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18-24 जून

लूका 2-3

18-24 जून
  • गीत 5 और प्रार्थना

  • आज की सभा की एक झलक (3 मि. या उससे कम)

पाएँ बाइबल का खज़ाना

  • नौजवानो, क्या आप यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत कर रहे हैं?”: (10 मि.)

    • लूक 2:41, 42​—यीशु अपने माता-पिता के साथ हर साल फसह का त्योहार मनाने जाता था (“उसके माता-पिता अपने दस्तूर के मुताबिकअ.बाइ. लूक 2:41 अध्ययन नोट)

    • लूक 2:46, 47​—यीशु धर्म गुरुओं की सुनता था और उनसे सवाल करता था (“उनसे सवाल कर रहा था,” “रह-रहकर दंग हो रहे थेअ.बाइ. लूक 2:46, 47 अध्ययन नोट)

    • लूक 2:51, 52​—यीशु लगातार अपने माता-पिता के “अधीन रहा” और उस पर परमेश्‍वर और लोगों की कृपा बनी रही (“लगातार उनके अधीन रहाअ.बाइ. लूक 2:51 अध्ययन नोट)

  • ढूँढ़ें अनमोल रत्न: (8 मि.)

    • लूक 2:14​—इस आयत का मतलब क्या है? (“और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे परमेश्‍वर खुश है,” “जिनसे परमेश्‍वर खुश हैअ.बाइ. लूक 2:14 अध्ययन नोट)

    • लूक 3:23​—यूसुफ का पिता कौन था? (प्र16 अंक3 पेज 9 पै 1-3, अँग्रेज़ी)

    • इस हफ्ते के अध्यायों से आपने यहोवा के बारे में क्या सीखा?

    • इन अध्यायों में आपको और क्या-क्या रत्न मिले?

  • पढ़ने के लिए आयतें: (4 मि. या उससे कम) लूक 2:1-20

बढ़ाएँ प्रचार में हुनर

  • पहली मुलाकात: (2 मि. या उससे कम) “गवाही कैसे दें” भाग में दिया सुझाव अपनाकर बात शुरू कीजिए। व्यक्‍ति सुनना नहीं चाहता इसलिए ऐसी बात कहता है, जो अकसर आपके यहाँ लोग कहते हैं। यह रुकावट पार कीजिए।

  • तीसरी मुलाकात का वीडियो: (5 मि.) वीडियो दिखाइए और चर्चा कीजिए।

  • भाषण: (6 मि. या उससे कम) प्र14 2/15 पेज 26-27​—विषय: किस आधार पर पहली सदी के यहूदी, मसीहा की “बड़ी आस लगाए” हुए थे?

जीएँ मसीहियों की तरह