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जीएँ मसीहियों की तरह

“हे यहोवा, . . . मुझे तुझ पर भरोसा है”

“हे यहोवा, . . . मुझे तुझ पर भरोसा है”

यह बहुत ज़रूरी है कि हम अच्छे और बुरे वक्‍त में भी यहोवा पर भरोसा रखें। (भज 25:1, 2) ईसा पूर्व आठवीं सदी में यहूदा में रहनेवाले यहूदियों के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हुई जिससे उनकी परख हुई कि उन्हें यहोवा पर भरोसा है या नहीं। उस दौरान जो हुआ, उससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं। (रोम 15:4) “हे यहोवा, . . . मुझे तुझ पर भरोसा है” वीडियो देखने के बाद आप आगे दिए सवालों के क्या जवाब देंगे?

  1. हिजकियाह को कौन-सी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा?

  2. जब घेराबंदी का खतरा मँडरा रहा था, तब हिजकियाह ने किस तरह नीतिवचन 22:3 में दिया सिद्धांत लागू किया?

  3. हिजकियाह ने अश्शूर के आगे हथियार डालने या मिस्र से संधि करने से इनकार क्यों किया?

  4. हिजकियाह किस तरह मसीहियों के लिए एक अच्छी मिसाल है?

  5. आज किन हालात में हमारी परख हो सकती है कि हमें यहोवा पर भरोसा है या नहीं?

लिखिए कि ऐसे कौन-से हालात हैं जिनमें आप यहोवा पर और ज़्यादा भरोसा दिखा सकते हैं।