जीएँ मसीहियों की तरह
शमूएल की ज़िंदगी से सीखिए
शमूएल पूरी ज़िंदगी यहोवा का वफादार रहा। जब वह छोटा था, तब वह एली के बेटों, होप्नी और फिनेहास की तरह दुष्ट नहीं बना। (1शम 2:22-26) शमूएल जैसे-जैसे बड़ा होता गया, यहोवा उसका साथ देता रहा। (1शम 3:19) जब शमूएल बूढ़ा हुआ, तब भी वह यहोवा की सेवा करता रहा, जबकि उसके बेटों ने यहोवा को छोड़ दिया।—1शम 8:1-5.
आप शमूएल से क्या सीख सकते हैं? अगर आप एक नौजवान हैं, तो यकीन रखिए कि यहोवा जानता है कि आप किन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और आपको कैसा लग रहा है। वह आपको हिम्मत देगा। (यश 41:10, 13) अगर आप माता-पिता हैं और आपके बच्चे ने यहोवा को छोड़ दिया है, तो हिम्मत रखिए। याद रखिए कि शमूएल ने भी अपने बेटों के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की। उसने मामले को यहोवा के हाथ छोड़ दिया और इस बात पर ध्यान दिया कि वह यहोवा का वफादार रहे। इस तरह उसने यहोवा को खुश किया। हो सकता है, आपके अच्छे उदाहरण से आपका बच्चा यहोवा के पास लौट आए।
इतिहास के पन्नों से—शमूएल वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
-
शमूएल ने बचपन में कैसे हिम्मत से काम लिया?
-
डैनी ने कैसे हिम्मत से काम लिया?
-
शमूएल ने बुढ़ापे में एक अच्छी मिसाल कैसे रखी?
-
डैनी के मम्मी-पापा ने एक अच्छी मिसाल कैसे रखी?