जीएँ मसीहियों की तरह
“परमेश्वर मेरा सहायक है”
जब दाविद अपनी ज़िंदगी में मुश्किल घड़ी से गुज़र रहा था, तो उसने अपने मन में उठनेवाली भावनाएँ भजन 52-59 में लिखीं। लेकिन इस दौरान भी उसने यहोवा पर भरोसा करना नहीं छोड़ा। (भज 54:4; 55:22) उसने यहोवा को उसके वचन के लिए धन्यवाद किया। (भज 56:10) क्या हम भी दाविद की तरह यहोवा पर विश्वास और भरोसा करते हैं? परेशानियों का सामना करते वक्त क्या हम परमेश्वर के वचन से सलाह लेते हैं? (नीत 2:6) बाइबल की कौन-सी आयतें पढ़कर आपको हिम्मत मिली है, जब . . .
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आप हताश या उदास थे?
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आप बीमार थे?
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आप दूसरों की वजह से दुखी थे?
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आप पर ज़ुल्म ढाए जा रहे थे?