यहोवा टूटे मनवालों को नहीं ठुकराता
दाविद ने भजन 51 तब लिखा था, जब उसे नातान नबी ने यह एहसास करवाया कि उसने बतशेबा के साथ जो किया वह पाप है। उसका ज़मीर उसे कचोटने लगा। इस पर उसने नम्रता से अपनी गलती कबूल की।—2शम 12:1-14.
दाविद ने पाप किया था, इसके बावजूद वह परमेश्वर के साथ दोबारा रिश्ता जोड़ सकता था
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पश्चाताप करने और गलती कबूल करने से पहले उसका ज़मीर उसे बहुत कचोट रहा था
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यह सोच-सोचकर कि परमेश्वर उससे नाराज़ है, उसे बहुत दुख हो रहा था, मानो उसकी हड्डियाँ चूर-चूर हो गयी हों
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वह परमेश्वर से माफी पाने, उसके साथ दोबारा रिश्ता कायम करने और पहले जैसी खुशी पाने के लिए तरस रहा था
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उसने रो-रोकर यहोवा से बिनती की कि वह उसे ऐसा मन दे कि वह उसकी बात माने
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उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा उसे माफ करेगा