जीएँ मसीहियों की तरह
माता-पिताओ, बच्चों को सिखाने का एक भी मौका हाथ से जाने मत दीजिए
मसीही माता-पिताओं की यही ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे वफादारी से यहोवा की सेवा करें। छुटपन से ही बच्चों के मन में बाइबल की सच्चाइयाँ बिठाकर वे उन्हें यहोवा की सेवा करने के लिए तैयार कर सकते हैं। (व्य 6:7; नीत 22:6) यह सच है कि ऐसा करने के लिए उन्हें कई त्याग करने पड़ेंगे। लेकिन वे यकीन रख सकते हैं कि वे जो भी त्याग करेंगे, उससे कहीं बढ़कर उन्हें आशीषें मिलेंगी।—3यूह 4.
आज माता-पिता यूसुफ और मरियम से बहुत कुछ सीख सकते हैं। यूसुफ और मरियम “अपने दस्तूर के मुताबिक हर साल फसह का त्योहार मनाने यरूशलेम जाया करते थे,” जबकि ऐसा करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती थी और काफी खर्च उठाना पड़ता था। (लूक 2:41) इससे साफ पता चलता है कि उनके लिए यह बात बहुत मायने रखती थी कि उनका परिवार यहोवा के करीब रहे। उनकी तरह आज मसीही माता-पिता हर मुमकिन कोशिश कर सकते हैं कि वे अपनी बातों और अपने कामों से अपने बच्चों को सही राह पर चलना सिखाएँ।—भज 127:3-5.
उन्होंने मौके को हाथ से नहीं जाने दिया नाम का वीडियो देखिए। फिर नीचे दिए गए सवालों के जवाब दीजिए:
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जौन और शैरन शिल्लर अपने बच्चों की परवरिश करने के साथ-साथ राज के कामों को पहली जगह कैसे दे पाए?
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माता-पिताओं को हर बच्चे की ज़रूरत के मुताबिक उसे क्यों सिखाना चाहिए?
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माता-पिता अपने बच्चों को कैसे सिखा सकते हैं, ताकि परखे जाने पर उनका विश्वास न डगमगाए?
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आपने संगठन के कौन-कौन से प्रकाशन इस्तेमाल किए हैं, जिससे आपके बच्चे यहोवा के दोस्त बन पाए?