता है; पतरस यीशु का इनकार करता है

26:57–27:1

14:53–15:1

22:54-71

18:13-27

गद्दार यहूदा फाँसी लगा लेता है (प्रेष 1:18, 19)

27:3-10

 

 

 

पहले पीलातुस के, फिर हेरोदेस के और दोबारा पीलातुस के सामने लाया जाता है

27:2, 11-14

15:1-5

23:1-12

18:28-38

पीलातुस उसे रिहा करना चाहता है मगर यहूदी, बरअब्बा को छोड़ने की माँग करते हैं; यातना के काठ पर मार डालने की सज़ा सुनायी जाती है

27:15-30

15:6-19

23:13-25

18:39–19:16

(दोपहर करीब 3 बजे, शुक्रवार)

गुलगुता

यातना के काठ पर दम तोड़ता है

27:31-56

15:20-41

23:26-49

19:16-30

यरूशलेम

यीशु की लाश यातना के काठ से उतारकर गुफा में रखी गयी

27:57-61

15:42-47

23:50-56

19:31-42

नीसान 15 (8-9 अप्रैल, 2020)

यरूशलेम

याजक और फरीसी उसकी कब्र पर पहरा बिठाते हैं और उसका द्वार अच्छी तरह बंद करवाते हैं

27:62-66

 

 

 

नीसान 16 (9-10 अप्रैल, 2020)

यरूशलेम और उसके आस-पास; इम्माऊस

यीशु ज़िंदा हो गया; पाँच बार चेलों को दिखायी देता है

28:1-15

16:1-8

24:1-49

20:1-25

नीसान 16 के बाद

यरूशलेम; गलील

और भी कई बार चेलों को दिखायी देता है (1कुर 15:5-7; प्रेष 1:3-8); हिदायतें देता है; चेला बनाने का काम सौंपता है

28:16-20

 

 

20:26–21:25