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सुलैमान की प्रार्थना—दिल से और नम्रता से
मंदिर के उद्घाटन के समय सुलैमान ने सब लोगों के सामने दिल से प्रार्थना की (1रा 8:22; प्र09 11/15 पेज 9 पै 9-10)
सुलैमान ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींचा, बल्कि यहोवा की महिमा की (1रा 8:23, 24)
सुलैमान ने न्रम होकर यहोवा से प्रार्थना की (1रा 8:27; प्र99 1/15 पेज 17 पै 7-8)
सुलैमान की प्रार्थना से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। अगर हमें लोगों के सामने प्रार्थना करने के लिए कहा जाए, तो हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि हम यहोवा से क्या कहना चाहते हैं, न कि इस पर कि लोग हमारी वाह-वाही करें।