“आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर . . . जाएँ”
“अन्त के दिनों में” |
आज हम जिस समय में जी रहे हैं |
“यहोवा के भवन का पर्वत” |
यहोवा की सर्वश्रेष्ठ शुद्ध उपासना |
“हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे” |
शुद्ध उपासना करनेवाले सच्चे परमेश्वर की उपासना करने के लिए एक होंगे |
“आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर . . . जाएँ” |
सच्चे उपासक दूसरों को अपने साथ जुड़ने का न्यौता देते हैं |
“वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे” |
यहोवा अपने वचन के ज़रिए हमें सिखाता है और हमारी मदद करता है ताकि हम उसके पथों पर चलें |
“न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे” |
यशायाह बताता है कि युद्ध के हथियार पीटकर खेती-बाड़ी के औज़ार बनाए जाएँगे। इससे ज़ाहिर होता है कि यहोवा के लोग सबके साथ शांति बनाए रखेंगे। यशायाह के दिनों में ये औज़ार क्या थे? |
“तलवारें पीटकर हल के फाल” |
1 फाल हल का निचला हिस्सा होता था जिससे खेत की जुताई की जाती थी। इनमें से कुछ धातु के बने होते थे।—1शम 13:20 |
“भालों को हँसिया बनाएँगे” |
2 हँसिया शायद आधे चाँद के आकार का औज़ार होता था जिसका हत्था लकड़ी का बना होता था। यह औज़ार अंगूर की बेलें काटने के काम आता था।—यश 18:5 |